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उत्तर प्रदेश

पुलिस ने निर्मल बाबा की बातों को अर्थहीन बताते हुए क्लीन चिट दी

आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर के बच्चों तनया और आदित्य ठाकुर द्वारा थाना गोमतीनगर, जनपद लखनऊ में निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा के विरुद्ध अत्यंत सरलीकृत बातें और समाधान प्रस्तुत कर ईश्वरीय नाराजगी का भय दिखा कर पूरे देश की गरीब, अनपढ़ जनता को ठगने के सम्बन्ध में दर्ज मुक़दमा अपराध संख्या 202/12 धारा 417/419/420/508 आईपीसी में पुलिस ने दूसरी बार फ़ाइनल रिपोर्ट लगा दी है.

<p>आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर के बच्चों तनया और आदित्य ठाकुर द्वारा थाना गोमतीनगर, जनपद लखनऊ में निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा के विरुद्ध अत्यंत सरलीकृत बातें और समाधान प्रस्तुत कर ईश्वरीय नाराजगी का भय दिखा कर पूरे देश की गरीब, अनपढ़ जनता को ठगने के सम्बन्ध में दर्ज मुक़दमा अपराध संख्या 202/12 धारा 417/419/420/508 आईपीसी में पुलिस ने दूसरी बार फ़ाइनल रिपोर्ट लगा दी है.</p>

आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर के बच्चों तनया और आदित्य ठाकुर द्वारा थाना गोमतीनगर, जनपद लखनऊ में निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा के विरुद्ध अत्यंत सरलीकृत बातें और समाधान प्रस्तुत कर ईश्वरीय नाराजगी का भय दिखा कर पूरे देश की गरीब, अनपढ़ जनता को ठगने के सम्बन्ध में दर्ज मुक़दमा अपराध संख्या 202/12 धारा 417/419/420/508 आईपीसी में पुलिस ने दूसरी बार फ़ाइनल रिपोर्ट लगा दी है.

इस मामले में पहले जब पुलिस ने मुक़दमा दर्ज नहीं किया था तो इन बच्चों द्वारा सीजेएम लखनऊ की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया गया था जिस पर सीजेएम ने मामले में प्रथमद्रष्टया सत्यता पाते हुए मुक़दमा दर्ज करने का आदेश दिया था.

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इसके बावजूद पहले विवेचक राजेश कुमार सिंह, सब-इंस्पेक्टर, गोमतीनगर ने अत्यंत सतही तफ्तीश के बाद 02 अगस्त 2012 को पांचवे पर्चे में ही यह कहते हुए फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी कि वादी पक्ष द्वारा कोई भी पीड़ित एफआईआर के समर्थन में नहीं लाया गया और कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया.

क्षेत्राधिकारी, गोमतीनगर ने 17 अक्टूबर 2012 के आदेश द्वारा अन्तिम रिपोर्ट रोक कर विवेचना बीआर विक्रम को दी थी लेकिन बीआर विक्रम ने भी मात्र तीन पर्चे काटे और कोई भी नया प्रयास नहीं किया. 15 मई 2013 को तीसरे पर्चे में यह तो लिखा कि “निर्मल बाबा के वक्तव्य और भक्तों से बातचीत करने, प्रश्न और उत्तर का अवलोकन करने से निर्मल बाबा की बातें अर्थहीन तो अवश्य लगती हैं” पर साथ ही यह लिखते हुए कि “उनका कथन और आचार व्यवहार से आरोपित धाराएँ गठित नहीं होती हैं” बिना वादी को बताये चुपके से अन्तिम रिपोर्ट सीजेएम कोर्ट भेज दिया गया.

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अब इस बात की जानकारी होने पर इन बच्चों की माँ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने कहा है कि वे इसके खिलाफ सीजेएम कोर्ट में अपील करेंगी और साथ ही मामले की सही विवेचना हेतु डीजीपी से मिलेंगी.

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