-ऋषि वालिया-
मैं ऋषि वालिया हूँ और पेशे से एक लेखक हूँ। साथ ही एक निजी प्रोडक्शन हाउस से भी जुड़ा हुआ हूँ। हम शॉर्ट फिल्म बनाते हैं। मैं बस्तर पिछले 7 सालों से आ रहा हूँ। कुछ महीने पहले मेरी मुलाक़ात दंतेवाड़ा के एक पत्रकार बप्पी राय से हुई जो कि zee news में काम करता है।
जब मुलाक़ात हुई तो बप्पी ने हमें एक घटना बताई जिसमें बप्पी राय नक्सलियों के पास से 4 जवानों को छुड़ा कर लाया, जब हम ने ये कहानी सुनी तो हमें इस घटना ने काफ़ी रोमांचित किया इस घटना पर एक फ़िल्म बनाई जा सकती है क्या बप्पी ने हमसे पूछा हमने कहा क्यों नहीं ज़रूर बनाई जा सकती है इसके बाद हमने फ़िल्म को लिखने का काम शुरू किया। इस फ़िल्म को लेकर हम दो चार बार बप्पी राय से मिले। पिछले 4 दिनों से बप्पी मुझे लगातार फोन कर रहा था और दंतेवाड़ा आ कर फ़िल्म की कहानी को पूरा करने को कह रहा था।
मैं दिनांक 11-12-2020 को शाम की 7:45 वाली बस से निकला और सुबह 6 बजे के आस पास दंतेवाड़ा पहुच गया तक़रीबन 9 बजे के आस पास बप्पी मुझे से मिला और हम लोग दंतेवाडा बस स्टैंड से भांसी के लिये निकल गये। वहां एक खेत के मचान पर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक हमनें फ़िल्म की कहानी लिखी। 6 बजे के आस पास हम भांसी में बप्पी के दोस्त के घर पहुचे वहां कुछ लोग शराब पी रहे थे। हम भी वहां गये और हमने भी शराब पी। शराब पीने के बाद बप्पी फ़ोन पर किसी से ज़ोर-ज़ोर से गालियां देकर बात कर रहा था।
फ़ोन रखने के बाद बप्पी ज़ोर ज़ोर से अपने दांतों को किटकिटाने लगा।जब वो दांत किटकिटा रहा था तो मुझे बड़ा अजीब लगा। इस पर मैंने बप्पी से कहा कि दादा इस तरह दांत किटकिटाना ठीक नहीं। इतनी सी बात पर उसने मुझे थप्पड़ मार दिया। इस घटना पर मैंने बप्पी से कहा कि आप एक नंबर के घटिया आदमी हो। मैं आप के साथ किसी भी तरह का कोई काम नहीं कर सकता। आप ज़रा सी शराब पी कर आप हाथापाई पर उतर आते हैं।
मैंने इतना कहा ही थी कि बप्पी ने मुझे ये कह कर एक थप्पड़ और जड़ दिया कि तू बतायेगा अब मुझें कि मैं कैसे हूँ कैसा नहीं।
मैंने बप्पी से कहा कि मैं यहां आप के पास अब एक मिनट भी नहीं रुक सकता मैं जा रहा हूँ। मेरे ये कहने पर वो मुझसे बार-बार माफ़ी मांगने लगा और मुझे वहीं रुकने को कहने लगा। मैंने उसे साफ मना कर दिया कि आप जौसे घटिया आदमी के साथ मैं नहीं रुक सकता हूँ क्यों कि जो आदमी ज़रा सी शराब पी कर थप्पड़ मार सकता है, जिसमें इतनी हिंसा भारी हो ऐसे आदमी के साथ कोई काम भी नहीं किया जा सकता और न ही ऐसे हिंसक आदमी के पास रुका जा सकता है। मैंने तकरीबन 10 बजे के आस पास अपने पत्रकार मित्र विकास तिवारी जी को फोन किया और बप्पी ने जो मेरे साथ मार पीट की उसके बारे में जानकारी दी।
चूंकि विकास तिवारी जी कहीं बाहर थे तो उन्होंने एक दूसरे पत्रकार साथी को इस घटना के बारे में बताया उनका नाम पंकज भदौरिया है। पंकज जी ने रात को अपने किसी मित्र को मुझे भांसी से नकुलनार लाने को कहा। अब इत्तेफ़ाक़न जो मुझे लेने के लिये भांसी पहुच वो भी बप्पी राय का परिचित था। बप्पी ने उस आदमी को फ़ोन किया जो मुझे लेने के लिये आया था। बप्पी ने उसे फ़ोन कर के मुझे घड़ी से उतारकर मारने को कहा और मुझे बीच जंगल में झोड़ देने को कहा। साथी ही नक्सलियों का नाम लेकर मुझे धमकी भी दी कि वो मुझे नक्सलियों के हांथों जान से मरवा देगा। जिसके पास बप्पी ने फ़ोन किया वो लाऊड स्पीकर में बात कर रहा था इसके बाद उसने जो आदमी मुझे भांसी से कुछ दूर पर ही उतार दिया।
फिर मैंने पत्रकार साथी पंकज भदौरिया जी को फ़ोन किया और बताया कि मैं यहाँ खड़ा हुआ हूँ। फिर उन्होंने मुझे वहां से लाने के लिये फिर किसी और साथी को लाइनअप किया जिसके बाद मैं रात तक़रीबन 11:00-11:30 बजे नकुलनार पंकज भदौरिया के घर पहुचा जैसे ही मैं पहुचा तो फिर बप्पी राय का मेरे पास फोन आया और बो मुझसे गिड़गिड़ा कर माफ़ी मांग रहा था मेरे पास उसके माफ़ी मांगते हुए की फ़ोन की रेकॉर्डिंग भी है। मैं आप को इस घटना की जानकारी इसलिए दे रहा हूँ ताकि इस तरह की घटना कभी किसी और के साथ न हो और आप को भी ये संज्ञान में रहे कि बप्पी राय जो अपने आप को पत्रकार कहते हैं उनके दिमाग़ में कितना अपराध भरा हुआ है।
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