कानपुर । उत्तर प्रदेश सरकार ने कल पीपीएस अधिकारीयों के स्थानान्तरण की एक लंबी चौड़ी सूची जारी की। इस सूची से किसी को नुकसान या फायदा हुआ हो न हुआ हो लेकिन कानपुर की मीडिया को जरूर अपनी पीठ थपथपाने का मौका मिल गया। इस सूची से पता चलता है कि कानपुर से श्रीपाल यादव को हटाकर चित्रकूट भेज दिया गया। बस इसी स्थानान्तरण को लेकर कानपुर मीडिया के लोग आज निर्भय होकर अपनी बहादुरी के झण्डे गाड़ रहे हैं।
श्रीपाल यादव कानपुर में बतौर सीओ तैनात थे। सावन के अन्तिम सोमवार को इनकी तैनाती कानपुर के प्रसिद्ध आनन्देश्वर मन्दिर में थी। इस दौरान कानपुर प्रेस क्लब के एक पूर्व पदाधिकारी दर्शन हेतु उस गेट से घुसने लगे जिस गेट से दर्शनार्थी दर्शन कर वापस लौट रहे थे। वहां पर तैनात श्रीपाल यादव ने उन्हें इस गेट से प्रवेश देने से मना कर दिया जिससे वह उस गेट से नहीं घुस पाये। इसके कारण वह सीओ से उलझ गये और प्रेस क्लब के अध्यक्ष सहित ढेर सारे पत्रकार एकत्र हो गये। आईजी से मिलने गये। आईजी द्वारा जांच का झुनझुना थमा देने पर संतोष लेकर वापस आये।
करीब एक माह पूर्व एक बड़े अधिकारी के कानपुर आगमन पर भी इन्होंने उक्त सीओ की शिकायत की लेकिन सत्ता में जोरदार ठसक के चलते उक्त सीओ का बाल बांका भी नहीं हुआ। अभी कुछ दिन पूर्व इसी सीओ द्वारा एक पत्रकार के परिजनों से अभद्रता की गयी। फिर एक बार सीओ के खिलाफ लामबन्द हुये पत्रकार लेकिन मामला वही ढाक के तीन पात वाला हुआ। एक कहावत है कि बिल्ली के भाग्य से छीका फूट गया। यही कहावत यहां के पत्रकारो पर सटीक बैठ रही है। मुख्यमंत्री द्वारा भारी संख्या में किये गये स्थानान्तरण में श्रीपाल यादव का भी चित्रकूट स्थानान्तरण किया गया है। इसी को लेकर शहर के पत्रकार खूब लम्बे लम्बे किस्से गढ रहे हैं। कोई मुख्यमंत्री से अपने सम्बन्धों की दुहाई दे रहा है तो कुछ एक कबीना मंत्री से अपने रिश्तों का बखान कर रहा है। लेकिन लब्बोलुआब यही है कि जान बची तो लाखो पायें।
कानपुर से शशिकांत अवस्थी की रिपोर्ट.