‘आजतक’ न्यूज चैनल में लंबे समय तक खोजी पत्रकारिता करने वाले पत्रकार दीपक शर्मा पिछले कुछ साल से ‘इंडिया संवाद’ नामक अपना वेब पोर्टल चला रहे हैं. इस पोर्टल से कई पत्रकारों और नौकरशाहों को उन्होंने जोड़ रखा है. पोर्टल और इसके संचालकों पर कई बार गंभीर किस्म के आरोप लगे. ताजा मामला लखनऊ का है. यहां के एक थाने में दीपक शर्मा और पोर्टल से जुड़े कई अन्य पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है.
Deepak Sharma : खुद का न्यूज़ चैनल हो तो फिर चाहे प्राइम टाइम एंकरिंग करनी हो या अपने नाम से कोई शो…तो ये कौन सी बड़ी बात है? लेकिन अगर आपके पास दुनिया की सबसे बड़ी बिज़नेस पत्रिका का लाइसेंस हो तो फिर क्या होगा? …. जान कर हैरत होगी कि फोर्ब्स मैग्ज़ीन ने नीता अम्बानी को एशिया की सबसे ताकतवर बिज़नेस वुमन घोषित कर दिया. ये जानते हुए भी कि नीता अम्बानी रिलायंस के बोर्ड में नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं. यानि नीता अपने पति मुकेश की वजह से सिर्फ बोर्ड में मनोनीत हैं. नीता का रिलायंस के अहम बिज़नेस फैसलों में कभी लेना देना नहीं रहा. फिर भी उन्हें बिज़नेस की सबसे बड़ी उपाधि मिल गई है.
Deepak Sharma : दलित कह रहे हैं ब्राह्मणवाद खत्म होना चाहिए. और बहन मायावती पंडित सतीश चन्द्र मिश्रा को पार्टी के चुनाव प्रभार की बागडोर सौंप रही हैं. भक्त कह रहे हैं मुसलमान बीफ से परहेज करें वरना हिसाब होगा. उधर मोदी जी अरब के बीचोंबीच अबु धाबी में मंदिर निर्माण कर रहे हैं. कन्हैया मज़दूर की लड़ाई लड़ना चाहता है और दूसरी ओर कामरेड जावेद अख्तर जेट एयरवेज की डायरेक्टरशिप लेकर पूँजीवाद का पूरा मज़ा ले रहे हैं.
Ambrish Kumar : मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित आजम खान को लेकर हुए स्टिंग आपरेशन में मीडिया खासकर इलेक्ट्रानिक चैनल के कई पत्रकारों को 26 फरवरी को विधान सभा में पेश होने के निर्देश दिए गए हैं. इन पत्रकारों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153 a, 295 a, 200, 463, 454, 465, 469 और 471 लगाई गई है. इतनी बड़ी संख्या में संभवतः पहली बार चैनलों के पत्रकार विधान सभा में पेश होंगे.
Deepak Sharma : ब्रांड चाहे एक करोड़ की मर्सीडीज़ बेंज हो या 4 रूपए का विमल गुटखा , बाज़ार में बिकने के लिए उसे बाज़ार के उसूल स्वीकार करने ही होंगे. उसे लोगों के हाथ अगर बिकना है तो बाज़ार में दिखना होगा. मार्केटिंग के ये नियम कोका कोला ने बाज़ार में आज से कोई 129 साल पहले तय कर दिए थे. कोका कोला ने दुनिया को तब पहली बार बताया था कि बाज़ार में होने से कहीं ज्यादा बाज़ार में दिखना ज़रूरी है. दिखेंगे तो ब्रांड बनेंगे. ब्रांड बनेगे तो खुद ब खुद बिकेंगे.
Deepak Sharma : राजपथ के धुंधले आकाश पर सूरज उतर रहा था और कोई ५०० कदम दूर राष्ट्रपति भवन के फोरकोर्ट पर नीली पगड़ी वाला एक बुजुर्ग पीछे चल रही एक महिला से अंग्रेजी में कह रहा था….मोदी को ख़ामोशी तोड़नी चाहिए. कैमरे वाले सोनिया और राहुल के आगे बाइट के लिए दौड़ रहे थे लेकिन उनसे एक बड़ी खबर पीछे छूट चुकी थी.
