हरियाणा। दलबदल, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और आयाराम-गयाराम के लिए कुख्यात रहे हरियाणा के लिए अब समय आ गया है कि प्रदेश की जनता, नेता, मीडिया और अफसर सब मिलकर एक नए हरियाणा के निर्माण के लिए कार्य करें, जिसमें जनकल्याण ही मुख्य उद्देश्य हो। केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत ने ये बातें हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार पवन कुमार बंसल द्वारा हरियाणा की राजनीति पर लिखी किताब ‘गुस्ताखी माफ हरियाणा’ के विमोचन के लिए दिल्ली में आयोजित एक समारोह में कहीं। उन्होने कहा कि नेताओं को अब ऐसे काम करने चाहिए कि पवन बंसल अपनी आने वाली किताब में उनका जिक्र सुनहरे अक्षरों में करें।
इन्द्रजीत ने कहा कि गुडग़ांव में किसानों की जमीन की लूट उनके सामने हो रही थी, जिसे वो बर्दाश्त नहीं कर सके इसलिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इस अवसर पर जनसत्ता के प्रधान संपादक ओम थानवी ने कहा कि नटवर सिंह जैसे लोग अपनी किताब में एक दो पेज ऐसा लिख देते हैं जिससे किताब सारे देश में बिकती है लेकिन पवन बंसल की किताब का तो हर पेज ऐसा है। उन्होंने कहा कि पवन बंसल की किताब का तो हर किस्सा नेताओं और अफसरशाही की पोल खोलता है।
सामाजिक कार्यकर्ता राम कुमार ने कहा कि हरियाणा सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्र बनवाने के नाम पर झज्जर में मुकेश अंबानी को आठ हजार एकड़ जमीन खरीदने की अनुमति दी। सरकार ने कहा कि इससे दस लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। विशेष आर्थिक क्षेत्र नहीं बना और ना ही लोगों को रोजगार मिला। उन्होंने इस जमीन को फालतू भूमि कानून के तहत फालतू घोषित करके वापिस किसानों को देने की मांग करते हुए झज्जर के उपायुक्त की अदालत में रिलायंस इंडस्ट्री के खिलाफ केस दायर कर रखा है।
लोक संपर्क विभाग के पूर्व उपनिदेशक महीपाल ने कहा कि पवन बंसल ने हरियाणा की राजनीति की सच्चाई लिखने की हिम्मत की है। इस अवसर पर उन्होंने कनाडा में रह रहे भारतीय नागरिक डॉ. एमपी सिंह का संदेश पढ़ कर सुनाया जिसमें कहा गया कि बंसल की पहले लिखी दो किताबें यहां रहने वाले भारतीय बड़े चाव से पढ़ते हैं। 225 पेज की किताब में कार्टून इंडिया बुल्स कंपनी के मालिक नरेंद्र गहलोत तथा गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालय हिसार में प्रबंधन में पीएचडी कर रही जान्हवी बंसल ने बनाए हैं।
पवन बंसल ने कहा कि उन्होंने ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर की नीति पर चलते हुए नेताओं की सच्चाई जनता के सामने रखने का प्रयास किया है कि वे चुनाव जीतने के लिए किस तरह लोक लुभावने वायदे करते हैं और सत्ता में आकर उन्हें भूल जाते हैं। इस किताब में हरियाणा के दलबदल, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, परिवारदवाद, आयाराम-गयाराम, भारत दर्शन की राजनीति का हास्य के माध्यम से वर्णन किया गया है। जमीन अधिग्रहण कानून की आड़ में किसानों की जमीनें लेकर कालोनाइजरों को देने का भी जिक्र है। इससे पहले बंसल की दो किताबें हरियाणा के लालों के सबरंगे किस्से तथा खोजी पत्रकारिता क्यों और कैसे काफी चर्चित हो चुकी हैं।
समारोह में हरियाणा, दिल्ली तथा चंडीगढ़ से आए सरकारी अधिकारी, पत्रकार तथा विभिन्न दलों के नेता उपस्थित थे।
वीरसेन
August 17, 2014 at 7:35 pm
तीन सवाल: पहला ओम थानवी जी से. पवन बंसल जी ने तो एक एक किस्सा ऐसा लिखा जो पोल खोलता है, पर आपका अख़बार कितने पोल खोल किस्से छापता है?
दूसरा सवाल इंद्रजीत जी से. आपके सांसद और मंत्री बनने के बाद गुड़गाँव में किसानों की ज़मीन का क्या हुआ? जिस बात को बर्दाश्त नहीं कर पाने के बाद आपने कॉंग्रेस पार्टी से त्यागपत्र दिया, दूसरी पार्टी में आने के बाद आपने उस पर क्या किया?
और तीसरा सवाल रामकुमार जी से. क्या आप और इंद्रजीत जी मंच साझा करने के बाद अब मिलकर किसानों के हित की लड़ाई लड़ेंगे, क्योंकि आप दोनों ने मंच से किसानों की ज़मीन की बात कही है? साथ ही, इंद्रजीत जी जिस सरकार के मंत्री हैं, उसका प्रधान सेवक भी किसानों की बात करता है और आप तो खैर हैं ही सामाजिक कार्यकर्ता.