Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

मजीठिया से बचने के लिए अमानवीय कृत्यों में मशगूल दैनिक भास्कर प्रबंधन

चंडीगढ़ : हालांकि दैनिक भास्कर अखबार ग्रुप में कर्मचारियों का प्रतिरोध सिरे से गायब है कि लेकिन मालिकान के होश फिर भी उड़े ही हुए हैं। उनके होश-ओ-हवास को स्थिर-ठहरने का कोई ठौर-ठिकाना नहीं मिल रहा। सोते-जागते उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड का खौफ, प्रेत ही नजर आ रहा है। उससे बचने के लिए वे हर वह कारगुजारी-करतब-कृत्य-कारनामा-दरिंदगी-मनमानी-कमीनागीरी-नृशंसता-उत्पीडऩ करने में मशगूल हैं जिससे मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों-संस्तुतियों से बचा जा सके, निजात पाया जा सके। लेकिन कमबख्त मजीठिया है कि उन्हें चैन लेने ही नहीं दे रहा है।

<p>चंडीगढ़ : हालांकि दैनिक भास्कर अखबार ग्रुप में कर्मचारियों का प्रतिरोध सिरे से गायब है कि लेकिन मालिकान के होश फिर भी उड़े ही हुए हैं। उनके होश-ओ-हवास को स्थिर-ठहरने का कोई ठौर-ठिकाना नहीं मिल रहा। सोते-जागते उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड का खौफ, प्रेत ही नजर आ रहा है। उससे बचने के लिए वे हर वह कारगुजारी-करतब-कृत्य-कारनामा-दरिंदगी-मनमानी-कमीनागीरी-नृशंसता-उत्पीडऩ करने में मशगूल हैं जिससे मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों-संस्तुतियों से बचा जा सके, निजात पाया जा सके। लेकिन कमबख्त मजीठिया है कि उन्हें चैन लेने ही नहीं दे रहा है।</p>

चंडीगढ़ : हालांकि दैनिक भास्कर अखबार ग्रुप में कर्मचारियों का प्रतिरोध सिरे से गायब है कि लेकिन मालिकान के होश फिर भी उड़े ही हुए हैं। उनके होश-ओ-हवास को स्थिर-ठहरने का कोई ठौर-ठिकाना नहीं मिल रहा। सोते-जागते उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड का खौफ, प्रेत ही नजर आ रहा है। उससे बचने के लिए वे हर वह कारगुजारी-करतब-कृत्य-कारनामा-दरिंदगी-मनमानी-कमीनागीरी-नृशंसता-उत्पीडऩ करने में मशगूल हैं जिससे मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों-संस्तुतियों से बचा जा सके, निजात पाया जा सके। लेकिन कमबख्त मजीठिया है कि उन्हें चैन लेने ही नहीं दे रहा है।

इस प्रसंग में बात अगर दैनिक भास्कर के चंडीगढ़ संस्करण की करें तो यहां उन कर्मचारियों से पीछा छुड़ाने का घोर उपक्रम चल रहा है जो बहुत पुराने, यों कहें कि संस्करण के शुरुआती समय से ही हैं और अपने काम में ही माहिर नहीं हैं बल्कि मालिकों, उनके चमचों-चाटुकारों-दलालों के कुकृत्यों-कमीनापंथियों के गवाह-साक्षी-प्रत्यक्षदर्शी हैं। ताजा मामला आईटी विभाग के एक सीनियर कर्मचारी के तबादले का है। इस कर्मचारी को उठाकर लुधियाना भेज दिया गया है। उसे ट्रांसफर आदेश थमाते हुए सख्ती से कहा गया कि लुधियाना फौरन ज्वाइन करो वरना तुम्हारे खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मतलब और मंशा साफ है कि तब्दील जगह पर जाकर काम करो, नहीं तो इस्तीफा देकर चलते बनो। मालिकों के कारिंदों-दरिंदों के इस घनघोर अनैतिक-अमानवीय कृत्य का निहित भाव यह है कि अपने घर चंडीगढ़ में शुरू से जमा यह कर्मचारी भला लुधियाना कहां जाएगा। वह तो खुद ही मुलाजिमत छोड़-छाड़ के घर बैठ जाएगा और इस तरह कंपनी को उससे खुद-ब-खुद छुटकारा मिल जाएगा। क्यों कि कंपनी अब किसी को निकालने से रही, वह संपादकीय विभाग के एक वरिष्ठ कर्मचारी को निकालने की गलती कर चुकी है। उस कर्मचारी ने उनको कोर्ट में खींच लिया है और उसका जवाब उन्हें नहीं सूझ रहा है। नियम-कायदे के मुताबिक कंपनी किसी भी कर्मचारी को बेवजह निकाल ही नहीं सकती। निकालने के लिए ठोस-पुख्ता-अकाट्य वजह, दलील, प्रमाण, सबूत होना चाहिए।