Deepak Sharma : ये इस देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ के तथाकथित बड़े पत्रकार चरमराती व्यवस्था को अनदेखा कर हिन्दू-मुस्लमान और दलित सवर्ण के मुद्दों पर अपनी उर्जा ज्यादा खर्च कर रहे हैं. हर मुद्दे में उनका दृष्टिकोण जाति-धर्म से जुड़ा-बिंधा होता है. इस तरह वो देश के ज्वलंत मुद्दों को ढक देते हैं. अंग्रेजी में इसे camouflage कहते हैं ..यानी तथ्यों का छ्द्मावार्ण करना. मैं ये नही कह रहा कि इन विषयों पर नही लिखा जाना चाहिए लेकिन बड़े मंच का इस्तेमाल कर रहे पत्रकारों को अपनी उर्जा और अपना धन कुछ बड़ी और मूल्य समस्याओं पर केन्द्रित करना होगा. जिस देश में हर बड़ी सरकारी योजना को दिल्ली के पांचसितारा क्लबों में बैठे दलाल बीच रास्ते मे लूट लेते हों उनको कोई बेनकाब क्यूँ नही करता?
Deepak Sharma : महिलाओं का सम्मान किया जाना चाहिए. चाहे वो कर्मचारी हों या अधिकारी. चाहे वो पत्रकार हों या टीवी पर खबर पढ़ने वाली एंकर. भाषा का संयम और भद्रता अनिवार्य है. वरना वही हाल होगा जो अब दिल्ली के अंग्रेजी अखबार के एक बड़े पत्रकार का होने वाला है. इन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से टीवी पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी पर कई सेक्सिस्ट टिप्पणियां की और आज़िज़ आकर स्वाति ने पुलिस में रिपोर्ट लिखवा दी.
Deepak Sharma : अपने देश के लिए मै किसी भी हद तक जा सकता हूँ. अगर किसी शत्रु की हत्या भी करनी पड़े तो मुझे अंतर मन में ज़रा भी अपराध बोध नही होगा . लेकिन अपने निजी जीवन में परिस्थियां बिलकुल विपरीत हैं. घर में तो मुझे पालतू कुत्ते को डांटने पर भी सोचना पड़ता है. और माँ से तो जब कभी विवाद होता था तो उस दिन तो दफ्तर में एक अपराध बोध के साथ काम करता था और रात में घर लौटकर जब तक माँ को मना न लेता तो मन को चैन नही आता था.
राहुल कंवल, पुण्य प्रसून, गौरव सावंत, दीपक शर्मा सहित कई पत्रकारों पर दंगा भड़काने की धाराएं लगाने की सिफारिश
यूपी सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री आजम खान बुधवार को इतिहास बनाते बनाते रह गये. अगर उनका बस चला होता तो देश के 10 से ज्यादा पत्रकार दंगे कराने के जुर्म में आज जेल में होते. इनमें राहुल कंवल, गौरव सावंत, पुण्य प्रसून बाजपेई, मनीष, दीपक शर्मा, हरीश शर्मा और अरुण सिंह प्रमुख हैं. आज़म खान नगर विकास के साथ साथ संसदीय कार्य मंत्री भी हैं. मुज़फ्फरनगर दंगों पर दिखाय गये एक स्टिंग ऑपरेशन में जब उनका नाम उछला था तो संसदीय कार्य मंत्री ने बीएसपी नेता स्वामी प्रसाद मौर्या से मिलकर एक जांच समिति बना दी थी.
