नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में 23 अगस्त को तलब किए गए श्रम आयुक्तों के सक्रिय होने से अखबारों खासकर दैनिक जागरण प्रबंधन के तोते उड़ गए हैं। अब सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए दैनिक जागरण के कुतर्क यानी 20जे की हवा निकलने लगी है। पिछले दिनों 16 अगस्त 2016 को उत्तर प्रदेश के श्रम आयुक्त महोदय के बुलावे पर तमाम उप श्रम आयुक्त और विभिन्न अखबारों में कार्यरत कर्मचारी व प्रबंधन के लोग कानपुर पहुंचे।
वहां जब इलाहाबाद, बनारस और कानपुर के कर्मचारियों ने श्रम आयुक्त महोदय के सामने 20जे की हवा निकालनी शुरू की तो दैनिक जागरण प्रबंधन की ओर से गए एचआर उपमहाप्रबंधक मनोज दुबे बिलबिला गए और श्रम आयुक्त के सामने ही कर्मचारियों को धमकाने लगे और बोले- सभी को बर्खास्त कर दिया जाएगा। हालांकि इस पर श्रम आयुक्त महोदय ने उन्हें डांटा, लेकिन इस मौके पर जागरण की गुंडागर्दी खुल कर सामने आ गई। कर्मचारियों ने इसकी शिकायत दर्ज करा दी है।
दैनिक जागरण के मैनेजमेंट के बारे में कहा जाता है भगवान जब दिमाग बाट रहा था तो दैनिक जागरण के मालिक और अधिकारी घमण्ड में चूर होकर दिमाग बाटने वाले से दिमाग की जगह पैसे मांगने में लगे थे। कानपुर में जागरण के अधिकारी घमण्ड में फिर एक बार चूर होकर दिमाग का इस्तेमाल करना भूल गए। श्रमायुक्त के यहां विभिन्न अखबार के कर्मचारी व प्रतिनिधियों की दिनांक १६ / ८ / २०१६ को मजीठिया वेज बोर्ड के कियान्यन में जो बैठक बुलायी गयी थी उसमें सारे पत्रकार व गैर पत्रकारों ने अपना अपना पक्ष दमदारी के साथ रखा और मजीठिया वेज बोर्ड की धारा २० (जे) की बात उठाई।
दैनिक जागरण का प्रबंधतंत्र जिसमें मनोज दुबे भी शामिल हैं, खीझ कर श्रमायुक्त के समक्ष ही सस्पेन्ड करने व बरखास्त करने की धमकी कर्मचारियों को देने लगे। इस अधिकारी ने घमंड में होकर ऐसी हरकत की जिसके बाद इस ओर श्रमायुक्त का ध्यान जागरण के कर्मचारियों ने दिलाया तो श्रमायुक्त ने हस्तक्षेप करके ऐसा न करने का आदेश दिया। २०जे पर कर्मचारीगण द्वारा जबरदस्त विरोध किया गया। फिलहाल इतना तो तय है कि जागरण के मैनेजमेंट के साथ अधिकारी भी सुप्रीम कोर्ट से खौफ खाये हुए हैं। मगर फिर भी जिस तरीके से जागरण के एक मामूली अधिकारी ने कानपुर के श्रम आयुक्त के सामने ही कर्मचारियों को ट्रांसफर और टर्मिनेशन तथा निलंबन की धमकी दी उससे पत्रकारों में जमकर गुस्सा है।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.