इंडिया संवाद ट्रस्ट से दीपक शर्मा और नाज़िम नक़वी का इस्तीफा

Deepak Sharma : तकरीबन ढाई साल पहले फेसबुक की इसी वाल पर मैंने एक इंडिपेंडेंट पब्लिक मीडिया आउटलेट की पैरवी की थी. एक ऐसी आज़ाद मीडिया जो सरकार और कॉर्पोरेट की मदद के बिना चले. ये पहल , देश में स्वतंत्र मीडिया को आगे बढ़ाने की अपनी किस्म की एक नायब शुरुआत थी. शायद इसलिए सोशल मीडिया पर इस कांसेप्ट को भरपूर समर्थन मिला और रोज़ाना इस कांसेप्ट से लोग जुड़ते चले गए. कुछ ही महीनो में इंडिया संवाद का नामकरण हुआ और कई स्थापित पत्रकारों की अगुवाई में एक वेबसाइट शुरू कर दी गयी. पहले अंग्रेजी में और बाद में हिंदी में. हिंदी की न्यूज़ वेबसाइट ज्यादा कामयाब हुई. कामयाबी मिली तो इंडिया संवाद ने कुछ उतार चढ़ाव भी देखे. कुछ विचारों के मतभेद रहे, कुछ संवाद के ट्रस्ट मॉडल को लेकर …और आखिरकार कुछ साथी बिछड़े और कुछ नए शामिल हुए. पर इंडिया संवाद बढ़ता रहा.

पत्रकार दीपक शर्मा समेत कइयों के खिलााफ मुकदमा दर्ज

‘आजतक’ न्यूज चैनल में लंबे समय तक खोजी पत्रकारिता करने वाले पत्रकार दीपक शर्मा पिछले कुछ साल से ‘इंडिया संवाद’ नामक अपना वेब पोर्टल चला रहे हैं. इस पोर्टल से कई पत्रकारों और नौकरशाहों को उन्होंने जोड़ रखा है. पोर्टल और इसके संचालकों पर कई बार गंभीर किस्म के आरोप लगे. ताजा मामला लखनऊ का है. यहां के एक थाने में दीपक शर्मा और पोर्टल से जुड़े कई अन्य पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है.

मुकेश अंबानी अमेरिकी मीडिया को भी पटाने में कामयाब, अपनी पत्नी को घोषित कराया सबसे ताकतवर बिजनेस वुमन!

Deepak Sharma : खुद का न्यूज़ चैनल हो तो फिर चाहे प्राइम टाइम एंकरिंग करनी हो या अपने नाम से कोई शो…तो ये कौन सी बड़ी बात है? लेकिन अगर आपके पास दुनिया की सबसे बड़ी बिज़नेस पत्रिका का लाइसेंस हो तो फिर क्या होगा? …. जान कर हैरत होगी कि फोर्ब्स मैग्ज़ीन ने नीता अम्बानी को एशिया की सबसे ताकतवर बिज़नेस वुमन घोषित कर दिया. ये जानते हुए भी कि नीता अम्बानी रिलायंस के बोर्ड में नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं. यानि नीता अपने पति मुकेश की वजह से सिर्फ बोर्ड में मनोनीत हैं. नीता का रिलायंस के अहम बिज़नेस फैसलों में कभी लेना देना नहीं रहा. फिर भी उन्हें बिज़नेस की सबसे बड़ी उपाधि मिल गई है.

वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा ने दिलीप मंडल, बरखा दत्त और सुधीर चौधरी से पूछा एक-एक गंभीर सवाल… क्या ये लोग जवाब देंगे?

Deepak Sharma : दलित कह रहे हैं ब्राह्मणवाद खत्म होना चाहिए. और बहन मायावती पंडित सतीश चन्द्र मिश्रा को पार्टी के चुनाव प्रभार की बागडोर सौंप रही हैं. भक्त कह रहे हैं मुसलमान बीफ से परहेज करें वरना हिसाब होगा. उधर मोदी जी अरब के बीचोंबीच अबु धाबी में मंदिर निर्माण कर रहे हैं. कन्हैया मज़दूर की लड़ाई लड़ना चाहता है और दूसरी ओर कामरेड जावेद अख्तर जेट एयरवेज की डायरेक्टरशिप लेकर पूँजीवाद का पूरा मज़ा ले रहे हैं.