क्या यूपी में कोई आज़म खान की मर्ज़ी के बगैर उनके बारे में कोई खबर चला सकता है? इस सवाल का जवाब लखनऊ में आसानी से मिल सकता है लेकिन एक बात तो साफ़ है कि सत्ता में आने के बाद आज़म खान ने जितने मुकदमे पत्रकारों पर दर्ज कराये हैं उतने मुकदमे सरकार ने सूचीबद्ध माफिया सरगनाओं पर भी नही दर्ज कराए. सोशल मीडिया से लेकर मेन स्ट्रीम मीडिया तक, आज़म खान अपने बारे में अखबार क्या, फेसबुक पर भी लिखी कोई तल्ख़ लाइन बर्दाश्त नही करते. और वो हर स्तर पर कार्रवाई करने को बेताब रहते हैं. उनकी पुलिस कभी उनकी खोई हुई भैंसों को या फिर खोई हुई प्रतिष्ठा के ज़िम्मेदार पत्रकारों को पकड़ने में मुस्तैद रहती है. लोहिया की खुली विचारधारा वाली समाजवादी पार्टी की ये प्रेस विरोधी नीति अभूतपूर्व विरोधाभास से भरी है.
अगर मुजफ्फरनगर दंगा स्टिंग फर्जी था तो अफसरों और पुलिस वालों को सरकार ने सस्पेंड क्यूं किया…
Deepak Sharma : भड़ास4मीडिया वेबसाइट से मालूम हुआ कि आज़म खान साहब ने मेरे ऊपर कई मुक़दमे दर्ज कराये हैं. यह भी पता लगा कि विधान सभा की 2013 में गठित की गयी जांच समीति ने मुज़फ्फरनगर दंगो पर आजतक के दिखाए स्टिंग ऑपरेशन पर रिपोर्ट बना ली है. सवाल मुझे जेल भेजने का नहीं है. अगर 13 साल आजतक में नौकरी की है तो फिर किसी बड़े मसले पर जेल या मुक़दमे पर पीछे हट जाना तो कोई बात नही हुई. भले ही आप अब ‘आजतक’ की जगह ‘इंडिया संवाद’ में हो.
‘आज तक’ न्यूज चैनल के कभी स्टॉर रिपोर्टर रहे दीपक शर्मा के खिलाफ गुपचुप तरीके से रिपोर्ट दर्ज करा दिए जाने के बाद अब उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजने की तैयारी चल रही है। मामला मुजफ्फरनगर दंगों के स्टिंग ऑपरेशन से जुड़ा है। पूरी कार्यवाही बेहद गोपनीय स्तर पर चल रही है। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी नहीं चाहते कि गिरफ्तारी से पहले मामला सार्वजनिक हो जाए।
आजतक न्यूज चैनल में लंबे समय तक एडिटर स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम के पद पर कार्यरत रहे पत्रकार दीपक शर्मा आजकल छुट्टा पत्रकार के बतौर लगातार भंडाफोड़ पत्रकारिता कर अपने असली तेवर को दिखा रहे हैं. ‘इंडिया संवाद’ नामक वेबसाइट के जरिए दीपक शर्मा ने कई बड़ी स्टोरीज ब्रेक की हैं. पर इन स्टोरीज पर कारपोरेट या मुख्य धारा मीडिया मौन रहता है.
Yashwant Singh : ‘आप’ वालों की कमीनपंथी के बाद अब तो जो भी जनता की या आम आदमी की बात करता है तो जाने क्यों डर-सा लगता है बाबूजी. सोच रहा था इस चैनल के मसले पर चुप ही रहूंगा. जो भी लोग इससे जुड़े हैं या जुड़ रहे हैं सब किसी न किसी तरीके से आनलाइन-आफलाइन मित्र ही हैं. पर भाई Abhishek Srivastava ने जब ‘हुआं हुआं’ का आग़ाज़ किया है तो मेरे भी पेट में मरोड़ उठने लगी, सोचा दबा कर क्यों रखूं, निकाल ही दूं, मौका भी है और दस्तूर भी. तो, मेरी तरफ से भी थोड़ी-सी हुआं हुआं सुन लीजिए. वैसे, ‘हुआं हुआं’ को लोग गंभीरता से नहीं लेते, ‘हवा-हवाई’ टाइप ही मानते हैं और तदनुसार सुनकर भी अनसुना कर देते हैं… तो चलिए आप सभी अभी ऐसा ही मान लीजिएग क्योंकि मैं चाहता हूं कि उपर वाला उन-उन दावों को जो ये लोग कर-करा रहे हैं, बता रहे हैं, सुना रहे हैं, भुना रहे हैं, प्रचारित करा रहे हैं… सच साबित करे.
