
संजय कुमार सिंह-
गोदी मीडिया भक्ति और चमचई भी ठीक से नहीं कर रहा है। अपना सामान्य काम तो नहीं ही कर रहा है। फिर देशद्रोही यहां क्यों नहीं ढूंढ़े जा रहे है। इनके काम का आलम यह है कि कश्मीर में पकड़े गए गुजराती ठग की खबर कई दिनों बाद लगी, अमृता फडणविस की शिकायत पर कार्रवाई तब हुई जब इंडियन एक्सप्रेस में आधी-अधूरी पर विस्तृत खबर छपी लेकिन पुलिस वाले राहुल गांधी से किसी का पता पूछने जाते हैं तो एएनआई को साथ लेकर ….
जहां तक गुजराती ठग का गंभीर मामला है वह व्यक्ति पूरी तरह ठग नहीं लगता है। इस मामले में कोई एक्सक्लूसिव खबर नहीं है जो दिल्ली से ही होनी है। एक्सक्लूसिव तो छोड़िये, कांग्रेस ने पूछा है कि ठग का मामला चूक है या साजिश – यह भी किसी अखबार में पहले पन्ने पर नहीं है। कश्मीर पुलिस और व्यवस्था की साख बनाए रखने के लिए यह बताया जाना चाहिए कि चूक कहां, कैसे और क्यों हुई। जिसकी जिम्मेदारी थी उसके खिलाफ कार्रवाई हो गई और अब ऐसा नहीं हो इसके लिए व्यवस्था कर ली गई है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है।


दूसरी ओर, अशोक स्तंभ के साथ किरण पटेल के विजिटिंग कार्ड में लुटियन की दिल्ली का जो पता लिखा है वह सही है कि नहीं – अभी तक कंफर्म नहीं है, वह घर है कि नहीं से लेकर किसका है, वह वहां रहता है कि नहीं, पते से लगता है (बहुत संभावना है) कि वह घर सरकारी होगा, अगर नहीं है तो सरकारी स्तर पर तुरंत खंडन कर दिया जाना चाहिए, अगर वहां रहता ही नहीं था तो इसे जांचना और बताना कोई मुश्किल नहीं है और इससे किरण पटेल के ठग होने की आशंका बढ़ती पर सरकार का प्रचार करने वालों ने सरकार के पक्ष में इतना भी नहीं किया है।
इसे जांचना बहुत आसान है पर वह भी नहीं किया गया है। वैसे तो यह काम फोन पर भी हो सकता है लेकिन जो हालत है उसमें किसी ने दो चार फोन मिलाए और पुलिस (सीबीआई) यही पूछने आ गई कि किस लिए फोन कर रहे थे, आपको जानने की क्या जरूरत है और फिर ईडी ने कह दिया कि खबर है कि आपने उससे पैसे लिए हैं और रिश्तेदारों के यहां छापे पड़ने लगे तो डराने का काम तो हो ही जाएगा।
इसलिए कोई और यह काम करेगा नहीं, मीडिया वाले नहीं कर रहे हैं तो देशद्रोह नहीं है? ऐसे में जो पत्रकारिता हो रही है वह देशद्रोह भले न हो चौकीदार का चोर होना या चौकीदारी के लिए रखे गए कुत्ते का भूंकना बंद कर देना तो है ही। इलाज जरूरी है।
अदानी का मामला हो या गुजराती ठग का सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है जबकि ठग की फोटो अमित शाह के साथ और उसकी पत्नी मालिनी की फोटो नरेन्द्र मोदी के साथ आ गई है… पुलिस ने इसकी पुष्टि या खंडन करने की बजाय राहुल गांधी से एक दूसरे मामले में विवरण मांगे और लिए…