बहरहाल आईटी विभाग के तब्दील हुए संबंधित वरिष्ठ कर्मचारी ने लुधियाना में ज्वाइन कर लिया है। वजह साफ है कि जीविका तो चलती रहनी चाहिए, वरना भयंकर महंगाई के इस मोदिया-भाजपाई राज में जीना और भी मुहाल हो जाएगा। जानकारों की मानें तो इस कर्मचारी के स्थानांतरण की एक अंतर्कथा है। आईटी विभाग में कभी कई तकनीकी कर्मचारी और उनसे बड़े ओहदेदार रहते थे। जिनकी मेहनत, लगन, निष्ठा, कर्तव्यपरायणता से अखबार की बढ़ती जरूरतों को सहजता-सरलता से पूरा कर लिया जाता था। बाद में जैसे-जैसे आधार पुख्ता होता गया और अखबार बनाना, मुद्रित-प्रकाशित करना आसान होता गया, आईटी विभाग में कर्मचारियों की तादाद घटाने का सिलसिला भी चलने लगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसकी एक वजह यह भी रही कि तेजी से बढ़ती तकनीकी शिक्षा के इस दौर में भास्कर के हर विभाग, खासकर संपादकीय विभाग में कंप्यूटर को हैंडिल करने वालों का अनुपात बढऩे लगा। मूल बिंदु पर आते हुए बताना चाहता हूं कि आईटी विभाग के इस तब्दील हुए कर्मचारी संग पहले एक नया इंजीनियर तैनात कर दिया गया था, जिसका सब कुछ के अलावा मुख्य काम उक्त कर्मचारी की कमियों को ढूंढ-ढूंढ कर निकालना और उसे स्थानीय अधिकारियों से लेकर भोपाल स्थित हेड ऑफिस तक को अवगत कराना-परिचित कराना-पहुंचाना था। साफ है कि इस काम में स्थानीय और हेड ऑफिस की मिलीभगत रही है। नहीं तो जो कर्मचारी पिछले 14 वर्ष से अपने परफारमेंस से पूरे स्टाफ को संतुष्ट रखता रहा है, अचानक खराब परफारमेंस वाला कैसे हो गया। फिर अगर चंडीगढ़ में उसका काम-काज ठीक नहीं रहा है तो ट्रांसफर वाली जगह लुधियाना में भी उसका कार्य ठीक-संतोषजनक रहेगा, इसकी क्या गारंटी है?

आजकल कर्मचारियों को परेशान करने, उनकी निगरानी-जासूसी करने का एक तरह से ठेका दे दिया गया है एचआर विभाग के एक मैनेजर रमनदीप सिंह राणा और मुद्रक-प्रकाशक और वित्त विभाग के मुखिया आर.के. गुप्ता को। मैनेजर रमनदीप राणा का कार्य कैबिन एडीटोरियल विभाग के ऐन बीच में ही स्थापित कर दिया गया है, जहां विराज कर वह हर कर्मचारी, खासकर संपादकीय मुलाजिमों, आईटी विभाग के कर्मचारियों पर पैनी नजर रखता है। उनकी गतिविधियों के बारे में जानकारी जुटाता रहता है और एकत्रित ब्योरा अपने आकाओं के पेश-ए-नजर करता रहता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जब से मजीठिया वेज बोर्ड की धूम मची है वित्त विभाग को कंधे पर ढोने वाले और दैनिक भास्कर मालिकान की आंखों के तारे बने रहने वाले इस आर.के.गुप्ता के होश कोई ठौर ही नहीं पा रहे हैं। एचआर विभाग की एजीएम रुपिंदर कौर से मिलकर ये हमेशा पुराने कर्मचारियों को निकालने के लिए योजनाएं बनाते रहते हैं। निश्चित ही इन्हें भास्कर के चेयरमैन रमेश चंद्र अग्रवाल और मैनेजिंग डायरेक्टर सुधीर अग्रवाल का आदेश होगा कि पुराने, स्थायी कर्मचारियों की कमियां निकलवाओ, उन्हें दंडित करो, तबादला करो, ताकि वे विवश होकर, परेशान होकर नौकरी छोडक़र चले जाएं।

मजीठिया की मार से बचने के लिए भास्कर प्रबंधन ने अनेक तरह की तिकड़में रची हैं, कारगुजारियां कीं हैं। उनमें सबसे बड़ी तिकड़म-साजिश दैनिक भास्कर को छह-सात कंपनियों में विभाजित कर देने, बांट देने की है। चंडीगढ़ कार्यालय के प्रवेश द्वार पर स्थापित रिसेप्शन पर कर्मचारियों की दस्तखत के छह रजिस्टर रखे गए हैं। जिन पर संबंधित कंपनियों के नाम अंकित हैं। कर्मचारियों खासकर नए कर्मचारियों को पता ही नहीं चल पा रहा कि उनकी नियुक्ति किस कंपनी में हुई है। रोजगार-जीविकोपार्जन के मारे कर्मचारी चुपचाप उस रजिस्टर में जिस पर उनके नाम अंकित होते हैं दस्तखत करके दफ्तर में दाखिल हो लेते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

चंडीगढ़ से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

इसे भी पढ़ सकते हैं…

Advertisement. Scroll to continue reading.

CNNEAO condemns ‘attempts’ of newspapers to bypass SC order

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement