नकली शराब बिकवाने वाले आबकारी निरीक्षक अब भी जमे हैं पदों पर, शासन मौन

योगी राज में अफसर सरकारी नीतियों का भर्ता बनाने में जुटे हैं. आबकारी विभाग का सबसे बुरा हाल है. प्रदेश भर में नकली शराब बिक रही है. दुकानों में ग्राहकों से ज्यादा पैसे लेकर शराब बेची जा रही है. हरियाणा से नकली शराब की खेप धड़ल्ले से चली आ रही है.

यूपी में धड़ल्ले से बनाई जा रही कच्ची शराब, देखें वीडियो

आगरा। ताजनगरी में कच्ची शराब, जहरीली शराब और दो राज्यों के बीच शराब की तस्करी का काला कारोबार बेखौफ चल रहा है। इस काले कारोबार पर ना तो आबकारी विभाग की नजर है और ना ही आगरा पुलिस को इसकी खबर है। उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब के सेवन से कई लोगों की जान जा चुकी है। आगरा के  शमशाबाद थाना क्षेत्र के गांव सूरजभान में शराब की भट्टियों पर कच्ची शराब खुलेआम बनाई जा रही है.

यूपी : दारू के धंधे में फिर आयेगा सिंडीकेट राज!

अजय कुमार, लखनऊ

आबकारी नीति में बदलाव के संकेत… उत्तर प्रदेश के दारू के धंधे में आगामी वित्तीय वर्ष 2018-19 से समाजवादी रंग उतार कर भगवा रंग चढ़ाने की तैयारी की जा रही है। इस बदलाव से किसको कितना फायदा होगा,यह तो समय ही बतायेगा,लेकिन जो तस्वीर उभर कर आ रही है,उससे यही लगता है कि एक बार फिर यूपी में फोंटी की कम्पनी का दबदबा बढ़ सकता है। सिंडिकेट राज पुनः लौटेगा? क्योंकि नई पॉलिसी कुछ ऐसी बनाई जा रही है जिससे आर्थिक रूप से कमजोर शराब कारोबारियों  के पास अपना धंधा समेटने के अलावा कोई चारा बचेगा ही नहीं।

यूपी में महिलाओं की पूर्णतः शराबबंदी की मांग योगी सरकार के लिये बडी चुनौती

उत्तर प्रदेश में नयी सरकार बनने के बाद से जिस तरफ देखो उस तरफ शराब की बंदी के लिए आवाज उठाई जा रही है। यह आवाज महिलाएं उठा रही हैं। उत्तर प्रदेश के लगभग हर जिले में शराबबंदी के पक्ष में आवाज बुलंद की जा रही है और लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने अपना कार्यकाल संभालते ही निर्णय लिए हैं, चाहें अवैध भूचड़खानों और बिना लाइसेंस के मीट की बिक्री करने वालों पर कार्यवाही हो, चाहें एंटी रोमियो दस्ता द्वारा मनचलों और छेड़खानी करने वालों पर कार्यवाही हो या कानून व्यवस्था से जुड़े हुए अन्य फैंसले, इन सबकी समीक्षा खुद उत्तर प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं।

वसुंधरा राजे ने हाइवे पर हर दो किमी के फासले पर शराब ठेके खुलवा दिए थे!

क्या सचमुच टूट जाएगा हाइवे पर शराब का सपना… हाइवे पर अब शराब की दुकानें नहीं दिखेंगी। लेकिन यह तभी होगा, जब राज्यों की सरकारें सुप्रीम कोर्ट की बात मान ले। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि अप्रैल महीने से हाइवे पर शराब की दुकानों को बंद कर दिया जाना चाहिए। फैसला जनहित में है। वास्त में देखा जाए, तो हाइवे हमारे विकास के रास्ते हैं। उन रास्तों पर खुले आम शराब के ठेके खुलने से हमारे हाइवे विकास के बजाय विनाश के रास्ते बनते जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला देश के सभी राज्यों के सभी हाइवे पर लागू होगा। हमारे हिंदुस्तान में देखें, तो हर हाइवे पर भगवान के मंदिरों की भरमार है। ड्राइवर अगर अपनी जिंदगी की दुआ के लिए हर भगवान को हाथ जोड़ने लगे, तो अगला मंदिर आने से पहले उसका एक्सीडेंट तय है। इतने सारे मंदिर। कदम कदम पर मंदिर। लेकिन उन्हीं हाइवे पर शराब के ठेके मंदिरों से भी ज्यादा।

बिहार में शराब बंदी के साइड इफेक्ट पर पत्रकार उमाशंकर सिंह की एक शानदार पठनीय पोस्ट

Umashankar Singh : बिहार में शराब बंद होने के बाद लगातार ह्दय विदारक घटनाएं हो रही हैं। पर करेजा चीड़ देने वाला वाकया सुनाया बीरेन्दर भैय्या ने। बोलते-बोलते उनकी आंखें भर गई। हमने समझा बिहारी आदमी साला बिना ड्रामा किए एक लाइन भी नहीं बोल सकता! पर कुछ ही देर में समझ आ गया वे सचमुच में उदास हैं। उनने कहा, क्या कहें भईवा! शराब बंदी के बाद आधा दर्जन शादी अटेंड कर चुके हैं। लगता ही नहीं है कि ब्याह हो रहा है।

गुजराती होकर गुजरात में शराब पीने की अनुमित क्यों नहीं ?

गुजरात में शराब पर प्रतिबंध के बावजूद शराब तस्करों का मजबूत तंत्र कार्य कर रहा है। तीन बार सत्ता में आने और मुख्यमंत्री रहने के बावजूद मोदी जी शराब के अवैध धंधे को रोक नहीं सके। गौरतलब है कि गुजरात में शराब की बिक्री पर पूरी तरह से रोक है लेकिन फिर भी लोग शराब का अवैध धंधा चल रहा है।

गुजरात में महुआ के फूलों का सरकारी संरक्षण में वन विभाग द्वारा विनाश किया जाता है!

Anil Singh :  महुआ भारतीय जीवनशैली, संस्कृति और परंपरा से जुड़ा पेड़ है। आदिवासी समाज में तो इसे जीवन का वृक्ष मानता है। बचपन में इसके ताजा फूलों को बीनने, खाने की यादें अब भी जेहन में ताज़ा हैं। इसके मीठे ठेकुआ का स्वाद अब भी नहीं भूला। कोइनी बीनने और घानी में उसका तेल निकालना भी याद है। आजी, उसके जो उपयोग बताती थीं, वह भी याद है।