: नई दिल्ली डेटलाइन से हिंदुस्तान अखबार में प्रकाशित हेमलता कौशिक की रिपोर्ट : निवेशकों की रकम हड़पने के आरोपी बिल्डर को अब सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की तर्ज पर ही जेल से संपत्ति का सौदा करना होगा। इस संपत्ति बिक्री से मिली रकम को निवेशकों को लौटाने पर ही बिल्डर की तिहाड़ जेल से रिहाई हो पाएगी। बिल्डर पिछले तीन महीने से जेल में है। उपभोक्ता अदालत ने अब साफ कर दिया है कि अगर बिल्डर निवेशकों को पैसा नहीं लौटाता तो उसे तीन साल जेल में ही बिताने होंगे। नई दिल्ली उपभोक्ता विवाद निपटारा फोरम के अध्यक्ष सी के चतुर्वेदी, वरिष्ठ सदस्य एस आर चौधरी और सदस्य रितु गरोडि़या की पीठ ने बिल्डर कंपनी मैसर्स यू-टर्न के प्रबंध निदेशक निखिल त्रिपाठी को तीन साल जेल की सजा सुनाई है। हालांकि साथ ही विकल्प दिया है कि अगर वह इस दौरान सभी वादी निवेशकों को उनकी रकम लौटा देते हैं तो उनकी जेल से रिहाई संभव हो सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि बिल्डर कंपनी पैसा लौटाने तक इस आदेश के खिलाफ अपील नहीं कर सकती।
दरअसल बिल्डर की तरफ से कई बार उपभोक्ता अदालत में निवेशकों को रकम लौटाने का आश्वासन दिया जा चुका है। लेकिन हर बार कोई नया बहाना बनाकर वादी निवेशकों को पैसा नहीं दिया जा रहा। जयपुर हाईवे पर प्लॉट आवंटन के नाम पर ली थी रकम यू-टर्न बिल्डर ने लोगों को जयपुर हाईवे पर प्लॉट बुक कराने के लिए समाचार पत्र में लोक-लुभावन विज्ञापन दिया। इस विज्ञापन के आधार पर सैंकड़ों लोगों ने बिल्डर के यहां लाखों रुपये जमाकर कर प्लॉट बुक करा दिया। लेकिन सालों गुजर जाने के बाद भी जब बिल्डर ने उन्हें प्लॉट आवंटित नहीं किया और न ही रकम लौटाई तो निवेशक इस मुद्दे को लेकर उपभोक्ता अदालत पहुंच गए। इनमें से एक निवेशक सुरेन्द्र कुमार शर्मा भी थे। उपभोक्ता अदालत ने शर्मा के पक्ष में 9 जुलाई 2014 को ही निर्णय सुनाते हुए बिल्डर कंपनी को कहा था कि वह दो लाख 62 हजार रुपये 9 फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ लौटाए। इसके अलावा 50 हजार रुपये वादी को मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना के एवज में दिए जाएं।
लेकिन ढाई महीना गुजार जाने पर भी बिल्डर ने रकम नहीं लौटाई। संपत्ति बेचने की लगाई गुहार यू-टर्न बिल्डर कंपनी के प्रबंध निदेशक निखिल त्रिपाठी को बुधवार को न्यायिक हिरासत में उपभोक्ता अदालत के समक्ष पेश किया। अदालत की रकम लौटाने की सख्ती को देखते हुए बिल्डर की तरफ से कहा गया कि उनके पास निवेशकों को लौटाने के लिए पैसे नहीं हैं। लेकिन उनके नाम पर कई संपत्ति हैं। इसे बेचकर वह निवेशकों का पैसा लौटा सकते हैं, इसलिए उन्हें जमानत दी जाए। लेकिन अदालत ने बिल्डर की इस दलील को नामंजूर कर दिया और कहा कि वह जेल से ही संपत्ति बिक्री प्रयास करें। 53 निवेशक लड़ रहे हैं कानूनी लड़ाई बिल्डर के खिलाफ 53 लोगों की तरफ से याचिका दायर की गई है। जिनमें से 18 के पक्ष में उपभोक्ता अदालत फैसला सुना चुकी है। बाकी 35 निवशकों के शिकायतपत्र पर सुनवाई चल रही है। निवेश रकम नहीं लौटाने पर ही बिल्डर निखिल पिछले तीन महीने से जेल में बंद हैं।
उन्हें न्यायिक हिरासत में ही अदालत में पेश किया गया। अदालत की तरफ से बिल्डर को वादियों की सूची भी सौंपी गई है। ताकि कितनी रकम लौटानी है इसका हिसाब उन्हें पता हो। जेल प्रशासन संपत्ति बिक्री के लिए करेगा व्यवस्था बिल्डर को जेल में अपनी संपत्ति का सौदा करने के लिए जेल प्रशासन को इसकी व्यवस्था करनी होगी। उपभोक्ता अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि जेल प्रशासन बिल्डर को जेल के भीतर वकीलों से मिलने व संपत्ति का सौदा करने की व्यवस्था करे। हालांकि इस सौदेबाजी में वकीलों को शामिल रखने की बात कही गई है। (साभार- दैनिक हिंदुस्तान)