सेलिब्रिटी पत्रकार महोदय, वक़्त अब आइना देखने का है… कैमरा देखने का नहीं

Deepak Sharma : ये इस देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ के तथाकथित बड़े पत्रकार चरमराती व्यवस्था को अनदेखा कर हिन्दू-मुस्लमान और दलित सवर्ण के मुद्दों पर अपनी उर्जा ज्यादा खर्च कर रहे हैं. हर मुद्दे में उनका दृष्टिकोण जाति-धर्म से जुड़ा-बिंधा होता है. इस तरह वो देश के ज्वलंत मुद्दों को ढक देते हैं. अंग्रेजी में इसे camouflage कहते हैं ..यानी तथ्यों का छ्द्मावार्ण करना. मैं ये नही कह रहा कि इन विषयों पर नही लिखा जाना चाहिए लेकिन बड़े मंच का इस्तेमाल कर रहे पत्रकारों को अपनी उर्जा और अपना धन कुछ बड़ी और मूल्य समस्याओं पर केन्द्रित करना होगा. जिस देश में हर बड़ी सरकारी योजना को दिल्ली के पांचसितारा क्लबों में बैठे दलाल बीच रास्ते मे लूट लेते हों उनको कोई बेनकाब क्यूँ नही करता?

टीवी पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी पर ट्विटर से कई सेक्सिस्ट टिप्पणियां करने वाले अंग्रेजी के एक बड़े पत्रकार जाएंगे जेल

(टीवी पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी)


Deepak Sharma : महिलाओं का सम्मान किया जाना चाहिए. चाहे वो कर्मचारी हों या अधिकारी. चाहे वो पत्रकार हों या टीवी पर खबर पढ़ने वाली एंकर. भाषा का संयम और भद्रता अनिवार्य है. वरना वही हाल होगा जो अब दिल्ली के अंग्रेजी अखबार के एक बड़े पत्रकार का होने वाला है. इन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से टीवी पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी पर कई सेक्सिस्ट टिप्पणियां की और आज़िज़ आकर स्वाति ने पुलिस में रिपोर्ट लिखवा दी.

पीटर को मार उसकी 150 करोड़ की सम्पति के साथ इंद्राणी का INX पार्ट-2 का ग्रैंड प्लान था!

Deepak Sharma : अपने देश के लिए मै किसी भी हद तक जा सकता हूँ. अगर किसी शत्रु की हत्या भी करनी पड़े तो मुझे अंतर मन में ज़रा भी अपराध बोध नही होगा . लेकिन अपने निजी जीवन में परिस्थियां बिलकुल विपरीत हैं. घर में तो मुझे पालतू कुत्ते को डांटने पर भी सोचना पड़ता है. और माँ से तो जब कभी विवाद होता था तो उस दिन तो दफ्तर में एक अपराध बोध के साथ काम करता था और रात में घर लौटकर जब तक माँ को मना न लेता तो मन को चैन नही आता था.

अखिलेश ने रोका न होता तो आजम खान ने ‘आजतक’ के कई वर्तमान-पूर्व पत्रकारों को जेल भेजने की व्यवस्था कर दी थी

राहुल कंवल, पुण्य प्रसून, गौरव सावंत, दीपक शर्मा सहित कई पत्रकारों पर दंगा भड़काने की धाराएं लगाने की सिफारिश

यूपी सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री आजम खान बुधवार को इतिहास बनाते बनाते रह गये. अगर उनका बस चला होता तो देश के 10 से ज्यादा पत्रकार दंगे कराने के जुर्म में आज जेल में होते. इनमें राहुल कंवल, गौरव सावंत, पुण्य प्रसून बाजपेई, मनीष, दीपक शर्मा, हरीश शर्मा और अरुण सिंह प्रमुख हैं. आज़म खान नगर विकास के साथ साथ संसदीय कार्य मंत्री भी हैं. मुज़फ्फरनगर दंगों पर दिखाय गये एक स्टिंग ऑपरेशन में जब उनका नाम उछला था तो संसदीय कार्य मंत्री ने बीएसपी नेता स्वामी प्रसाद मौर्या से मिलकर एक जांच समिति बना दी थी.

दास्ताने स्टिंग ऑपरेशन : यूपी का मुगले आज़म तो बात बादशाह की करता है लेकिन भिड़ता प्यादों से है!

