दूरसंचार विभाग (डॉट) ब्रॉडबैंड की पहुंच बढ़ाने के लिए केबल टीवी की व्यापक व अंतिम उपभोक्ता तक कनेक्टिविटी का फायदा उठाने की योजना बना रहा है। सरकार केबल टीवी के लिए इंटरनेट सेवा प्रदाता (आईएसपी) लाइसेंस की नई श्रेणी बनाने पर विचार कर रही है। केन्द्र सरकार ऐसी ब्रॉडबैंड नीति लाने की योजना बना रही है जिसमें ब्रॉडबैंड को स्वास्थ्य व शिक्षा की ही तरह एक मौलिक अधिकार बना दिया जाए। इसके लिए सरकार उस प्रस्ताव पर पुनर्विचार कर सकती है जिसमें ब्रॉडबैंड सेवाएं देने के लिए केबल टीवी इंफ्रास्ट्रक्चर को आईएसपी के ‘फ्रैंचाइज़ी नेटवर्क’ के तौर पर इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया था।
इस समय केबल टीवी की पहुंच वायरलाइन टेलिफोन कनेक्शन से ज्यादा है और यह 10 करोड़ घरों तक पहुंच चुका है। दरअसल, केबल टीवी नेटवर्क का डिजिटलीकरण ही इस लिए किया गया कि केबल टीवी सेवा के साथ में ब्रॉडबैंड सेवाएं भी ग्राहकों तक पहुंचें। डॉट द्वारा तैयार किए गए नोट में कहा गया है, “आईएसपी लाइसेंस की मौजूदा शर्तों पर पुनर्विचार की जरूरत है और केबल टीवी ब्रॉडबैंड के लिए अलग से आईएसपी परमिट बनाई जा सकती है ताकि मौजूदा केबल टीवी इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध कराने में किया जा सके।”
ब्रॉडबैंड नीति के तहत साल 2020 तक 60 करोड़ ब्रॉडबैंड ग्राहकों तक पहुंचने के लक्ष्य की तारीख भी एक साल कम कर साल 2019 तक कर दी गई है। मार्च 2014 तक भारत का कुल ब्रॉडबैंड ग्राहक आधार 608.6 लाख है। इसका 460.1 लाख का बड़ा हिस्सा मोबाइल ब्रॉडबैंड के पास है और वायरलाइन ब्रॉडबैंड के 148.6 लाख यूज़र हैं।