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सुख-दुख

फर्ज़ी स्ट्रिंगर्स यानी ‘मीडिया में दीमक की धमक’

उत्तराखंड में देहरादून सहित जोशीमठ, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, के अलावा अन्य क्षेत्रों में किसी भी नेशनल चैनल का कोई भी ब्यूरो ऑफिस नहीं है। मैं खुद बतौर स्ट्रिंगर काम कर चुका हूँ। मैंने इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया और ब्यूरो से बढ़ कर काम करके चैनल को महत्वपूर्ण खबरें भी दी। फिर मुझे चैनल के तमाम सेग्मेंट विशेषकर, खौफ, वारदात, स्पेशल रिपोर्ट, धर्म, चलो छुट्टी मनायें के अलावा राजनीति से लेकर हर छोटी बड़ी ख़बरों पर काम करने का मौका मिला। चैनल से विदाई लेने से पहले मैने  “आज तक”  में स्ट्रिंगर न्यूज एजेंट के तौर पर जोशीमठ (चमोली) से कमल नयन कन्नू, रुद्रप्रयाग से मुकेश, टिहरी से अरविन्द और पौड़ी से चौधरी को मैंने ही 2011 में “आज तक” के लिए स्ट्रिंगर बनाया। जिनमें से जोशीमठ के स्ट्रिंगर कमल नयन को मैंने काफी ट्रेनिंग दी। वह आज भी बतौर न्यूज़ एजेंट काम कर रहा है लेकिन अन्य सभी ने मेरे चैनल छोड़ने के वक्त से ही काम करना बंद कर दिया था।

<p>उत्तराखंड में देहरादून सहित जोशीमठ, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, के अलावा अन्य क्षेत्रों में किसी भी नेशनल चैनल का कोई भी ब्यूरो ऑफिस नहीं है। मैं खुद बतौर स्ट्रिंगर काम कर चुका हूँ। मैंने इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया और ब्यूरो से बढ़ कर काम करके चैनल को महत्वपूर्ण खबरें भी दी। फिर मुझे चैनल के तमाम सेग्मेंट विशेषकर, खौफ, वारदात, स्पेशल रिपोर्ट, धर्म, चलो छुट्टी मनायें के अलावा राजनीति से लेकर हर छोटी बड़ी ख़बरों पर काम करने का मौका मिला। चैनल से विदाई लेने से पहले मैने  "आज तक"  में स्ट्रिंगर न्यूज एजेंट के तौर पर जोशीमठ (चमोली) से कमल नयन कन्नू, रुद्रप्रयाग से मुकेश, टिहरी से अरविन्द और पौड़ी से चौधरी को मैंने ही 2011 में "आज तक" के लिए स्ट्रिंगर बनाया। जिनमें से जोशीमठ के स्ट्रिंगर कमल नयन को मैंने काफी ट्रेनिंग दी। वह आज भी बतौर न्यूज़ एजेंट काम कर रहा है लेकिन अन्य सभी ने मेरे चैनल छोड़ने के वक्त से ही काम करना बंद कर दिया था।</p>

उत्तराखंड में देहरादून सहित जोशीमठ, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, के अलावा अन्य क्षेत्रों में किसी भी नेशनल चैनल का कोई भी ब्यूरो ऑफिस नहीं है। मैं खुद बतौर स्ट्रिंगर काम कर चुका हूँ। मैंने इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया और ब्यूरो से बढ़ कर काम करके चैनल को महत्वपूर्ण खबरें भी दी। फिर मुझे चैनल के तमाम सेग्मेंट विशेषकर, खौफ, वारदात, स्पेशल रिपोर्ट, धर्म, चलो छुट्टी मनायें के अलावा राजनीति से लेकर हर छोटी बड़ी ख़बरों पर काम करने का मौका मिला। चैनल से विदाई लेने से पहले मैने  “आज तक”  में स्ट्रिंगर न्यूज एजेंट के तौर पर जोशीमठ (चमोली) से कमल नयन कन्नू, रुद्रप्रयाग से मुकेश, टिहरी से अरविन्द और पौड़ी से चौधरी को मैंने ही 2011 में “आज तक” के लिए स्ट्रिंगर बनाया। जिनमें से जोशीमठ के स्ट्रिंगर कमल नयन को मैंने काफी ट्रेनिंग दी। वह आज भी बतौर न्यूज़ एजेंट काम कर रहा है लेकिन अन्य सभी ने मेरे चैनल छोड़ने के वक्त से ही काम करना बंद कर दिया था।