क्या यूपी में कोई आज़म खान की मर्ज़ी के बगैर उनके बारे में कोई खबर चला सकता है? इस सवाल का जवाब लखनऊ में आसानी से मिल सकता है लेकिन एक बात तो साफ़ है कि सत्ता में आने के बाद आज़म खान ने जितने मुकदमे पत्रकारों पर दर्ज कराये हैं उतने मुकदमे सरकार ने सूचीबद्ध माफिया सरगनाओं पर भी नही दर्ज कराए. सोशल मीडिया से लेकर मेन स्ट्रीम मीडिया तक, आज़म खान अपने बारे में अखबार क्या, फेसबुक पर भी लिखी कोई तल्ख़ लाइन बर्दाश्त नही करते. और वो हर स्तर पर कार्रवाई करने को बेताब रहते हैं. उनकी पुलिस कभी उनकी खोई हुई भैंसों को या फिर खोई हुई प्रतिष्ठा के ज़िम्मेदार पत्रकारों को पकड़ने में मुस्तैद रहती है. लोहिया की खुली विचारधारा वाली समाजवादी पार्टी की ये प्रेस विरोधी नीति अभूतपूर्व विरोधाभास से भरी है.

झूठ की टैगलाइन पर सवार होकर दीपक शर्मा ने कथित ‘वैकल्पिक मीडिया’ को कराया लॉन्‍च

Abhishek Shrivastava : ये लीजिए… भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत दिवस पर एक और कथित ”वैकल्पिक मीडिया” लॉन्‍च हो चुका है जिसे मौजूदा मीडिया से दिक्‍कत है और जो सच बोलना चाहता है। अभी वेबसाइट से शुरुआत है, बाद में कहते हैं कि चैनल भी आएगा। आग्रह सच्‍चाई का है, लेकिन टैगलाइन ही झूठी है। साइट का नाम indiasamvad.co.in है। वेबसाइट पर नाम के ऊपर लिखा है “nation’s first people owned media”. अगर 16 सदस्‍यों के ट्रस्‍ट के कारण जनता के मालिकाने की बात कही जा रही है, तो यह साफ़ झूठ है क्‍योंकि कई ट्रस्‍ट मीडिया में मौजद हैं।

एस्सार के ‘रिश्तेदार’ तीन पत्रकारों की नौकरी गई, लेकिन ‘बड़े वाले रिश्तेदार’ नितिन गडकरी का मंत्री पद बरकरार

Deepak Sharma : एस्सार ग्रुप की टैक्सी इस्तेमाल करने वाले तीन बड़े पत्रकारों को नौकरी छोडनी पड़ी है. लेकिन एस्सार ग्रुप का हेलीकाप्टर और याट इस्तेमाल करने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कुर्सी पर विराजमान हैं. एस्सार का फायदा लेने वाले दिग्विजय सिंह और श्री प्रकाश जायसवाल भी मजे में हैं. सवाल कॉर्पोरेट की टैक्सी और हेलीकाप्टर में बैठने का नहीं है. सवाल ये है कि जिन मीडिया समूह या राजनीतिक पार्टियों ने अपने फायदे के लिए कॉर्पोरेट का खुला इस्तेमाल किया है, वो क्या दूध के धुले हैं? क्या उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं लिखा जा सकता? क्या कॉर्पोरेट, मीडिया और राजनीति की ये तिकड़ी हर जगह लूटपाट नहीं कर रही है?

भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए आम आदमी का एक न्यूज चैनल शुरू करेंगे : दीपक शर्मा

Deepak Sharma : देश में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए अगर जनता एक पार्टी खड़ा कर सकती है तो भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए जनता क्या अपना एक न्यूज़ चैनल भी शुरू कर सकती है? 48 घंटे पहले फेसबुक पर मैंने ये विचार सार्वजनिक तौर पर रखा था. इस विचार को अपार जनसमर्थन मिला है. इनबॉक्स में सैकड़ों शुभ सन्देश आ रहे हैं और वाल.पर सैकड़ों मित्र इस विचार को हकीकत में बदलने का आग्रह कर रहे हैं. शायद इसलिए इस विचार को अब हम सब मिलकर रणनीति में बदलने जा रहे हैं.

भारतीय टीवी न्यूज इंडस्ट्री में बड़ा और नया प्रयोग करने जा रहे हैं दीपक शर्मा समेत दस बड़े पत्रकार

(आजतक न्यूज चैनल को अलविदा कहने के बाद एक नए प्रयोग में जुटे हैं दीपक शर्मा)


भारतीय मीडिया ओवरआल पूंजी की रखैल है, इसीलिए इसे अब कारपोरेट और करप्ट मीडिया कहते हैं. जन सरोकार और सत्ता पर अंकुश के नाम संचालित होने वाली मीडिया असलियत में जन विरोधी और सत्ता के दलाल के रूप में पतित हो जाती है. यही कारण है कि रजत शर्मा हों या अरुण पुरी, अवीक सरकार हों या सुभाष चंद्रा, संजय गुप्ता हों या रमेश चंद्र अग्रवाल, टीओआई वाले जैन बंधु हों या एचटी वाली शोभना भरतिया, ये सब या इनके पिता-दादा देखते ही देखते खाकपति से खरबपति बन गए हैं, क्योंकि इन लोगों ने और इनके पुरखों ने मीडिया को मनी मेकिंग मीडियम में तब्दील कर दिया है. इन लोगों ने अंबानी और अडानी से डील कर लिया. इन लोगों ने सत्ता के सुप्रीम खलनायकों को बचाते हुए उन्हें संरक्षित करना शुरू कर दिया.

