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TH TIGER HOLIDAYS वालों की इस नोटिस से कौन डरेगा!

Sanjaya Kumar Singh : इन्हें अंग्रेजी तो नहीं ही आती है, हिन्दी आती होती तो हिन्दी में ही लिखते! अगर आप किसी को कोई सेवा प्राप्त करने के लिए पैसे दें और बाद में महसूस करें कि आपको सेवा ठीक नहीं मिली, ठग लिया गया और यह भी कि आप किसी ठग या चोर कंपनी के चक्कर में फंस गए थे तो क्या करेंगे? मेरे ख्याल से सबसे पहले यही कोशिश करेंगे कि अपने सभी मित्रों-परिचितों को बताएंगे कि फलां कंपनी ठीक नहीं है, पैसे लेकर पूरी सेवा नहीं देती है, मैं ठगा जा चुका हूं आदि।

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Sanjaya Kumar Singh : इन्हें अंग्रेजी तो नहीं ही आती है, हिन्दी आती होती तो हिन्दी में ही लिखते! अगर आप किसी को कोई सेवा प्राप्त करने के लिए पैसे दें और बाद में महसूस करें कि आपको सेवा ठीक नहीं मिली, ठग लिया गया और यह भी कि आप किसी ठग या चोर कंपनी के चक्कर में फंस गए थे तो क्या करेंगे? मेरे ख्याल से सबसे पहले यही कोशिश करेंगे कि अपने सभी मित्रों-परिचितों को बताएंगे कि फलां कंपनी ठीक नहीं है, पैसे लेकर पूरी सेवा नहीं देती है, मैं ठगा जा चुका हूं आदि।

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इससे पहले कुछेक मामलों में कंपनी को चिट्ठी लिखना भी बनता है पर उसे आप हिन्दी में शिकायत करें वह अंग्रेजी में जवाब दे या आप अंग्रेजी में शिकायत करें और वह जिस अंग्रेजी में जवाब दे वही समझ में नहीं आए तो क्या करेंगे? अभी तक मैं समझता था कि निजी क्षेत्र में योग्य लोग रखे जाते हैं। और नौकरी चलती रहने की गारंटी भले ना हो काम करने वाले की पूछ रहती ही है। मैं समझता था कि हिन्दी में ही भाषा और शुद्धता से कोई मतलब नहीं होता है पर अब तो अंग्रेजी वालों का भी वही हाल दिख रहा है। आज यह नोटिस पढ़कर लगा कि क्या मजाक चल रहा है। कैसे-कैसे लोग काम करने के लिए रख लिए जा रहे हैं और शिक्षा का क्या स्तर है। हिन्दी में छपी शिकायत पर एतराज अंग्रेजी में आया और अंग्रेजी भी क्या शानदार !!

एक भी वाक्य सही नहीं है। इनमें ज्यादातर गलतियां तो कंप्यूटर बता दे। पर उसकी भी जरूरत नहीं समझी गई। व्याकरण से लेकर वाक्य विन्यास और हिज्जे तक की ऐसी-तैसी की गई है। इस नोटिस से कौन डरेगा और इस नोटिस के बाद अदालत में भी कंपनी क्या जाएगी और कैसे वकील कर लेगी राम जाने। और काम करने वाले लोग ऐसे हैं तो कंपनी क्या खाकर सेवा देगी। कैसे देगी? हम कहां जा रहे हैं? देश में पहली जरूरत रोजगार के मौके बढ़ाने की है जिनलोगों को अपनी औकात ही मालूम नहीं है उनके लिए रोजागर के मौके कैसे बनेंगे और नहीं बनेंगे तो भविष्य कैसा होगा?

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वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह की एफबी वॉल से.

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0 Comments

  1. Sanjeev Singh Thakur

    January 24, 2017 at 4:47 am

    Bahut sahee likha sanjay Ji. Bhadaas ko bheja English wala notice ki galtiyan pad Kr mujhe bhi tajubb hua tha..
    Do keep it up. Bhadaas..,

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