मुझे भी TV पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है और नेशनल न्यूज चैनल्स की पॉलिसी की कुछ जानकारी भी है। इसीलिए कह रहा हूँ कि उत्तराखंड में किसी भी हिंदी/अंग्रेजी चैनल का कोई भी रिटेनर या स्टाफर नहीं है जिन्हें पत्रकार कहा जाता है। लेकिन प्रदेश में कुछ-एक लोग शासन प्रशासन के आँखों में धूल झोंक कर रौब ग़ालिब करते रहते हैं। इनकी पहचान ऐसे करें यदि इन्होने अपने फेसबुक id में वर्क्स एट में चैनल का नाम और Logo(चिन्ह) का प्रयोग किया है तो वह अमान्य ही नहीं बल्की गैरकानूनी भी है। और तत्काल ऐसे लोगो की शिकायत सम्बंधित चैनल के info@ या asssignment@ पर भेजें दरअसल उत्तराखंड के लिए किसी भी चैनल्स ने अपने पत्रकार रखे ही नहीं हैं ज्यादातर काम न्यूज एजेंसी ANI के मार्फ़त लिया जाता है।
 
बाकी न्यूज बेस पर स्ट्रिंगर रखे हैं, पर “आज तक” न्यूज चैनल में तो इन्हें न्यूज सर्विस एजेंट NSA कहा जाता है जो कि इनके आई कार्ड पर स्पष्ट रूप से अंकित होता है। दूसरी बात, कुछ नेशनल चैनल के न्यूज सर्विस एजेंट हर छोटी-छोटी खबर पर पहुँच जा रहे हैं। मसलन ग्राम प्रधान की अपने पंचों के साथ की बैठक में आगे से टेबल पर चैनल की ID को रख कर वहां पर स्ट्रिंगर खुद का प्रभाव कायम करना चाहता है। जबकि नियम ये है कि स्ट्रिंगर को हर खबर की अनुमति मेल के मार्फ़त दिल्ली स्थित assignment से लेनी जरुरी होती है और तभी वह ID लेकर जा सकता है या वह खुद जाता है तो इसकी सूचना भी assignment को पहले देनी होती है।
 
तीसरा खेल यह भी देखिये कि स्ट्रिंगर्स गाड़ी पर स्टिकर लगा देते हैं जो कि पूरी तरह से गैरकानूनी है। कार पर स्टिकर चैनल का अधिकृत पत्रकार ही लगा सकता है न कि सूचना वाहक स्ट्रिंगर न्यूज सर्विस एजेंट। ऐसे लोगों की पहचान करना भी बड़ा ही आसान है अगर आपके आस पास चैनल का स्टिकर लगी कोई कार दिखती है तो सबसे पहले उस स्टिकर पर क्रमांक नम्बर देखें, चैनल का कोड देखें। अधिकृत रूप से जारी कार स्टिकर पर स्पष्ट लिखा होता है कि वह किस तारीख को जारी हुआ और कब तक वैध है। अगर आपके सामने खड़ी कार या गाड़ी के स्टीकर पर इन सब बातों का उल्लेख नहीं मिलता है तो समझो उस कार में बैठा व्यक्ति पत्रकार नहीं है संदेह होने पर तुरंत सम्बंधित चैनल को मेल से सूचित करें मोबाईल से गाड़ी नम्बर सहित स्टीकर का फोटो भी लें और साथ में अटैच कर भेज दें या फेसबुक पर शेयर करें।

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दरअसल कुछ स्ट्रिंगर नेट से सम्बंधित चैनल्स लोगो (चिन्ह) को डाउनलोड कर प्रिंट आउट निकाल लेते हैं और फिर बड़ी शान के साथ अपनी गाड़ी का स्टिकर, दुकान के बाहर अन्दर लोगों पर प्रभाव जमाने के लिए उसे चस्पा कर देते हैं जो कि गैरकानूनी तो है ही साथ ही न्यूज चैनल्स के कायदे कानूनों के साथ छेड़ छाड़ भी है। सभी स्ट्रिंगर एजेंट को चैनलों से सख्त हिदायत होती है कि आप कम्पनी के लोगो का उपयोग बिना अनुमती नहीं करेंगे। स्ट्रिंगर परमानेंट नहीं होते हैं, उन्हे महज 11 -11 महीनों के लिए स्ट्रिंगर न्यूज एजेंट बनाया जाता है जिसका बाकायदा लीगल एग्रीमेंट होता है जिसमे स्ट्रिंगर एजेंट को साफ साफ लिख कर दिया जाता है कि आप हमारे इम्प्लाई नहीं है। स्ट्रिंगर के किसी भी विवाद में पड़ने पर न्यूज चैनल उसका साथ नहीं देगा।

