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हलाल प्रमाणन पर प्रतिबंध और उसके मायने

संजय कुमार सिंह

उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल प्रमाणन पर रोक लगा दी है और इस संदर्भ में कार्रवाई व एफआईआर हो रही है। नवभारत टाइम्स के गाजियाबाद टाइम्स में प्रकाशित एक खबर के अनुसार हलाल सर्टिफायड 58 उत्पाद जब्त किये गये हैं और एफआईआर हुई है। इसके तहत नमूने जांच के लिए भेजे गये हैं और 23 स्थानों पर छापेमारी की सूचना एक ही खबर में है। अगर आप हलाल प्रमाणन को समझें तो मूल रूप से यह मुसलमानों के बाजार में जगह बनाने के लिए जरूरी है। 2012 की एक खबर के अनुसार ‘हलाल’ प्रमाणन लेने वाले भारतीय ब्रांड में केविन केयर, दावत, बिकानो, गोल्डविनर ऑयल, वाडीलाल आइसक्रीम, अमृतांजन हेल्थ केयर और गुजरात अंबुजा एक्सपोर्ट्स आदि हैं। 2012 में वैश्विक स्तर पर हलाल बाजार 2.1 ट्रिलियन डॉलर का था।

ऐसे में यह प्रतिबंध भारतीय उद्योग व्यापार को चौपट कर सकता है तथा पहले से खराब चल रही अर्थव्यवस्था और खराब होगी। संसाधनों और एजेंसियों का दुरुपयोग होगा। रोक के समर्थन में प्रमाणन देने वालों द्वारा आतंकवाद के लिए धन देने की आशंका भी जताई गई है। पर यह सब देखने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां हैं और यह कार्रवाई वैसे ही है जैसे सड़क पर दुर्घटनाएं होती हैं इसलिए वाहनों की आवाजाही ही प्रतिबंधित कर दी जाये। इसके समर्थन में जो लोग सरकारी तर्कों को दोहरा रहे हैं उन्हें समझना चाहिये कि दुनिया भर में जब यह प्रमाणन चल रहा है तो सिर्फ उत्तर प्रदेश में बंद करने से क्या होगा और अगर इतना ही बुरा है तो देश भर में बंद क्यों नहीं किया जाये।     

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इसे समझने के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया की मई 2012 की एक खबर पढ़िये और समझिये कि यह 2012 से चल रहा है और इसके खिलाफ कोई शिकायत नहीं है तो प्रतिबंध क्यों। खबर से यह भी पता चलेगा कि उद्योग-व्यापार और ब्रांड के लिए यह कितना जरूरी है। तभी तमाम लोकप्रिय ब्रांड ने यह प्रमाणन ले रखा है। बैंगलोर डेटलाइन से शिल्पा फडनिस की खबर इस प्रकार है, “इस्लामिक ब्रांडिंग एक ऐसा विचार है जिसका समय आ गया है। ब्रांड जब व्यापक उपभोक्ता आधार पर नज़र रख रहे हैं तो मुस्लिम संवेदनाओं का ख्याल रखना जरूरी है। मामला केवल खाने की हलाल चीजों का नहीं है बल्कि यह ब्रांडिंग प्रदर्शनों की सूची में सबसे आगे है और दुनिया भर के मुस्लिम उपभोक्ताओं के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है।

देश में विकसित ब्रांड जैस कैविनकेयर, दावत, बिकानो, गोल्डविनर ऑयल, वाडीलाल आइसक्रीम, अमृतांजन हेल्थ केयर और गुजरात अंबुजा एक्सपोर्ट्स आदि ने सिंगापुर, मलेशिया और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों के बाजारों में बेहतर पकड़ बनाने के लिए हलाल-प्रमाणन को अपनाया है।

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कैविनकेयर ने हलाल इंडिया से हलाल प्रमाणन लिया है। यह इसके तीन उत्पादों, फेयरएवर, नाइल हर्बल शैम्पू और रुचि अचार के लिए है। इससे यह सिंगापुर, मलेशिया और जीसीसी में अपनी पहुंच का विस्तार कर पायेगा।  चेन्नई स्थित पर्सनल केयर कंपनी, केविन-केयर के अंतरराष्ट्रीय व्यापार के महाप्रबंधक आरएस विजय कुमार ने कहा, “यह प्रमाणन गुणवत्ता मानकों पर ग्राहकों के लिए विश्वास का कारण है। प्रमाणन हमें अपने प्रतिस्पर्धियों पर भी बढ़त देगा।”

