क्या सचमुच टूट जाएगा हाइवे पर शराब का सपना… हाइवे पर अब शराब की दुकानें नहीं दिखेंगी। लेकिन यह तभी होगा, जब राज्यों की सरकारें सुप्रीम कोर्ट की बात मान ले। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि अप्रैल महीने से हाइवे पर शराब की दुकानों को बंद कर दिया जाना चाहिए। फैसला जनहित में है। वास्त में देखा जाए, तो हाइवे हमारे विकास के रास्ते हैं। उन रास्तों पर खुले आम शराब के ठेके खुलने से हमारे हाइवे विकास के बजाय विनाश के रास्ते बनते जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला देश के सभी राज्यों के सभी हाइवे पर लागू होगा। हमारे हिंदुस्तान में देखें, तो हर हाइवे पर भगवान के मंदिरों की भरमार है। ड्राइवर अगर अपनी जिंदगी की दुआ के लिए हर भगवान को हाथ जोड़ने लगे, तो अगला मंदिर आने से पहले उसका एक्सीडेंट तय है। इतने सारे मंदिर। कदम कदम पर मंदिर। लेकिन उन्हीं हाइवे पर शराब के ठेके मंदिरों से भी ज्यादा।
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बिहार में शराब बंदी के साइड इफेक्ट पर पत्रकार उमाशंकर सिंह की एक शानदार पठनीय पोस्ट
Umashankar Singh : बिहार में शराब बंद होने के बाद लगातार ह्दय विदारक घटनाएं हो रही हैं। पर करेजा चीड़ देने वाला वाकया सुनाया बीरेन्दर भैय्या ने। बोलते-बोलते उनकी आंखें भर गई। हमने समझा बिहारी आदमी साला बिना ड्रामा किए एक लाइन भी नहीं बोल सकता! पर कुछ ही देर में समझ आ गया वे सचमुच में उदास हैं। उनने कहा, क्या कहें भईवा! शराब बंदी के बाद आधा दर्जन शादी अटेंड कर चुके हैं। लगता ही नहीं है कि ब्याह हो रहा है।
एक बादाकश ने तौबा करने की कसम खाई, इस खुशी में उम्र भर पी और पिलाई….
एक बार किसी ने मुझसे पूछा– आप शराब किस लिए पीते हैं। मैंने जवाब दिया– जो वजह मेरे जीने की है वही मेरे पीने की। उनका सर चकरा गया। वे कुछ न समझ पाये। ऐसे आदमी को समझाना भी नहीं चाहिए। असल में वे मुझे समझाना चाहते थे कि शराब पीना बुरी आदत है। इंसानों को बिना मांगे सुझाव देने की बुरी लत होती है, जिसे ठुकरा देने की मुझे लत है। मेरे हालात मेरे हमसफर हैं। मैं अपने हालात के आदेश पर चलता हूं। दूसरों की ही नहीं, मैं अपने दिल के सुझाव भी नहीं मानता। मेरा जनम किसी के सुझाव से नहीं हुआ। किसी के सुझाव को मैं अगले की जिंदगी में दखलंदाजी मानता हूं।