ऐसे में अरुण जेटली के बेटे ने पद का दुरुपयोग किया और महिला का यौन शौषण किया – किसे याद होगा। खासकर तब जब महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री की पत्नी ने एफआईआर करवाई है कि एक डिजाइनर महिला ने उन्हें धमकी दी, वसूली की कोशिश की और रिश्वत देने की पेशकश की। पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की और इंडियन एक्सप्रेस में कई दिनों बाद खबर छपी तो उस महिला को गिरफ्तार कर लिया गया जो तमाम कारणों से पीड़ित लगती है। दोनों डबल इंजन वाले राज्य के मामले हैं और मीडिया का हाल यह है कि गुजराती ठग का दिल्ली का पता सही है या नहीं – अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। पुलिस ने जांच की या नहीं पता नहीं है। उसने खुद बताया नहीं, किसी ने पूछा या नहीं पता नहीं। किसी मीडिया वाले की खबर या ट्वीट की सूचना नहीं है।
इस बीच, कोई 45 दिन बाद दिल्ली पुलिस अचानक कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ सक्रिय हो गई है और भारत जोड़ो यात्रा के दौरान की गई टिप्पणी, “महिलाओं का अभी भी यौन उत्पीड़न किया जा रहा है” के मामले में अपने सवालों का जवाब लेने उनके घर पहुंच गई। जिसका विवरण एएनआई ने फोटो के साथ ट्वीट किया। लेकिन गुजराती ठग के मामले में कोई अधिकृत जानकारी नहीं है। आप कह सकते हैं कि उसकी गिरफ्तारी की सूचना शुक्रवार को सार्वजनिक हुई और उसके बाद दो दिन छुट्टी थी। हालांकि इस बीच अमित शाह के साथ ठग किरण पटेल और नरेन्द्र मोदी के साथ किरण की पत्नी मालिनी और बेटे (माने और बताये जा रहे हैं, पुष्टि नहीं हुई है) की तस्वीर सामने आई है।
ऐसे में गुजराती ठग का मामला इन कारणों से महत्वपूर्ण है लेकिन 2014 चुनाव से पहले बोलने वाले और मनमोहन सिंह को मौन मोहन सिंह कहने वालों की सरकार म्यूट मोड में चल रही लगती है। इससे
- दुनिया के सबसे लोकप्रिय और पसंदीदा स्वयंभू चौकीदारों की शक्तिशाली 56 ईंची व्यवस्था का मजाक बन रहा है।
- इस व्यक्ति का ब्लूटिक वाला ट्वीटर अकाउंट है और इसे फॉलो करने वालों में प्रदीप सिंह वाघेला भी हैं जो गुजरात भाजपा के महासचिव बताये जाते हैं।
- ट्वीटर पर विवरण के अनुसार यह व्यक्ति 34 मीना बाग फ्लैट्स, नई दिल्ली” का निवासी है। उसके विजिटिंग कार्ड पर वही पता छपा हुआ है। लुटियन दिल्ली के इस पते की पुष्टि या खंडन किसी गोदी वाले ने अभी तक नहीं किया है।
- इस कथित ठग की गिरफ्तारी ने सोशल मीडिया पर काफी हलचल पैदा कर दी है, लोग पूछ रहे हैं कि वास्तव में सुरक्षा व्यवस्था देखने वालों को मूर्ख बनाना इतना आसान है।
- राजद नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने दावा किया कि किरण भाई भाजपा के सदस्य हैं। उन्होंने तस्वीर दिखाकर दावा किया कि वह पटेल की भाजपा सदस्यता कार्ड का प्रिंटआउट और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ पटेल की तस्वीर थी।
- “केंद्र ने इन जैसे ठगों के बजाय सभी केंद्रीय एजेंसियों को विपक्ष पर छोड़ दिया है। अगर यह व्यक्ति आतंकवादी होगा, तो कल्पना कीजिए कि उसे किस तरह की जानकारी मिली होगी” तेजस्वी ने कहा।
- मालिनी पटेल के मुताबिक उनके पति किरण पटेल इंजीनियर हैं और वे खुद डॉक्टर हैं। मालिनी ने मीडिया को बताया कि उनके पति विकास कार्य के लिए कश्मीर गए थे क्योंकि वह एक इंजीनियर हैं और उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।