Abhishek Shrivastava : ये लीजिए… भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत दिवस पर एक और कथित ”वैकल्पिक मीडिया” लॉन्च हो चुका है जिसे मौजूदा मीडिया से दिक्कत है और जो सच बोलना चाहता है। अभी वेबसाइट से शुरुआत है, बाद में कहते हैं कि चैनल भी आएगा। आग्रह सच्चाई का है, लेकिन टैगलाइन ही झूठी है। साइट का नाम indiasamvad.co.in है। वेबसाइट पर नाम के ऊपर लिखा है “nation’s first people owned media”. अगर 16 सदस्यों के ट्रस्ट के कारण जनता के मालिकाने की बात कही जा रही है, तो यह साफ़ झूठ है क्योंकि कई ट्रस्ट मीडिया में मौजद हैं।
Deepak Sharma : एस्सार ग्रुप की टैक्सी इस्तेमाल करने वाले तीन बड़े पत्रकारों को नौकरी छोडनी पड़ी है. लेकिन एस्सार ग्रुप का हेलीकाप्टर और याट इस्तेमाल करने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कुर्सी पर विराजमान हैं. एस्सार का फायदा लेने वाले दिग्विजय सिंह और श्री प्रकाश जायसवाल भी मजे में हैं. सवाल कॉर्पोरेट की टैक्सी और हेलीकाप्टर में बैठने का नहीं है. सवाल ये है कि जिन मीडिया समूह या राजनीतिक पार्टियों ने अपने फायदे के लिए कॉर्पोरेट का खुला इस्तेमाल किया है, वो क्या दूध के धुले हैं? क्या उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं लिखा जा सकता? क्या कॉर्पोरेट, मीडिया और राजनीति की ये तिकड़ी हर जगह लूटपाट नहीं कर रही है?
Deepak Sharma : देश में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए अगर जनता एक पार्टी खड़ा कर सकती है तो भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए जनता क्या अपना एक न्यूज़ चैनल भी शुरू कर सकती है? 48 घंटे पहले फेसबुक पर मैंने ये विचार सार्वजनिक तौर पर रखा था. इस विचार को अपार जनसमर्थन मिला है. इनबॉक्स में सैकड़ों शुभ सन्देश आ रहे हैं और वाल.पर सैकड़ों मित्र इस विचार को हकीकत में बदलने का आग्रह कर रहे हैं. शायद इसलिए इस विचार को अब हम सब मिलकर रणनीति में बदलने जा रहे हैं.
Dayanand Pandey : दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार टीवी चैनल खुल्लमखुल्ला अरविंद केजरीवाल की आप और भाजपा के बीच बंट गए हैं। एनडीटीवी पूरी ताकत से भाजपा की जड़ खोदने और नरेंद्र मोदी का विजय रथ रोकने में लग गया है। न्यूज 24 है ही कांग्रेसी। उसका कहना ही क्या! इंडिया टीवी तो है ही भगवा चैनल सो वह पूरी ताकत से भाजपा के नरेंद्र मोदी का विजय रथ आगे बढ़ा रहा है। ज़ी न्यूज, आईबीएन सेवेन, एबीपी न्यूज वगैरह दिखा तो रहे हैं निष्पक्ष अपने को लेकिन मोदी के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाने में एक दूसरे से आगे हुए जाते हैं। सो दिल्ली चुनाव की सही तस्वीर इन के सहारे जानना टेढ़ी खीर है। जाने दिल्ली की जनता क्या रुख अख्तियार करती है।
