Abhishek Shrivastava : ये लीजिए… भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत दिवस पर एक और कथित ”वैकल्पिक मीडिया” लॉन्च हो चुका है जिसे मौजूदा मीडिया से दिक्कत है और जो सच बोलना चाहता है। अभी वेबसाइट से शुरुआत है, बाद में कहते हैं कि चैनल भी आएगा। आग्रह सच्चाई का है, लेकिन टैगलाइन ही झूठी है। साइट का नाम indiasamvad.co.in है। वेबसाइट पर नाम के ऊपर लिखा है “nation’s first people owned media”. अगर 16 सदस्यों के ट्रस्ट के कारण जनता के मालिकाने की बात कही जा रही है, तो यह साफ़ झूठ है क्योंकि कई ट्रस्ट मीडिया में मौजद हैं।
अगर आशय जनता के चंदे से है, तो जनता के चंदे से निकलने वाले पत्र-पत्रिकाओं और साइटों को हम में से जाने कितने लोग उंगलियों पर गिनवा सकते हैं। किसने आपको जनता की मिल्कियत वाला देश का पहला मीडिया कहने का सर्टिफिकेट दिया भाई? प्रकाश डालें। इस समूह से जुडे Balendu Swami, Deepak Sharma, अमिताभ श्रीवास्तव, एडवोकेट विराग गुप्ता से लेकर तमाम लोगों की पोस्ट इस बारे में मैं पढ़ गया, लेकिन कहीं भी India Samvad Public Charitable Trust के सदस्यों का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है। दीपक शर्मा आरटीआइ कार्यकर्ताओं को अपने यहां काम करने का न्योता दे रहे हैं, लगे हाथ उन्हें अपने ट्रस्टियों के नाम भी जनता को बता देने चाहिए। जनता के मालिकाने वाले मीडिया का अगर दावा है, तो इतनी पारदर्शिता बनती है। ये तस्वीर मैं बालेंदु स्वामी की दीवार से साभार उठा रहा हूं।
पत्रकार, सोशल एक्टिविस्ट और मीडिया विश्लेषक अभिषेक श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से.
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