उत्तराखंड के सरोकारी पत्रकार दीपक आजाद ने जनहित में एक बड़ा कदम उठाया. उन्होंने बड़ी कंपनियों को औने-पौने दामों पर जमीन देने के राज्य सरकार की नीति के खिलाफ उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. नैनीताल से खबर है कि हाईकोर्ट ने सिडकुल की ओर से हरिद्वार और पंतनगर की भूमि कम दामों पर प्राइवेट कंपनियों को आवंटित करने के मामले में सुपरटेक और अंतरिक्ष कंपनियों को नोटिस जारी किया है. साथ ही राज्य सरकार और सिडकुल को भी जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. एक्टिंग चीफ जस्टिस वीके बिष्ट एवं न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की संयुक्त खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई.
देहरादून के पत्रकार और एक्टिविस्ट दीपक आजाद ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सिडकुल की ओर से हरिद्वार और पंतनगर स्थित भूमि कौड़ियों के भाव प्राइवेट रियल स्टेट कंपनियों को दी जा रही है. याचिकाकर्ता का कहना था कि हरिद्वार में भूमि का आवंटन 65 सौ रुपये वर्गमीटर और पंतनगर में 58 सौ रुपये वर्गमीटर की दर पर किया जा रहा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सार्वजनिक भूमि औद्योगिक विकास के लिए सिडकुल को आवंटित की गई थी. ऐसे में सिडकुल की ओर से भूमि को आवासीय उद्देश्य के लिए आवंटन करना गैरकानूनी है. याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि निजी कंपनियों को वर्ष 2007 में यही भूमि 20,502 रुपए वर्गमीटर की दर से आवंटित की गई थी. पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सुपरटेक और अंतरिक्ष कंपनियों को नोटिस जारी किया है. साथ ही राज्य सरकार और सिडकुल को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं.
वर्ष 2012 में सरकार ने पंतनगर व हरिद्वार सिडकुल में नियमों को ताक पर रख बेशकीमती जमीन को कौड़ियों के भाव बिल्डरों को बेच दिया था. यह खबर अमर उजाला ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी और इसके बाद विपक्ष ने सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी थी. कृषि विवि से पंतनगर में कौड़ियों के मोल ली गई जमीन को सिडकुल ने बिडिंग करके औने पौने दामों पर एक बड़ी कंपनी को दे दिया गया. हरिद्वार में भी बीएचईएल से सिडकुल स्थापित करने को निशुल्क ली जमीन का बड़ा भू-भाग बड़े बिल्डर को दे दिया था. 2004 में कृषि विवि पंतनगर की 3291 एकड़ जमीन में सिडकुल स्थापित करने की शुरुआत हुई. विवि से यह जमीन 125 रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से खरीदी गई. पूरी जमीन पर उद्योग स्थापित नहीं हुए.
शासन स्तर पर योजनाबद्ध तरीके से एक प्रोजेक्ट बनाकर पंतनगर सिडकुल में खाली पड़ी लगभग 28 एकड़ जमीन की हाउसिंग टाउनशिप के लिए बिडिंग हुई. प्रक्रिया की औपचारिकता पूरी करके सुपरटेक नाम की एक इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को लगभग छह हजार रुपए गज के हिसाब से जमीन बेच दी गई. कंपनी ने बैनामा कराने केकुछ ही दिन बाद इसी जमीन का रेट 31 हजार रुपए गज केहिसाब से लांच किया. उधर, हरिद्वार सिडकुल में उद्योग नहीं लगने के कारण खाली पड़ी लगभग 22 एकड़ भूमि को भी एक बिल्डर कंपनी को थमा दिया गया. हालांकि यहां भी भूमि देने का तरीका बिडिंग वाला ही रहा. सिडकुल बनाने के लिए यह जमीन बीएचईएल से निशुल्क ली गई थी. लेकिन यहां भी पंतनगर की कहानी दोहराई गई. इस 22 एकड़ के भूखंड को अंतरिक्ष नाम की कंस्ट्रक्शन कंपनी को लगभग साढ़े छह हजार रुपये वर्ग गज के हिसाब से लुटा दिया गया. सूत्रों की माने तो यहां भी इस कंपनी ने तीस हजार रुपये प्रति गज के हिसाब से रेट खोलने की तैयारी की है. जमीन के लिए जिन तीन कंपनियों ने पंतनगर व हरिद्वार में टेंडर डाले थे उसमें भी गोलमाल था. क्योंकि दोनों जगह ही वहीं तीन कंपनियां थी और कई के आपस में आधिकारिक ताल्लुकात थे. लेकिन उस समय सरकार ने भी संज्ञान नहीं लिया था.
दीपक आजाद का कहना है कि उनके कालेज के दिनों के साथी और जनसरोकारों से गहरे तक जुड़े नवनीश नेगी ने पीआईएल तैयार कराने में मुख्य भूमिका निभाई. नैनीताल हाईकोर्ट में वकालत कर रहे नवनीश भाई के सहयोग से हाईकोर्ट में सिडकुल जमीन घोटाले पर दायर मेरी पीआईएल पर कोर्ट ने सरकार व कंपनियों को नोटिस जारी कर जववा मांगा है. अब देखते हैं आगे क्या होता है. हमारी मांग पर राकेश शर्मा एंड कंपनी पर सीबीआई जांच का फंदा कसता है या नहीं, यह भविष्य के गर्भ में है.
gajendra Nautiyal
July 8, 2014 at 3:25 am
bahut bada kam, Deepak hum tumahare sath hain kabhi akela mat samjho!
shabbankhangul
July 8, 2014 at 9:21 pm
thek kiya dipak bhai aap nai