ऐसे समझिये कि मानो कोई स्ट्रींगर किसी कार्यालय में बतौर पत्रकार जाता है और उसकी वहां मौजूद लोगों से झगडा हो जाता है, या अन्य किसी स्टेशन गाँव शहर में वह स्ट्रिंगर अपना व चैनल का रौब दिखाते हुए लोगों से उलझता है और फिर कोई उसकी शिकायत थाने या चैनल को भेजता है तो सम्बंधित चैनल तुरंत उसे बहार का रास्ता दिखा देता है और पुलिस उसे हवालात में डाल देती है। लेकिन यहाँ यह भी बताना चाहता हूँ कि मैंने यहाँ पर सिर्फ और सिर्फ गिनती के कुछ न्यूज एजेंटों की बात की है। बाकी तो ये हम सभी जानते हैं कि अधिसंख्य स्ट्रिंगर एक जूनून के तौर पर अपनी सेवाएँ भी देते हैं तमाम चैनल्स आज स्ट्रिंगर्स नेटवर्क के बदौलत ही चल भी पा रहे है। जिस तरह से पुलिस विभाग बिना मुखबिर के अधूरा है वैसे ही तमाम इलैक्ट्रानिक मीडिया संस्थान भी स्ट्रिंगर के बिना अधूरे है।

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बस हमारी यही मांग है कि स्ट्रिंगर को भी पत्रकार का दर्जा मिले परन्तु ये भी सच है कि स्ट्रिंगर से उसकी शैक्षिक योग्यता नहीं मांगी जाती है जबकि स्टाफर रिटेनर ब्यूरो रिपोर्टर का पूरा लेखा जोखा खंगाला जाता है और तब ही उन्हें पत्रकार का दर्जा भी मिलता है। न्यूज चैनल्स को ये तो देखना ही चाहिए कि भले ही वह पत्रकार नहीं बल्की एक एजेंट के तौर पर ही स्ट्रिंगर को रख रहे हैं लेकिन कम से कम उनकी शैक्षिक योग्यता 12वीं पास और स्क्रिप्ट राईटिंग में तो होनी ही चाहिए। ‘यूथ आइकॉन’ का अगला अंक इसी पर केन्द्रित रहेगा। विषय होगा “मीडिया में दीमक की धमक।”

शशि भूषण मैठाणी “पारस”
संपादक यूथ आइकॉन
Yi मीडिया
#9756838527

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0 Comments

  1. sanjay kunwar

    July 2, 2014 at 5:35 pm

    😛 bhai saab ek bat puchni hai ki kya print mediya ka patrkaro ko v education ki seema hoti ki wo itna pass hoga tavi usko sarkar indipendant jurnalist manyta prapt degi ……eski liye kitna pada hona jruri hai joshimath mai kai hai jo aaj 2 dasak se jyada kaam kar chuke lekin unki education kitni hai sab jaante hai…pls hmko es baari mai details mai btane ki kripa kerna
    thanks
    sanjay kunwar
    sambaddata
    the sundaypost
    joshimath

  2. p s billangwal

    July 4, 2014 at 12:44 pm

    Ha Ha Ha sanjay kunwar ka ishara mai samaj gaya, par kya karai , loktantra mai 10 gadhon k sankhiya adhik mani jati hai na ke 1 sher ke

  3. p s billangwal

    July 4, 2014 at 12:46 pm

    par sanjay tonay matra print k barae mai he kyoun pucha , electronic media ko kyoun chod diya

  4. sanjay kunwar

    July 15, 2014 at 6:13 pm

    sriman kya kai aajad ptrkar jo dasko ka anuvaw liye ho or wo v mnyta wale femas pepar se usko aakhir kya etni jrurt aa jati ki wo desh ke antim or chote plase se sirf free mai prtinedhi….bnke apne dukan chalu rakhe.yahe nahi kai news pepro mai aaj sirf apni kuch khas logo ki news lagane ke liye jana jata hai …log to prmostion ke baad bade jimmedari lete yaha chamoli mai log naam aane ke liye free mai kaam kerne ke liye pehle se us news paper mai emandari se kaam kerne walo ko htakar aapna rsta tyaar krne pr tule hai taki raajneti v ho jay or patrkarita ka luft v uthaya jaay or lage haath kamai v…mai v un badnaseeb0 mai se ek hu….jo enlogo se pedit hu…..koi rasta ho to btana pls…..yaha es line mai emandaar log kes trah kaam kr sakte hai koi btaaye…….

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