Umashankar Singh : बिहार में शराब बंद होने के बाद लगातार ह्दय विदारक घटनाएं हो रही हैं। पर करेजा चीड़ देने वाला वाकया सुनाया बीरेन्दर भैय्या ने। बोलते-बोलते उनकी आंखें भर गई। हमने समझा बिहारी आदमी साला बिना ड्रामा किए एक लाइन भी नहीं बोल सकता! पर कुछ ही देर में समझ आ गया वे सचमुच में उदास हैं। उनने कहा, क्या कहें भईवा! शराब बंदी के बाद आधा दर्जन शादी अटेंड कर चुके हैं। लगता ही नहीं है कि ब्याह हो रहा है।
तमाम सजावट झाड़फानूस और बैंड बाजा के बाद भी मातम टाइप का पसरा रहता है। कहीं कोई गोली नहीं चल रही। कोई गाली नहीं नहीं दे रहा है। कहीं कोई झगड़ा-फसाद नहीं हो रहा। बड़का चचा को बीस दिन हो गया किसी झगड़ा में पंचैती कराए और लड़ रहे लौंडो में बीच-बचाव और थामा-थामी करा कर शांति स्थापित किए हुए। सोचो कैसा बुझा रहा होगा उनको! उनका तो जैसे लाइफ का मकसदे खतम हो गया।
डीजे का डैस सन्नाटे से भांय-भांय करता है। कहां तो नागिन डांस, खरगोश डांस, लोटमोट डांस से सब गुलजार रहता था कहां अब पूरा डीजे फ्लोर पर परिंदा भी पर नहीं मारता। वर-वधू के पिताजी संजुक्त रूप से चार बेर पूरा घराती-बराती को बोल आए कि शादी ब्याह का घर है नाचिये-गाइये। काहे कोई सुनेगा?? किसी का पैर नहीं उठता है। श्राद्ध के भोज में भी इससे ज्यादा चहल-पहल रहता है। काहे कि उसमें उम्मीद भी नहीं रहता है ना दारू का! और अंगरेजी भाषा का क्या बताएं!! अंगरेजी भाषा तो लगता है बिहार से इस बार लुप्त ही हो जाएगा। बीरेंदर भै्या एक महीने पूर्व के बिहार के स्वर्णयुग की याद में नास्टैल्जिक हो गए थे। हमसे तो सहानुभूत का दू ठो बोल भी बोलते नहीं बना भैय्या!!
नोट- बीरन्दर बिहार का हर चौथा आदमी है जो हर घड़ी आपका संकटमोचक बनने को पहले से तैयार रहता है। पर वह संकट बढ़ाता ही है। छोटी बातें भी उस पर बड़ा असर करती हैं और उसका बयान वह सुभाष घई के ड्रामेटिक अंदाज में करता है। आप बिहाार जाएं और आपको बीरेंन्दर ना मिले यह संभव नहीं है, उसमें हजारों खूबियां हैं जो सिर्फ उसे दिखती है। वह खलिहर है पर मजाल कि कभी आपको खाली मिल जाए। उसकी चिंता के केंद्र में अपना परिवार छोड़कर पूरा दुनिया जहान है। इस तरह से उसे सेल्फलेस पर्सन भी कह सकते हैं 🙂
वरिष्ठ पत्रकार उमाशंकर सिंह के फेसबुक वॉल से.
sanjay kumar
April 27, 2016 at 2:07 am
बहुते बढ़िया पोस्ट है। आज बिरादरी के लोग बिहार में रिपोर्टिंग के लिए जाने में भी कतराने लगे हैं। रात में पान चबा-चबा के लार चुआते हुए बतियाने का आनंदे खत्म हो गया है।