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न नियुक्ति पत्र न सेलरी स्लिप… यह है भाजपा नेता चंदन मित्रा के अखबार हिंदी पायनियर का हाल…

लखनऊ : एक ओर जहां तकरीबन हर अखबार में मजीठिया को लेकर उठापटक तेज है वहीं भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद चंदन मित्रा जी के अखबार पायनियर में अब भी प्रबंधन धूर्तता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। दरअसल मजीठिया फार्म भरने के लिए जिन कागजातों की जरूरत होती है उनमें से एक भी दस्तावेज यहां काम करने वालों के पास नहीं है। छह साल से निकल रहे हिंदी पायनियर में न तो किसी को सैलरी स्लिप दी जाती है और न किसी प्रकार का नियुक्ति पत्र। लिहाजा कोई भी मजीठिया क्लेम नहीं कर सकता है। सबकी हालत पंसारी की दुकान पर काम करने वाले नौकर की है।

<p>लखनऊ : एक ओर जहां तकरीबन हर अखबार में मजीठिया को लेकर उठापटक तेज है वहीं भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद चंदन मित्रा जी के अखबार पायनियर में अब भी प्रबंधन धूर्तता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। दरअसल मजीठिया फार्म भरने के लिए जिन कागजातों की जरूरत होती है उनमें से एक भी दस्तावेज यहां काम करने वालों के पास नहीं है। छह साल से निकल रहे हिंदी पायनियर में न तो किसी को सैलरी स्लिप दी जाती है और न किसी प्रकार का नियुक्ति पत्र। लिहाजा कोई भी मजीठिया क्लेम नहीं कर सकता है। सबकी हालत पंसारी की दुकान पर काम करने वाले नौकर की है।</p>

लखनऊ : एक ओर जहां तकरीबन हर अखबार में मजीठिया को लेकर उठापटक तेज है वहीं भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद चंदन मित्रा जी के अखबार पायनियर में अब भी प्रबंधन धूर्तता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। दरअसल मजीठिया फार्म भरने के लिए जिन कागजातों की जरूरत होती है उनमें से एक भी दस्तावेज यहां काम करने वालों के पास नहीं है। छह साल से निकल रहे हिंदी पायनियर में न तो किसी को सैलरी स्लिप दी जाती है और न किसी प्रकार का नियुक्ति पत्र। लिहाजा कोई भी मजीठिया क्लेम नहीं कर सकता है। सबकी हालत पंसारी की दुकान पर काम करने वाले नौकर की है।

श्रम विभाग की ओर से अभी तक इस विषय में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इसी अखबार में टिन-टिन नाम से एक कंपनी बनी है जिसमें मशीन में काम करने वाले लोगों को दिखाया गया है। सालों से इनकी सैलरी से पीएफ के नाम पर पैसा विजय प्रकाश काट रहे हैं लेकिन पैसा किस एकाउंट में जाता है यह किसी भी कर्मचारी को पता नहीं है। हिंदी में निकलने वाले इनके अखबार की तो और भी दुर्दशा है। यहां पर सभी लोग ठेके पर काम कर रहे हैं। न तो किसी के पास किसी प्रकार का नियुक्ति पत्र है और न ही सैलरी स्लिप। ज्यादर स्टॉफ को यहां पर काम करते हुए छह साल पूरे हो चुके हैं। लेकिन सारे नियमों को दरकिनार करते हुए प्रबंधन बंधुवा मजदूरी की तर्ज पर कर्मचारियों से काम ले रहा है। एक ओर जहां मीडिया जगत में पत्रकारों के संघर्ष के बाद आर्थिक हाल सुधरने के संकेत मिलने से शुरू हो गए हैं वहीं इस अखबार में कोई भी परिवर्तन होता नहीं दिख रहा है।

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कोई भी सज्जन इस विषय में खुद इस समाचार पत्र के लखनऊ स्थित कार्यालय में जाकर वहां की हकीकत को देख सकते हैं कर्मचारियों से बात कर यह जान सकते हैं कि आज भी बंधुवा मजदूरी का वजूद इस देश में कायम है। टीवी पर लंबे लंबे भाषण देने वाले मित्रा जी को शायद अपनी ही कंपनी की इस दुर्दशा के विषय में नहीं पता है और अगर पता है भी तो वो कुछ करना नहीं चाहते हैं। विजय प्रकाश यहां के कर्मचारियों का खून पीकर अपने पास दौलत का अंबार लगा रहे हैं। लेकिन कर्मचारियों के स्थिति सुधारने के लिए कोई कुछ भी नहीं कर रहा है। मजीठिया की लड़ाई पायनियर के कर्मी भी हिस्सा लेना चाहते हैं लेकिन कोई दस्तावेज न होने से सब चुपचाप बैठे हैं और इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि कब मजीठिया टीम इस ऑफिस में आती है… जिसके बाद वो लोग भी अपने स्तर से इस लड़ाई का आगाज कर सकें।

एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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0 Comments

  1. mm

    September 21, 2016 at 6:04 pm

    Pioneer ke kermchari kuchh kerna nahi chahte. Buss unhein baithey-bithaye koi mil jaye (majithia waley) jo unhein raton raat majithia dilwa sakey… Arey bhaiyye, haath par hath dhar kar baithney se kuchh nahin hota.. kya aaplogon ne ek baar bhi shram vibhag ka chakkar lagaya? Poochhha? kuchh jaankari lee? Nahi… to fir Khayali pulao pakaney se kuchh nahin milney wala…
    Bhadas par itna kuchh likha jaa rha hai, itna kuchh bataya jaa raha hai, fir bhi abhi tak aaplog hath par hath dharey baithey rahey…!!! Bada ashcharya hota hai….

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