- किरण पटेल के अनुसार, उन्हें दक्षिण कश्मीर में सेब के बागों के लिए खरीदारों की पहचान करने के लिए सरकार द्वारा एक आदेश दिया गया था। कुछ आईएएस अधिकारी उससे खौफ में थे, क्योंकि वह राष्ट्रीय राजधानी में उच्च पदस्थ नौकरशाहों और राजनेताओं के नाम ले रहा था।
- जब पटेल 2 मार्च को अपनी तीसरी कश्मीर या ठगी यात्रा पर हवाई अड्डे पर पहुंचा, तो सुरक्षा अधिकारियों को उन पर शक हुआ क्योंकि उन्हें किसी वीआईपी के आने की कोई जानकारी नहीं थी। सुरक्षा अधिकारियों ने उसे हवाई अड्डे पर रोकने का भी प्रयास किया, लेकिन वह बुलेटप्रूफ एसयूवी कार से खुद होटल चला गया।
- एक पखवाड़े पहले, (3 मार्च को) किरण भाई को ठग होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी को 17 मार्च शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया था।
- शर्मिंदा जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक पखवाड़े तक गिरफ्तारी को छुपाए रखा। शुक्रवार को उसकी पुलिस रिमांड खत्म होने के कारण खुलासा होना लाजमी हो गया और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
- अगर किरण भाई के खिलाफ आरोप सही हैं, तो इसका मतलब यह होगा कि किरण भाई ने दुनिया के सबसे सैन्यीकृत क्षेत्रों में से एक को चलाने वालों को बेवकूफ बनाया है।
- नरेंद्र मोदी सरकार कश्मीर को सुरक्षा शोकेस में एक अपनी चमकदार ट्रॉफी के रूप में पेश करती रही है।
- यह मामला कई महत्वपूर्ण सवाल उठाता है, जैसे भले ही किरण भाई पीएमओ के एक सच्चे अधिकारी थे, क्या इससे उन्हें सरकारी खर्चे पर यात्रा का आनंद लेने का अधिकार मिल सकता है? क्या पीएमओ के अधिकारियों के साथ कश्मीर में इस तरह का व्यवहार किया गया है?
- पीएमओ के अधिकारी अघोषित रूप से हॉटस्पॉट में नहीं उतरते हैं। इस तरह की यात्रा होने से पहले दिल्ली से आधिकारिक संचार शुरू हो गया होता है।
- सेवानिवृत आईपीएस अधिकारी और सुरक्षा मामलों के दिग्गज यशोवर्धन झा आजाद ने ट्वीट किया, ‘कुछ तो गड़बड़ है, क्योंकि सिर्फ पीएमओ का अधिकारी होने से आप सुरक्षा के हकदार नहीं हो जाते, जेड प्लस तो दूर की बात है। सुरक्षा केवल खतरे की धारणा पर है इसलिए किसी को जवाब देना चाहिए।”
- पुलिस ने कहा कि “धोखाधड़ी” के खिलाफ पहले तीन मामले दर्ज किए गए थे — 2019 में बड़ौदा शहर के रावपुरा पुलिस स्टेशन में; 2017 में नरोदा पुलिस स्टेशन, अहमदाबाद में; और बयाड़ पुलिस स्टेशन, अरावली में।
- अगर ऐसा है तो इसकी और इसकी पत्नी की फोटो अमित शाह और नरेन्द्र मोदी के साथ कैसे है। पुरानी है तो बताने में क्या दिक्कत थी, तब की है?
- 14 फरवरी को खींची गई और ट्विटर पर अपलोड की गई एक तस्वीर में उन्हें उरी में कामन पोस्ट के सामने खड़ा दिखाया गया है, जहां एक पुल घाटी को पीओके से जोड़ता है । शीर्ष अधिकारियों की अनुमति के बिना नागरिकों को पुल के करीब जाने की अनुमति नहीं है।
- नेहरू जैकेट और धूप का चश्मा पहने, उसके सोशल मीडिया पोस्ट से पता चलता है कि वह संघर्ष-ग्रस्त केंद्र शासित प्रदेश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर गया। एक विशाल पुलिस दल के साथ जो चारों ओर हथियार लिये कथित तौर पर जेड-प्लस सुरक्षा मुहैया करा रहे थे। किसी ठग के लिए दोनों ही मुश्किल है।