दिल्ली पुलिस को जब भी मौका लगता है पत्रकारों के काम में बाधा जरूर डालती है। ताजा मामला उत्तर-पूर्वी जिले के वेलकम इलाके का है, जहां पुलिस ने अपनी वर्दी का रौब कवरेज के लिए गए दैनिक जागरण के पत्रकार को दिखाया। बाबरपुर इलाके में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की कवरेज के लिए दैनिक जागरण के संवाददाता सचिन त्रिवेदी मौके पर मौजूद थे। संवाददाता मामले से जुड़ी जानकारी जुटा रहे थे, और कार्रवाई की फोटोग्राफी कराई जा रही थी। तभी दो पुलिसकर्मी उनके नजदीक पहुंचे और उन्हें कवरेज करने से रोक दिया। इस दौरान पुलिस कर्मचारियों ने संवाददाता से धक्का-मुक्की की और अभद्र भाषा का भी प्रयोग किया।
विरोध करने पर पुलिसकर्मी उन्हें वहां मौजूद वेलकम थाने के इंस्पेक्टर विजय कटारिया के पास ले गए, जिसके बाद विजय कटारिया ने फोटो खींचने से मना किया। वहीं भीड़ में महिलाओं से छेड़छाड़ करने व सीआरपीएफ के जवानों के साथ झगड़ने का मामला बनाकर अंदर करने की धमकी भी दी। इस दौरान संवाददाता का परिचय पत्र जब्त कर पुलिस उसे जबरन गाड़ी में बैठाकर करीब आधे घंटे तक घुमाती रही। बाद में दोबारा इलाके में नजर नहीं आने की धमकी देकर सचिन त्रिवेदी को छोड़ दिया गया। इस संबंध में जिला पुलिस उपायुक्त आरए संजीव से लिखित शिकायत की गई है, इसके अलावा उन्हें घटना के बाद मोबाइल पर एसएमएस भेजकर भी शिकायत की गई। इस बाबत जिला पुलिस उपायुक्त आरए संजीव का कहना है कि मौके पर मौजूद सीआरपीएफ की महिला पुलिसकर्मियों ने कुछ लोगों के खिलाफ बदतमीजी करने की शिकायत की थी, जबकि वास्तविकता यह है कि मौके पर सीआरपीएफ की कोई महिला पुलिसकर्मी नहीं थी। इस संबंध में मौके पर की गई फोटोग्राफी इसकी तस्दीक करती है।