उदाहरण के लिए, नाइल शैम्पू ने पिछले वित्त वर्ष में सिंगापुर के हलाल-अनुपालक बाजार में 26.7% और मलेशिया में 22% हिस्सेदारी हासिल की थी। 1,100 करोड़ रुपये की कंपनी को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में उसका अंतरराष्ट्रीय कारोबार पहले के 70 करोड़ रुपये के मुकाबले 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा छू लेगा।

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बीकानेरवाला फूड्स के मिठाई और नमकीन ब्रांड बिकानो ने पिछले एक साल में मलेशियाई बाजार में सोन पापड़ी और कुकीज़ की बिक्री में 30% की वृद्धि देखी है। आंशिक रूप से यह हलाल प्रमाणन के कारण है। इससे वहां की खुदरा दुकानों पर इन्हें ज्यादा देखा जाता है। बीकानेरवाला फूड्स के प्रमुख (अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय) सचिन आनंद ने कहा, “हलाल सामग्री, प्रक्रियाओं और उत्पादों में गुणवत्ता और स्वच्छता के उच्चतम मानकों का प्रतीक है।”

अमृतांजन ने सिंगापुर, मलेशिया, वेस्ट इंडीज और कुछ अफ्रीकी बाजारों में निर्यात किए गए अपने सभी दर्द बाम उत्पादों के लिए हलाल प्रमाणपत्र प्राप्त किया है। हरीश बिजूर कंसल्ट्स के सीईओ हरीश बिजूर ने कहा, “इस्लाम कई मायनों में जीवन जीने का एक तरीका है। इस हद तक, इस्लामिक ब्रांडिंग ब्रांडों को अच्छे कार्यों के रूप में उपयोग करने के बारे में है। हलाल खाद्य पदार्थों से जो शुरुआत होती है, वह हर उद्योग में हलाल प्रथा की ओर बढ़ सकती है, वह चाहे फार्मास्युटिकल हो या कॉस्मेटिक उद्योग। उन्होंने आगे कहा, ”इस्लामिक ब्रांडिंग व्यापक क्षेत्रों को अपना सकती है, जो व्यावसायिक प्रथाओं को भी कवर करती है।”

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हलाल इंडिया के सीईओ मोहम्मद जिन्ना ने कहा, “कई ब्रांडों द्वारा हलाल को अपनाने के साथ, भारतीय ब्रांड अगले दस वर्षों में लगभग 200 बिलियन डॉलर के निर्यात बाजार के अवसर को देख सकते हैं।” हलाल प्रमाणन का विस्तार  उन ब्रांड्स तक किया जा सकता है जो आस्था, अच्छे व्यवहार और भावना में शरिया के सिद्धांतों से जुड़े हैं। ब्रांड कंसल्टेंसी फर्म ओगिल्वी नूर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर, हलाल बाजार सालाना 2.1 ट्रिलियन डॉलर का है।

भारत में हलाल उत्पादों के लिए बाजार का अवसर अभी भी अप्रयुक्त है, लेकिन ब्रांड सलाहकार 160 मिलियन मुसलमानों वाले देश में इसकी क्षमता को खारिज नहीं कर रहे हैं। टेम्पोरल ब्रांड कंसल्टिंग के संस्थापक और एमडी पॉल टेम्पोरल का मानना है कि ब्रांड प्रबंधकों के लिए इन मूल्यों को विभिन्न बाजारों और संस्कृतियों के लिए अनुकूलित करने के लिए बहुत अधिक जगह है, चाहे वह इस्लामी हो या नहीं।

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“यदि आप इस्लामी मूल्यों को देखें, तो उनमें से अधिकांश भावनात्मक हैं और यह अच्छी ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए बनता है। अधिक ध्यान से देखने पर पता चलता है कि इनमें से कई मूल्य सिर्फ इस्लामी दर्शकों के लिए उपयुक्त नहीं हैं, बल्कि सार्वभौमिक रूप से आकर्षक प्रकृति के हैं। मुद्दा या चुनौती यह पता लगाना है कि ये लोग कहां हैं और उन तक उपयुक्त उत्पाद पहुंचाना है।”

मूल खबर-

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https://timesofindia.indiatimes.com/business/india-business/indian-brands-get-halal-stamp/articleshow/13332220.cms

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