अजय कुमार, लखनऊ
पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश भाजपा के लिए ‘सोने का अंडा’ देने वाली मुर्गी साबित हुआ था। 80 में से 73 सीटें भाजपा गठबंधन के खाते में गई थीं। समाजवादी पार्टी को पांच और कांग्रेस को दो सीटों पर संतोष करना पड़ा था तो बसपा का खाता ही नहीं खुल पाया था। यूपी के बल पर बीजेपी ने केन्द्र में सरकार बनाई थी। इस बार भी भाजपा यूपी को लेकर काफी उत्साहित है। बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह अबकी बार यूपी के लिए 74 पार का नारा दे रहे है, लेकिन लगता नहीं है कि भाजपा 2014 का इतिहास दोहरा पाएगी।
इस बार हालात काफी बदले हुए हैं। एक बार को यह मान भी लिया जाए कि मोदी सरकार को लेकर जनता में कोई खास नाराजगी नहीं है,लेकिन सपा-बसपा गठबंधन भाजपा के लिए दलित-मुस्लिम और यादव बाहुल्य सीटों पर परेशानी का सबब बनती दिख रही हैं। इस हिसाब से प्रदेश में लोकसभा की 20 सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन का गणित भाजपा पर भारी पड़ता दिख रहा है। भाजपा गठबंधन ने 2014 लोकसभा चुनाव में 80 सीटों में से जिन भाजपा 73 सीटों पर फतह हासिल की थीं उनमें 20 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों की जीत का अंतर अधिकतम लाख-सवा लाख वोटों का था। इनमें भी भाजपा के करीब डेढ़ दर्जन उम्मीदवार एक लाख से कम मतों के अतंर से जीते थे।
उक्त सीटों पर 2014 में सपा-बसपा को मिले कुल वोट का हिसाब लगाया जाए तो भाजपा इस हिसाब में पिछड़ती नजर आती है। गोरखपुर, फूलपुर और कैराना संसदीय सीटों के उप-चुनाव में भी सपा व बसपा अपने-अपने वोट एक-दूसरे को दिला ले गई तो इन 20 सीटों पर भाजपा की जीत की राह कठिन होती दिखाई देती है। भाजपा के रणनीतिकार भी इस बात को समझ रहे है। इसीलिए इन सीटों के चुनावी समीकरण दुरूस्त करने की कोशिश शुरू हो गई है। उधर, बसपा प्रमुख मायावती भी इस प्रयास में जुटी हैं कि मुस्लिम और दलित वोट बैंक उनके पाले से न खिसके। सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी मुस्लिमों समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह (सपा) ही भाजपा से टक्कर लेने की स्थिति में है। उत्तर प्रदेश में लगातार दौरे कर रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी इसी कवायद में हैं कि कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक रहे मुस्लिमों और दलितों में पुरानी पैठ बनाई जाए।
बसपा सुप्रीमों दलित-मुस्लिम वोटरों को लुभाने में लगी हैं तो उन्हें भीम आर्मी से खतरा भी नजर आ रहा है। दरअसल, बहुजन समाज पार्टी गठबंधन की 38 सीटों में से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 12 पर मैदान में उतरेंगी। इस इलाके में मुस्लिम और दलित खासतौर पर जाटव वोट जीत के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। बहनजी को फिक्र सता रही है कि भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर की वजह से अगर दलित वोट में सेंध लगी तो मुस्लिम भी कांग्रेस के साथ जा सकते हैं। इसी के मद्देनजर मायवती, न केवल कांग्रेस से दूरी बनाए रख रही है, बल्कि कॉडर को सपा से मिलजुल कर प्रचार करने का फरमान दिया गया है, ताकि दलित-यादव गठजोड़ का मुस्लिमों पर संदेश जाए कि यह दोनों भाजपा से मुकाबले के लिए कांग्रेस की अपेक्षा बेहतर और मजबूत विकल्प हैं।