Sumant Bhattacharya : क्या होता है Deepak Sharma होने का मतलब..कभी सोचा? मेरे तमाम मित्र दीपक शर्मा को नहीं जानते होंगे। मुझे यह महसूस करते हुए फख्र होता है कि मैं दीपक को जानता हूं। और दीपक भी मुझे जानते ही होंगे। ऐसा कह कर अपनी बेशर्मी को छिपा रहा हूं। दो दिन पहले दीपक से प्रेस क्लब में मुलाकात हुई तो मैंने दीपक को बधाई दी। दीपक ने उसी गर्मजोशी से बधाई कबूल की। फिर फेसबुक की बात हुई तो दीपक ने तपाक से मेरी ताजी पोस्ट को दोहरा दिया।
: “पंडित जी, बीपीएल या बीएमडब्ल्यू… चुनना तो एक को ही पड़ेगा” : धारदार पत्रकारिता से मात तो मीडिया को ही देनी है दीपक शर्मा! : बीपीएल या बीएमडब्ल्यू। रास्ता तो एक ही है। फिर यह सवाल पहले नहीं था। था लेकिन पहले मीडिया की धार न तो इतनी पैनी थी और न ही इतनी भोथरी। पैनी और भोथरी। दोनों एक साथ कैसे। पहले सोशल मीडिया नहीं था। पहले प्रतिक्रिया का विस्तार इतना नहीं था। पहले बेलगाम विचार नहीं थे। पहले सिर्फ मीडिया था। जो अपने कंचुल में ही खुद को सर्वव्यापी माने बैठा था। वही मुख्यधारा थी और वही नैतिकता के पैमाने तय करने वाला माध्यम। पहले सूचना का माध्यम भी वही था और सूचना से समाज को प्रभावित करने वाला माध्यम भी वही था। तो ईमानदारी के पैमाने में चौथा खम्भा पक़ड़े लोग ही खुद को ईमानदार कह सकते थे और किसी को भी बेईमानी का तमगा देकर खुद को बचाने के लिये अपने माध्यम का उपयोग खुले तौर पर करते ही रहते थे।
Deepak Sharma : अखबार के मालिक के खिलाफ ED का नोटिस. मालिक ने अखबार के सम्पादक को नोटिस यानी जांच खत्म करवाने की ज़िम्मेदारी दी. संपादक ने ये काम बिजनेस ब्यूरो चीफ को सौंपा. ब्यूरो चीफ ने फाइनेंस सेक्रेटरी से जांच रुकवाने के सिफारिश की. फाइनेंस सेक्रटरी ने ब्यूरो चीफ से कहा कि एक बार वित्त मंत्री से भी बात कर लें. बिना मंत्री के ED जांच नही रोकेगा. वित्त मंत्री ने ब्यूरो चीफ को मिलने का वक़्त नही दिया.
आजतक न्यूज चैनल का चेहरा बन चुके लोगों में से एक दीपक शर्मा के बारे में चर्चा है कि वे इस चैनल को अलविदा कहने वाले हैं. यह चर्चा दीपक के ताजे फेसबुक स्टेटस के बाद उठी जिसमें उन्होंने ‘शुक्रिया पुरी साहब और शुक्रिया सुप्रिय’ लिखा है, साथ ही यह भी लिखा है कि– ”फिलहाल कुछ दिन आजतक में हूँ”. इसका मतलब यह हुआ कि दीपक शर्मा ने इस्तीफा दे दिया है और वह नोटिस पीरियड पर चल रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि दीपक ने वाकई इस्तीफा दे दिया है और इस महीने में ही रिलीव हो जाएंगे. अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि दीपक आगे क्या करेंगे. दीपक का फेसबुक स्टेटस इस तरह है…
Deepak Sharma : कभी केजरीवाल की सुपारी ली तो कभी मोदी की. कभी आसाराम की धोती के हर धागे खोलकर चीथड़े चीथड़े कर दिए. तो कभी बलात्कार का बलात्कार ही कर डाला. मूड हुआ तो कभी खबर ही छोड़ दी . तो कभी खबर समझे ही नही. कभी दो टके के एंकर को हीरो बना दिया और कभी दो टके के हीरो से एंकरिंग करा दी. जो जितना घटिया उतना ही बढ़िया. ये हाल है फिल्मसिटी के गैंग्स आफ वासेपुर के.