डॉ अतुल मोहन सिंह-
नहीं… नहीं… ये कई दिन के अखबार नहीं हैं…। आज का ही दैनिक जागरण है जिसमें आठ मुख पृष्ठ हैं! बदलते भारत में वो सब मुमकिन है जो पहले कभी सोचा भी नहीं गया होगा! धनतेरस की ढेर सारी बधाइयाँ!
Anupam Singh- खुलेआम 7 पेज की सरकार से चोरी। काला धन अंदर। जीएसटी, आयकर रिटर्न सभी की चोरी। करोड़ों के वारे न्यारे।
Dinesh Sharma- यह विज्ञापन अखबार हमने एक हफ्ता पहले बंद कर दिया है.
Ashok Shukla- विज्ञापन स्वीकारें..लेकिन उसे विज्ञापन ही रहने दें अपना चेहरा ना बनाएं…देखा नहीं क्या हालत कर ली है आठ आठ चेहरे..? बस दशानन होने में दो ही बाकी है…
Murari Yadunath Singh- 2018 में षष्ठानन था। आज तो अष्टानन हो गया ब्रह्मांड का नं.1 अखबार! अगले दशहरे तक दशानन हो जाएगा ये।
Deepa Shukla- यह सिर्फ दुकान चलाते हैं सत्य की खबर दिखाने से डरते हैं दैनिक जागरण वाले.
Rakesh Shukla- गलत क्या है, यहां ऐसे भी लोग हैं जो पैसों के लिए ईमान बेच देते हैं इन्होंने तो पेपर ही बढ़ाया है। इतने बड़े संस्था को चलाने के लिए आवश्यक है।
Abhishek Shukla- मुझको साल भर हो गए अपने यहाँ दैनिक जागरण बंद कर चुका हूँ
Alok Brijnath- सभी जानते हैं कि मीडिया वर्तमान में एक उद्योग है, इसके बावजूद मीडिया से जुड़े लोग ही सबसे ज्यादा ढोंग करते हैं कि सिर्फ हम ही सत्यनिष्ठ हैं, शेष भ्रष्टाचारी हैं। मेरा दैनिक जागरण से न तो कोई संबंध कभी रहा, न है, और न अब मेरी आयु ऐसी है कि भविष्य में बने, फिर भी कहूंगा कि उसे सर्वाधिक विज्ञापन मिलना क्या उसकी लोकप्रियता और प्रसार का परिचायक नहीं है। और यहां गाल बजा रहे लोगों में से कितने ऐसे हैं, जो स्वयं विज्ञापन मिले, तो उसे ठुकरा देने की कुव्वत रखते हैं।
Alok Srivastava- Though the reporters put on there max input but the management had just made it a business venture. Its painful to buy this news paper always full of adds, for news they don’t have space, calling it a business directory is better than calling it a news paper.
Jay Prakash Singh- इनका सर्कुलेशन धीरे-धीरे घट भी रहा है। हमारे यहाँ के अभिकर्ता बता रहे थे।
sanjay singh- मुख्य पेज बोलकर सबको विज्ञापन के लिए ठगना जो है!
puru sharma- सबको सामान भाव से देखने की दृष्टि है। अब हमारी सरकार में हर पेज फ्रंट पेज है। कोई भी पिछड़ा नहीं है। सबका साथ, सबका विकास।