राजस्थान के श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय से प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक हिन्दी समाचार पत्र ‘आखिरी पन्ना’ के सम्पादक, प्रकाशक ओर स्वत्वाधिकारी को मानहानि के एक प्रकरण में गुरुवार को न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जमानत करवानी पड़ी। मानहानि का यह मामला श्रीगंगानगर के एक बैंक अधिकारी की ओर से इस साल 7 मई को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दायर किया गया था। समाचार पत्र ‘आखिरी पन्ना’ के सम्पादक विकास सचदेवा, प्रकाशक राजेश अग्रवाल एव स्वत्वाधिकारी मनीष शर्मा को धारा 500, 501, 502 आई.पी.सी. के तहत आरोपी बनाया गया है।
आरोप है कि ‘आखिरी पन्ना’ द्वारा बैक अधिकारी के विरूद्व जनवरी 2014 से मई 2014 के बीच तथ्यहीन एवं भ्रामक समाचारों की मुहिम चलाई गई, जिसे आधार बनाते हुये यह इस्तगासा दायर किया गया। इस पर संज्ञान लेते हुये अदालत ने तीनों आरोपियों को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जमानत करवाने के निर्देश दिये थे। अदालत ने तीनों आरोपियों से 15-15,000 रुपए के निजी मुचलके भरवाये।
बैंक अधिकारी द्वारा दायर इस्तगासा के अनुसार समाचार पत्र के प्रकाशक राजेश अग्रवाल के खिलाफ बैंक का ऋण चुकता नहीं करने और चेक अनादरण का मामला 138 एनआई एक्ट में बैंक द्वारा दायर किया हुआ है, जिसे वापस लेने के लिये आरोपी बैंक अधिकारी पर लगातार दबाव डाल रहे थे। जब दबाव काम न आया तो अनर्गल खबरें प्रकाशित करना शुरू कर दी। यह मुकदमा अदालत में विचाराधीन है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।