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सुख-दुख

दुष्कर्म मामले में बाइज़्ज़त बरी हुए पत्रकार रजत बाजपेयी

जगदलपुर। बलात्कार के एक मामले में आरोपी पत्रकार रजत बाजपेयी को निर्दोष करार देते हुए अदालत ने बरी कर दिया। फास्ट ट्रैक कोर्ट बस्तर के अपर सत्र न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि इस मामले में सबूतों और मेडिकल रिपोर्ट से बलात्संग की पुष्टि नहीं होती। प्रार्थनी का कथन और आचरण रिपोर्ट दर्ज करवाने से लेकर न्यायालय में साक्ष्य के स्तर तक बहुत अधिक संदिग्ध रहा है। अदालत ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रशासन में किसी स्त्री को संरक्षण रूपी जो ढाल दी गई है प्रार्थिनी ने उसका उपयोग विद्वेषपूर्ण तरीके से आरोपी के विरुद्ध किया है।

<p>जगदलपुर। बलात्कार के एक मामले में आरोपी पत्रकार रजत बाजपेयी को निर्दोष करार देते हुए अदालत ने बरी कर दिया। फास्ट ट्रैक कोर्ट बस्तर के अपर सत्र न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि इस मामले में सबूतों और मेडिकल रिपोर्ट से बलात्संग की पुष्टि नहीं होती। प्रार्थनी का कथन और आचरण रिपोर्ट दर्ज करवाने से लेकर न्यायालय में साक्ष्य के स्तर तक बहुत अधिक संदिग्ध रहा है। अदालत ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रशासन में किसी स्त्री को संरक्षण रूपी जो ढाल दी गई है प्रार्थिनी ने उसका उपयोग विद्वेषपूर्ण तरीके से आरोपी के विरुद्ध किया है।</p>

जगदलपुर। बलात्कार के एक मामले में आरोपी पत्रकार रजत बाजपेयी को निर्दोष करार देते हुए अदालत ने बरी कर दिया। फास्ट ट्रैक कोर्ट बस्तर के अपर सत्र न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि इस मामले में सबूतों और मेडिकल रिपोर्ट से बलात्संग की पुष्टि नहीं होती। प्रार्थनी का कथन और आचरण रिपोर्ट दर्ज करवाने से लेकर न्यायालय में साक्ष्य के स्तर तक बहुत अधिक संदिग्ध रहा है। अदालत ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रशासन में किसी स्त्री को संरक्षण रूपी जो ढाल दी गई है प्रार्थिनी ने उसका उपयोग विद्वेषपूर्ण तरीके से आरोपी के विरुद्ध किया है।

न्यायाधीश ने अपने फैसले में लिखा कि बलात्कार के मामले में इस तथ्य की अनदेखी नहीं की जा सकती कि इससे पीड़िता को सर्वाधिक कष्ट और अपमान झेलना पड़ता है। किंतु स्त्री, यदि विद्वेषवश किसी को फंसाने के लिए झूठा और मनगढ़ंत षडयंत्र रचती है तो इतनी ही पीड़ा आरोपी को भी होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

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अदालत ने कहा कि बलात्कार के इस फर्जी, मनगढ़ंत और बेबुनियाद प्रकरण में प्रार्थिनी का कथन तथा आचरण सारभूत दुर्बलता से ग्रसित होने के कारण स्वयं संदेह के घेरे में आ गया। उसने नौकरी से निकाले जाने के कारण आरोपी से बदला लेने की नीयत से 10 साल पहले की अश्लील सीडी का उपयोग किया है। प्रार्थिनी ने अपनी उम्र छिपाने की नीयत से भी कई झूठ बोले और झूठा हलफनामा भी दिया। इस प्रकरण में आरोपी से न ही कोई सीडी जब्त हुई और न ही सीडी बनाने का उपकरण। बल्कि सबूतों से इस बात का संकेत मिलता है कि प्रार्थिनी ने स्वयं सीडी बनवा कर उसकी प्रतियां पुलिस से लेकर अनेक न्यायालयों में उपलब्ध करवाईं।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता विक्रमादित्य झा ने बताया कि अदालत के फैसले ने यह सिद्ध कर दिया कि सत्य परेशान अवश्य हो सकता है, किंतु पराजित नहीं। उन्होंने कहा कि महिला द्वारा पुलिस में की गई शिकायत से हटकर नित नई झूठी कहानियां गढ़ कर स्वयं को संदिग्ध बना लिया गया। मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार के आरोप भी निराधार साबित हुए। अश्लील सीडी किसने, कब और कहां बनाई, यह प्रार्थिनी सिद्ध नहीं कर पाई, बल्कि सीडी की कई प्रतियां बांटकर उसने स्वयं मामले की दशा और दिशा बदल दी।

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भड़ास को भेज गए पत्र पर आधारित।

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