दिल्ली विस चुनाव में न्यूज चैनल खुल्लमखुल्ला ‘आप’ और ‘भाजपा’ के बीच बंट गए हैं

Dayanand Pandey : दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार टीवी चैनल खुल्लमखुल्ला अरविंद केजरीवाल की आप और भाजपा के बीच बंट गए हैं। एनडीटीवी पूरी ताकत से भाजपा की जड़ खोदने और नरेंद्र मोदी का विजय रथ रोकने में लग गया है। न्यूज 24 है ही कांग्रेसी। उसका कहना ही क्या! इंडिया टीवी तो है ही भगवा चैनल सो वह पूरी ताकत से भाजपा के नरेंद्र मोदी का विजय रथ आगे बढ़ा रहा है। ज़ी न्यूज, आईबीएन सेवेन, एबीपी न्यूज वगैरह दिखा तो रहे हैं निष्पक्ष अपने को लेकिन मोदी के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाने में एक दूसरे से आगे हुए जाते हैं। सो दिल्ली चुनाव की सही तस्वीर इन के सहारे जानना टेढ़ी खीर है। जाने दिल्ली की जनता क्या रुख अख्तियार करती है।

टाइम्स आफ इंडिया में खबर दब सकती है लेकिन फेसबुक पर नही : दीपक शर्मा

Deepak Sharma : टाइम्स ऑफ़ इंडिया देश का सबसे रसूखदार अख़बार है. इसके मालिक की हैसियत मोदी जैसी नही तो मोदी से कम भी नही. टाइम्स के देश में 7.20 करोड़ पाठक है. टाइम्स की एक प्रति का दिल्ली में मूल्य 4.50 रूपए है. एक पाठक के तौर पर आपकी हैसियत टाइम्स में वैसी ही है जो किसी दूकान से कोई सामान खरीदते वक़्त किसी की होती है. यानी आप एक ग्राहक है.

ऑफिसियल ट्रिप है, ऐश कीजिए कंपनी के खर्चे पर… कोई पत्रकारिता नहीं है यह सब…

Sanjaya Kumar Singh : भड़ास पर छपी ‘पुण्य प्रसून बाजपेयी, सुप्रिय प्रसाद, राहुल कंवल और दीपक शर्मा कल क्यों जा रहे हैं लखनऊ?‘ खबर को पढ़कर एक पुरानी घटना याद आ गई। जनसत्ता के लिए जब मेरा चुनाव हुआ उन्हीं दिनों जमशेदपुर से निकलने वाले एक अंग्रेजी अखबार के संवाददाता की हत्या हो गई थी। पत्रकारिता को पेशे के रूप में चुनने से पहले मुझे यह तय करना था कि कितना खतरनाक है यह पेशा। मैंने जमशेदपुर के एक बहुत ही ईमानदार पत्रकार से इस बाबत बात की। उनसे लगभग सीधे पूछा था कि जिस पत्रकार की हत्या हुई उसकी तो कोई खबर मुझे याद नहीं है। दूसरी ओर आप एक से बढ़कर एक खबरें लिखते हैं – क्या आपको डर नहीं लगता धमकी नहीं मिलती।

पुण्य प्रसून बाजपेयी, सुप्रिय प्रसाद, राहुल कंवल और दीपक शर्मा कल क्यों जा रहे हैं लखनऊ?

मोदी अगर राष्ट्रीय मीडिया को पटाने-ललचाने में लगे हैं तो उधर यूपी में अखिलेश यादव से लेकर आजम खान जैसे लोग नेशनल व रीजनल को पटाने-धमकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़े हुए हैं. आपको याद होगा मुजफ्फरनगर दंगों के बाद आजतक पर चला एक स्टिंग आपरेशन. दीपक शर्मा और उनकी टीम ने मुजफ्फरनगर के कई अफसरों का स्टिंग किया जिससे पता चला कि इस दंगे को बढ़ाने-भभकाने में यूपी के एक कद्दावर मंत्री का रोल रहा, इसी कारण तुरंत कार्रवाई करने से पुलिस को रोका गया.