विश्व दीपक-
उस वक्त जबकि देश में अमीरी-गरीबी का अंतर सबसे ज्यादा है, बेरोज़गारी माउंट एवरेस्ट तक पहुंच चुकी है और आलम यह है कि नौकरी मांगने वालों को घसीट-घसीट कर पीटा जा रहा है, 30-40 करोड़ लोग गरीबी रेखा के दलदल में एक बार फिर से गिर चुके हैं – चाल, चरित्र और चेहरे वाली पार्टी की संपत्ति बेतहाशा बढ़ रही है.
कैसे हो सकता है कि देश कंगाल हो रहा, बीजेपी अमीर?
चौंकिए मत. आंकड़े मेरे नहीं बल्कि ADR के हैं जिसे आज ही (शुक्रवार) को जारी किया गया. ADR के मुताबिक देश की सबसे ईमानदार पार्टी — जिसका शीर्ष नेता खुद को फकीर कहता है — के पास 4,847.78 करोड़ की संपत्ति है.
यह सभी राष्ट्रीय पार्टियों की कुल संपत्ति का करीब 70 प्रतिशत है.
दूसरे नंबर पर है दलितों की पार्टी – यानि बहुजन समाज पार्टी. हां, हैरान बिल्कुल मत होइए. इस देश के सबसे गरीब (इतने गरीब कि शायद आप कल्पना भी न कर सकें) लोगों की पार्टी के पास करीब 700 करोड़ की संपत्ति है.
हां, देश में 70 साल तक राज़ करने वाली सबसे “भ्रष्ट” पार्टी कांग्रेस कुल 588 करोड़ की संपत्ति बना पाई. समाजवादी पार्टी के पास कांग्रेस से कुछ ही कम 563 करोड़ की संपत्ति है.
इस सदर्भ में कम्युनिस्ट पार्टियों की बात करना ही व्यर्थ है. जब आप यह सब कुछ पढ़ रहे होंगे तब ज़रूर ध्यान रखिएगा कि कांग्रेस 125 साल पुरानी पार्टी है जबकि बीजेपी, बीएसपी और एसपी की उम्र 30-40 साल भी नहीं. सब 80-90 के दशक की पार्टियां हैं.
संक्षेप में 70 साल की लूट बनाम 7 साल की फकीरी का बही-खाता यही है. बाकी रामराज्य तो है ही — इससे किसको इनकार हो सकता है.