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चंदे के मामले में बहुत आगे है भाजपा, चुनाव में उससे कांग्रेस के पिछड़ने पर हेडलाइन मैनेजमेंट देखिये

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार 22-23 में भाजपा को 720 करोड़ रुपये मिले हैं और कांग्रेस को सिर्फ 80 करोड़

संजय कुमार सिंह

आज के अखबारों की लीड दिलचस्प है। इंडियन एक्सप्रेस ने मणिपुर में संघर्ष के बाद 13 शव मिलने की खबर को लीड बनाया है जबकि 3 मई से अब तक 175 लोगों के मारे जाने की खबर फ्लैग शीर्षक है। अखबार ने विपक्षी सहयोगियों का कांग्रेस पर हमला, ममता इंडिया की बैठक में भाग नहीं लेंगी – शीर्षक खबर को टॉप पर रखा है। समुद्री तूफान के कारण चेन्नई में भारी बारिश और इसमें पांच लोगों की मौत की खबर फोटो के साथ है। और इसके नीचे प्रधानमंत्री का दावा – लोगों ने नकारात्मकता को खारिज कर दिया और सदन में हार का गुस्सा न निकालें की सलाह को फोटो के नीचे लगभग बीच में तीन कॉलम में छापा है। एक कॉलम से ज्यादा की एक और खबर का शीर्षक है, भारत के सबसे गरीबों में चाहत रखने वाले जिलों ने भाजपा की चुनावी जीत की संभावना बढ़ाई है। मिजोरम के चुनाव नतीजे की खबर का शीर्षक है, नए आये जेडपीएम ने मिजोरम में सत्ता पर कब्जा किया।

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टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर चार कॉलम में लीड है। शीर्षक है, चार साल पुरानी पार्टी ने एनडीए सहयोगी को बाहर किया, मिजोरम में दो तिहाई सीटें हासिल कीं। अखबार में एनसीआरबी के आंकड़ों के हवाले से पहले पन्ने पर खबर है कि राजधानी दिल्ली में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध बढ़ गये हैं। इस खबर के साथ छपी एक और खबर के अनुसार देश भर में अपराध की दर कम हुई है लेकिन साइबर अपराध बढ़े हैं। अखबार ने पहले पन्ने की एक खबर से बताया है कि भाजपा को 20,000 से ज्यादा के चंदे के रूप में 720 करोड़ रुपये मिले हैं और यह वित्त वर्ष 22-23 की बात है। इस अवधि में कांग्रेस को सिर्फ 80 करोड़ रुपये मिले हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि भाजपा की लोकप्रियता यहां भी दिख रही है और इससे साफ है कि कांग्रेस उससे बहुत पीछे है। लेकिन मीडिया में चुनाव हारना मुद्दा है यह जीत नहीं।  

कहने की जरूरत नहीं है कि भाजपा को चंदा ज्यादा मिल रहा है तो यह ज्यादा कमाने वालों का ही होगा और परोक्ष रूप से जनता का ही पैसा है। राहुल गांधी इसी पैसे की बात करते हैं लेकिन जनता मुफ्त राशन से खुश है और अखबार उसे बता नहीं रहे हैं। दैनिक जागरण जैसे अखबार ‘मोदी पर ही भरोसा’ जैसा शीर्षक जनता के भरोसे के लिए लगाते हैं। पर दान देने वालों का भरोसा भी उतना ही महत्वपूर्ण है। वह अखबारों में प्रमुखता कम पाता है। उल्टे ट्वीट के जरिये यह ज्ञान दिया जाता है कि, “नकारात्मक राजनीति, सरकार का विरोध करते-करते जाने-अनजाने देश विरोध की सीमा तक पहुंचना ठीक नहीं है”। प्रधानमंत्री भी विपक्ष से यही अपेक्षा करते हैं और विरोध को हार का गुस्सा बनाकर पश करते हैं। ज्यादातर अखबार बगैर किसी टीका-टिप्पणी के इसे यूं ही पहले पन्ने पर तान देते हैं।  

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द हिन्दू में चेन्नई की बाढ़ लीड है और मणिपुर का चुनाव परिणाम लीड के बराबर में पर दो कॉलम में है। शीर्षक है, एक पार्टी के शानदार प्रदर्शन में जेडपीएम ने मणिपुर को पूर्ण बहुमत से जीता। विपक्ष को संसद में गुस्सा नहीं निकालने की सलाह देने वाली प्रधानमंत्री की खबर के नीचे इंडिया समूह की पार्टियों के निर्णय की खबर है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर से अलग, द हिन्दू की खबर बताती है कि इंडिया समूह की पार्टियों ने तय किया है कि संसद के शीतकालीन सत्र में कोई बाधा नहीं डाली जायेगी और यह कांग्रेस अध्यक्ष के संसद कार्यालय में आयोजित एक बैठक में तय हुआ। इंडियन एक्सप्रेस की खबर छह दिसंबर की प्रस्ताविक बैठक के संबंध में है। द हिन्दू ने लिखा है कि समाजवादी पार्टी इस बैठक में मौजूद नहीं थी और ना ही उसका कोई प्रतिनिधि था।

