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दैनिक जागरण उत्तराखंड : मजीठिया मिला नहीं, एक वेतन में ले रहे दो काम

उत्तराखंड जागरण में काम करने वाले मीडियाकर्मियों का बुरा हाल है. अभी तक मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी मिली नहीं. एक नया फरमान ये आ गया है कि कर्मचारियों को अब एक ही वेतन में दो काम करना पड़ेगा. आजकल दैनिक जागरण ने ऑनलाइन खबर ब्रेक करने का ट्रेंड चलाया हुआ है.  कर्मचारियों से whatsapp में खबर ब्रेक करवाई जा रही है. दिन में 6-7 खबर (3-4 पैराग्राफ) की यदि ब्रेक नहीं हुई तो उस दिन का वेतन काट दिया जा रहा है।

<p>उत्तराखंड जागरण में काम करने वाले मीडियाकर्मियों का बुरा हाल है. अभी तक मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी मिली नहीं. एक नया फरमान ये आ गया है कि कर्मचारियों को अब एक ही वेतन में दो काम करना पड़ेगा. आजकल दैनिक जागरण ने ऑनलाइन खबर ब्रेक करने का ट्रेंड चलाया हुआ है.  कर्मचारियों से whatsapp में खबर ब्रेक करवाई जा रही है. दिन में 6-7 खबर (3-4 पैराग्राफ) की यदि ब्रेक नहीं हुई तो उस दिन का वेतन काट दिया जा रहा है।</p>

उत्तराखंड जागरण में काम करने वाले मीडियाकर्मियों का बुरा हाल है. अभी तक मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी मिली नहीं. एक नया फरमान ये आ गया है कि कर्मचारियों को अब एक ही वेतन में दो काम करना पड़ेगा. आजकल दैनिक जागरण ने ऑनलाइन खबर ब्रेक करने का ट्रेंड चलाया हुआ है.  कर्मचारियों से whatsapp में खबर ब्रेक करवाई जा रही है. दिन में 6-7 खबर (3-4 पैराग्राफ) की यदि ब्रेक नहीं हुई तो उस दिन का वेतन काट दिया जा रहा है।

जिस काम के लिए वेतन नहीं मिल रहा, उसके लिए वेतन काट रहे हैं। यहाँ तक कि मीडियाकर्मियों को खुद के वेतन से ही फ़ोन का खर्च भरना पड़ रहा है। बात रही मजीठिया आयोग की तो उत्तराखंड में खासकर दैनिक जागरण में आज तक इसको लेकर कोई पहल ही नहीं हुई है। एक वेतन में दो कार्य और उसमें शोषण दैनिक जागरण उत्तराखंड में ही नहीं, जागरण की हर यूनिट में चल रहा है। 2011 से मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ देने का कानून बना है लेकिन यहां तो फर्जी हस्ताक्षर अभियान चलाकरर लिखवा लिया गया कि हम सबको खूब सेलरी मिल रही है. सुप्रीम कोर्ट के 23 अगस्त के फैसले के बाद जागरण मैनेजमेंट कुछ करेगा, यह पता नहीं. लेकिन कम से कम श्रम विभाग के लोगों को छापा मार कर कर्मचारियों से अकेले में बात करनी चाहिए.

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एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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0 Comments

  1. अरुण श्रीवास्तव

    September 8, 2016 at 5:26 am

    जागरण सहित सभी अखबारों में काम करने वालों को अपने हक के लिए अपनी बेहतरी के लिए आगे आना ही होगा। अब जब हम कर्मचारी लिखकर दे देंगे तो कोर्ट कर ही क्या सकता है। जागो साथी जागो।

  2. अरुण श्रीवास्तव

    September 9, 2016 at 5:48 pm

    ये दैनिक जागरण वाले पक्के बनिया हैं। बनिया का स्वभाव होता है पादता भी है तो छन्नी लगा लेता है ताकि हवा ही निकले। अगर जागरण सहित अन्य अखबारों के साथी मजीठिया के अनुसार वेतन और अन्य परिलाभ चाहते हैं तो उन्हे संगठित होना पड़ेगा।

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