Kanwal Bharti : “चोरी करना पाप है”, यह हर धर्म ने कहा है. चोरी कौन करता है? चोरी वह करता है, जिसके पास कुछ नहीं होता है. वह चोरी वहां करता है, जहाँ सब कुछ होता है. यह सच उस काल का है, जब सारे संसाधनों पर वर्ग विशेष का कब्ज़ा हो चुका था और कुछ लोगों के पास जिंदा रहने के लिए कुछ भी नहीं बचा था.
ऐसे हालात में भूखे लोगों ने पेट-भरे लोगों के घरों से कुछ मांगने की कोशिश की होगी. पर उन्हें न काम मिला होगा और न खाने को कुछ अन्न. तब वे अपना पेट भरने के लिए उनके घरों से चोरी ही कर सकते थे. तब धर्म ने व्यवस्था दी कि चोरी करना पाप है. सभी धर्मों ने कहा, बुद्ध ने भी कहा. इसका मतलब क्या है? धर्मों ने संपन्न लोगों के धन-धान्य की ही चिंता की. जबकि चोरी करना पाप नहीं है, एक समस्या है. इसे समस्या के रूप में न धर्मों ने देखा और न राजव्यवस्था ने.
जाने माने दलित चिंतक और साहित्यकार कंवल भारती के फेसबुक वॉल से.