अखबार ने समाजवादी पार्टी के सूत्रों के हवाले से लिखा है, ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया बल्कि राज्यसभा में पार्टी के नेता रामगोपाल यादव की कोई और व्यस्तता थी तथा किसी अन्य को इसके लिए तैनात नहीं किया जा सका। इंडियन एक्सप्रेस की खबर कहती है, वाराणसी में एक कार्यक्रम में कांग्रेस का नाम लिये बिना कहा, अब परिणाम आ गया है तो अहंकार भी खत्म हो गया। आने वाले समय में फिर रास्ता निकलेगा। हिन्दुस्तान टाइम्स में इससे संबंधित खबर का शीर्षक है, “इंडिया में अशांति, सहयोगियों ने कांग्रेस पर दबाव बढ़ाया”। 

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द हिन्दू में खबर है, तेलंगाना के मुख्यमंत्री को लेकर ससपेंस बना हुआ है, खरगे से फैसला करने के लिए कहा गया। नवोदय टाइम्स में लीड है, मुख्यमंत्रियों को लेकर कश्मकश। उपशीर्षक है – राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सीएम पद के दावेदारों ने शुरू की लामबंदी। तेलंगाना की खबर यहां भी सिंगल  कॉलम में अलग से है। शीर्षक है, तेलंगाना का सीएम कौन, खरगे तय करें। छत्तीसगढ़ में रेणुका सिंह भी दौड़ में है – शीर्षक से एक अलग खबर है। मुख्यमंत्रियों से संबंधित इस खबर में एक खबर है, राजस्थान में है सबसे खींचतान। मध्य प्रदेश की खबर का शीर्षक है, विजयवर्गीय के बयान से बढ़ी सियासी हलचल। मेरा मानना है कि मुख्यमंत्री कौन होगा – यह मुद्दा अखबारों में तभी होता है जब समस्या कांग्रेस के साथ हो। नवोदय टाइम्स ने भाजपा की समस्या को लीड बनाया है जो दुर्लभ है। वैसे भी हारने की उम्मीद में जीत के बाद मुख्यमंत्री से तय होगा कि झींका किसके भाग्य से टूटा। पर अक्सर यह मुद्दा ही नहीं होता है।   

आज के अखबारों में भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षण विमान की दुर्घटना में दो पायलट के मारे जाने की भी खबर है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने इसे पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर छापा है। एनसीआरबी के आंकड़ों से संबंधित खबर का शीर्षक हिन्दुस्तान टाइम्स में इस तरह है, 2022 के दौरान साइबर अपराध में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई। एक और खबर के अनुसार दिल्ली में रोज तीन अपराध का औसत है और यह अभी भी महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने प्रधानमंत्री की सलाह को आज लीड के रूप में छापा है। शीर्षक है, “प्रधानमंत्री ने कहा, विपक्ष महत्वपूर्ण है उसे सदन में गुस्सा नहीं निकालना चाहिये”। मुझे लगता है इस शीर्षक से प्रधानमंत्री के एक अच्छे-भले बयान की हत्या हो गई है और बयान का महत्व अगर नहीं समझ में आये तो वीडियो में पीछे खड़े नेताओं को देखिये, उनका मुस्कान देखिये। फोटो नवोदय टाइम्स में है।         

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इन सबसे अलग द टेलीग्राफ की लीड का शीर्षक है, लोकसभा मोदी के इको चैम्बर में बदल गई। नई दिल्ली डेटलाइन से जेपी यादव की बाईलाइन वाली इस खबर का उपशीर्षक है, सांसद को अपमानित करने की याद दिलाना टाल दिया गया। खबर के अनुसार, जीत पर खुशी मना रहे सांसदों ने संसद में पहली बार जो किया वह सब तो अपनी जगह है ही। लेकिन जैसे ही विपक्ष ने इस अपमान का मुद्दा उठाया, मोदी सदन छोड़कर जाते दिखे। इस मौके पर बसपा सांसद दानिश अली ने अपने गले में दो तख्तियां लटका रखी थीं। इनपर लिखा था, सांसद का अपमान संसद का अपमान है और विधुरी को सजा दो, लोकतंत्र बचाओ। कहने की जरूरत नहीं है कि संसद में यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा होना चाहिये था लेकिन बहुमत सांसद नारे लगा रहे थे, एक ही गारंटी, मोदी की गारंटी और बार-बार मोदी, तीसरी बार मोदी। कहने की जरूरत नहीं है कि चुनावी रैली में जो ना नारा मोदी लगाते थे वही नारा भाजपा के सांसद संसद में लगा रहे थे।    

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