Dilip Khan : रिजर्व बैंक ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 57 लोगों ने बैंकों के 85 हज़ार करोड़ रुपए दबा रखा है। सरकार को इन 57 लोगों की गर्दन मरोड़नी चाहिए। हल्ला भी कम मचता। 30-40 हज़ार करोड़ रुपए के लिए हल्ला मचा दिया। दो नोटों को ख़त्म करके देश भर में लोगों को परेशान कर दिया। ब्लैक मनी ज़ब्त कीजिए। लेकिन जो कदम आसान था पहले वो उठाइए। आप इकोनॉमी को दुरुस्त करने के लिए काम कर रहे हैं कि हल्ला मचाने के लिए?
मोरारजी देसाई ने जब पांच और दस हज़ार रुपए के नोट को ख़त्म किया था, तो ये नोट्स सिर्फ़ धनिकों के पास होते थे। यानी ब्लैक मनी के सबसे बड़े संदिग्धों के पास। कितना बरामद हुआ था? घंटा। 500, 1000 इन दिनों तक़रीबन सबके पास होते हैं। बंद होने की ख़बर सुनकर एक महिला की मौत हो गई। चौतरफ़ा कोहराम मच गया है। कितने रुपए की बात है? 30-40 हज़ार करोड़ रुपए की। सरकार को पता है कि सिर्फ़ 57 लोग देश का 85 हज़ार करोड़ रुपए डकारे हुए है। हिम्मत है तो पकड़े उन्हें। ये ऐसा फैसला है जिससे कालाधन बरामद जितना भी हो, प्रभावित हर कोई हो रहा है। ज़ाहिर है सरकार की ये पहली स्कीम है जिसपर पूरा देश चर्चा कर रहा है। चर्चा कराना लक्ष्य है या ब्लैक मनी लाना? ब्लैक मनी लाना लक्ष्य है तो पकड़ो स्वीस और पनामा वालों को। सबसे पहले देश से ही शुरू करो। पकड़ो 57 लोगों को।
राज्यसभा टीवी में कार्यरत तेजतर्रार पत्रकार दिलीप खान की एफबी वॉल से.