वैसे 2014 के लोकसभा चुनाव ने यह भी दिखा दिया है कि राजनीति में हमेशा दो और दो चार नही होता। वोटों का गणित कई मानकों पर तैयार होता है। मुस्लिम मतदाताओं का रूख हमेशा से ही भाजपा को हारने वाले उम्मीदवार को वोट देने का रहा है, उसे देखते हुए इन सीटों का गणित फिलहाल भातपा की जीत राह मुश्किल बनाता दिख रहा है।
उधर, गठबंधन का गणित बिगाड़ने के लिए भाजपा भी कम पैतरेबाजी नहीं कर रही है। केन्द्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार अपनी-अपनी योजनाओं के लाभार्थियों को अपने वोटों में बदलने पर काम कर रहे हैं। पार्टी की तरफ से अनुसूचित जाति और पिछड़ी जातियों को भाजपा के पक्ष में लामबंद करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। बात उन सीटों की कि जाए जो भाजपा के लिए हैं खतरे की घंटी साबित हो सकती है। उसमें सहारनपुर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, खीरी, कौशांबी आदि सीटें शामिल हैं।
2014 लोकसभा चुनाव में मुस्लिम-दलित बाहुल्य 20 सीटों का आकलन
सहारनपुर
जीत का अंतर 65090
भाजपा-राधव लखनपाल 427999
कांगे्रस-इमरान मसूद-407909
बसपा-जगदीश राणा-235033
सपा-शहजाद मसूद-52765
नगीना
जीत का अंतर-92390
भाजपा-यशवंत सिंह-367825
सपा-यशवीर सिंह-275435
बसपा-गिरीश चंद्र-245685
मुरादाबाद
जीत का अंतर–87504
भाजपा-कुंवर सर्वेश कुमार–485224
सपा-डॉ. एसटी हसन–397720
बसपा-हाजी मोहम्मद याकूब–160945
रामपुर
जीत का अंतर–23435
भाजपा-नैपाल सिंह–358626
सपा-नासिर अहमद खान–335181
बसपा-अकबर हुसैन–81006
संभल
जीत का अंतर–5174
भाजपा-सत्यपाल सिंह–360242
सपा-शफीकुर्रहमान–355068
बसपा-अकीलुर्रहमान–252640
6.खीरी
जीत का अंतर–110274
भाजपा-अजय मिश्र उर्फ टेनी–398578
बसपा-अरविंद गिरि–288304
सपा-रवि प्रकाश वर्मा–160112
7.कौशांबी
जीत का अंतर–42847
भाजपा-विनोद सोनकर–331593
सपा-शैलेंद्र कुमार–288746
बसपा-सुरेश पासी–201196
संत कबीर नगर
जीत का अंतर–97978
भाजपा-शरद त्रिपाठी–348892
बसपा-भीष्म शंकर–250914
सपा-भालचंद्र यादव–97978
सीतापुर
जीत का अंतर–51027
भाजपा-राजेश वर्मा–417546
बसपा-कैसर जहां–366519
सपा-भरत त्रिपाठी –156170
मिश्रिख
जीत का अंतर–87363
भाजपा-अंजू बाला–412575
बसपा-अशोक कुमार रावत–325212
सपा-जय प्रकाश–194759
कैसरगंज
जीत का अंतर–78218
भाजपा-बृजभूषण शरण सिंह–381500
सपा-विनोद पंडित –303282
बसपा-कृष्ण कुमार ओझा–146726
गाजीपुर
जीत का अंतर–32452
भाजपा-मनोज सिन्हा–306929
सपा-शिवकन्या कुशवाहा–274477
बसपा-कैलाश नाथ–241645
कुशीनगर
जीत का अंतर–85540
भाजपा-राजेश पांडेय–370051
कांग्रेस-आरपीएन सिंह–284511
बसपा-संगम मिश्रा–132881
सपा-राधेश्याम सिंह–111256
श्रावस्ती
जीत का अंतर–85913
भाजपा-दद्दन मिश्रा–345964
सपा-अतीक अहमद–260061
बसपा-लालजी वर्मा–194890
लालगंज
जीत का अंतर–63086
भाजपा-नीलम सोनकर–324016
सपा-बेपई सरोज–260930
बसपा-डॉ. बलिराम–233971
बस्ती
जीत का अंतर–33562
भाजपा-हरीश द्विवेदी–357680
सपा-बृजकिशोर सिंह–324118
बसपा-राम प्रसाद चैधरी–283747
हरदोई
जीत का अंतर–81343
भाजपा-अंशुल वर्मा–360501
बसपा-शिव प्रसाद वर्मा–279158
सपा-ऊषा वर्मा–276543
डुमरियागंज
जीत का अंतर–103588
भाजपा-जगदंबिका पाल–298845
बसपा-मोहम्मद मुकीम–195257
सपा-माता प्रसाद पांडेय–174778
बांदा
जीत का अंतर–115788
भाजपा-भैरों प्रसाद मिश्रा–342066
बसपा-आरके सिंह पटेल–226278
सपा-बाल कुमार पटेल–189730
बहराइच
जीत का अंतर–95645
भाजपा-सावित्री बाई फुले–432392
सपा-शब्बीर अहमद–336747
बसपा-विजय कुमार–96904
लेखक अजय कुमार यूपी के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं.