खुद को देश का नंबर वन कहने वाला अख़बार दैनिक भास्कर मजीठिया के डर से कर्मचारियों को धड़ाधड़ निकाल रहा है। उसका अपने कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति रद्दी भर भी नहीं है। कुछ समय पहले राजस्थान के कोटा कार्यालय पर ऑडिट टीम आई थी। उस ऑडिट की रिपोर्ट को आधार बनाकर पुराने कर्मचारियों को डरा धमका कर उनसे इस्तीफा लिया जा रहा है। मजीठिया वेज बोर्ड का डर हर मीडिया मालिक में दिख रहा है। हर प्रिंट मीडिया मालिक अपने पुराने कर्मचारियों को हटाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं, ताकि कम से कम कर्मचारियों को मजीठिया का लाभ देना पड़े। इसमें दैनिक भास्कर कहाँ पीछे रहने वाला था।
दिनांक 2 फरवरी 2017 को भोपाल से प्रकाश खटकरे और राजस्थान फाइनेंस हेड कमल कान्त दैनिक भास्कर कोटा कार्यलय आये। प्रकाश खटकरे की गिनती सेठजी के एक नंबर के चापलूसों में होती हे। ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देकर कोटा सर्कुलेशन हेड सत्यनारायण विजय और उनकी सर्कुलेशन टीम से आशीष शर्मा, इरफ़ान अली, बनवारी लाल, अनिल नागर, देवेन्द्र तंवर, रघुनन्दन मोदी, सारांश शर्मा से जबरन स्तीफा माँगा गया। नहीं देने पर 75 लाख के गबन का झूठा आरोप लगा कर धमकाया गया।
पंद्रह दिन पूर्व अकाउंट हेड संदीप तिवारी से भी जबरन इस्तीफा ले लिया गया। स्टेट सर्कुलेशन हेड प्रवीण माथुर का भी इस्तीफा ले लिया गया। डरा धमकाकर सबको सेवा से मुक्त कर दिया गया। इसके पहले कोटा सर्कुलेशन विभाग के दो कर्मचारियों अनिल शर्मा (जोधपुर) और अमृत सिंह हाडा का (उदयपुर) ट्रान्सफर कर दिया गया। इन्हें बिना किसी प्रमोशन और बिना किसी इन्क्रीमेंट के जाने के लिये मजबूर कर दिया गया।
अनिल शर्मा जोधपुर में अपनी सेवा दे रहे हैं और अमृत सिंह का केस अन्य मीडिया कर्मियों के साथ लेबर कोर्ट में चल रहा है। कोटा सर्कुलेशन विभाग के पूर्व कर्मी लाल चंद गुप्ता को तुरंत प्रभाव से कोटा बुलाया गया। सर्कुलेशन हेड बनकर उन्होंने पदभार ग्रहण कर लिया है। इससे पहले भी दैनिक भास्कर प्रबंधन कोटा के अपने 30 कर्मचारियों को टर्मिनेट कर चुका है। कोटा यूनिट के लोग शुरू से ही मीडिया मालिक से अपना हक़ मांगने में आगे रहे हैं। कोटा से करीब 60 मीडिया कर्मियों ने सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना की याचिका लगा रखी है।
कोटा से आलोक शहर की रिपोर्ट.