आईआरएस 2013 के आंकड़ों पर लगी रोक के तकरीबन पांच महीने बाद ‘द इकोनॉमिक्स टाइम्स (ईटी)’ ने आज फ्रंट पेज पर छपी रिपोर्ट में एचटी मीडिया के रीडरशिप आंकड़ों को ‘अविश्वसनीय’ बताया है। ईटी में छपे लेख ‘All Down, HT Up. Entire Media Industry Foxed’ में बताया है कि कैसे देश के विभिन्न हिस्सों के ‘रीडर्स पर कॉपी(आरपीसी)’ के आंकड़े अविश्वसनीय हैं। आरपीसी आंकड़ों की तुलना उन क्षेत्रों में करते हुए जहां एचटी मीडिया पब्लिकेशंस प्रसारित होता है, ईटी ने यह बताया है कि एचटी मीडिया पब्लिकेशन के आंकड़े काबिले यकीन नहीं हैं। ईटी की इस बात का समर्थन डीएनए के सीईओ मैल्कॉम मिस्त्री भी करते हैं। मिस्त्री कहते हैं कि अधिकतर प्रकाशक जानते हैं कि एचटी के आंकड़े बकवास हैं।
ईटी की रिपोर्ट कहती है कि नोएडा और गुड़गांव में हिन्दुस्तान टाइम्स की आरपीसी आश्चर्यजनक रूप से क्रमशः 17 और 12 है। ये संख्या मुंबई और दिल्ली जैसे मुख्य बाज़ारों के समान है। वहीं दिल्ली में एचटी और मिंट की आरपीसी उसने निकटतम प्रतिद्वंदियों के दोगुनी है। इसी तरह हिन्दुस्तान की आरपीसी 5.5 बतायी गइ है जो कि उसके निकटतम प्रतिद्वंदियों के दोगुने से भी ज़्यादा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि किस प्रकार एचटी मीडिया ने नोएडा में हिन्दुस्तान की आरपीसी अधिकतम 20 के आंकड़े तक पहुंचायी।
आईआरएस 2013 के आंकड़े घोषित होने के साथ ही विवादों में घिर गए थे। एचटी के संबंध में ईटी लिखता है कि, जहां अधिकतर न्यूज़ पेपर टाइटल्स रीडरशिप के मामले में औंधे मुंह गिरे वहीं एचटी ही एक मात्र ऐसा ग्रुप है जिसकी सभी स्थानों पर पाठक संख्या में वृद्धि हुई है। आईआरएस 2013 के आंकड़ों में हिन्दुस्तान टाइम्स की रीडरशिप में 13% की बढ़ोत्तरी हुई वहीं द टाइम्स ऑफ इंडिया की रीडरशिप में 5% की गिरावट दर्ज की गई। सबसे आश्चर्य की बात ये रही कि द हिन्दु और द टेलीग्राफ की रीडरशिप में क्रमशः 32% और 26% की गिरावट दर्ज की गई। फिलहाल आईआरएस के आंकड़ों के प्रकाशन पर दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश से रोक लगी हुई है लेकिन आज के दिन इस रिपोर्ट के छपने से दोनो मीडिया समूहों के बीच एक जंग की शुरुआत हो सकती है।