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मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हिंदी अनुवाद पढ़ें (पार्ट वन)

अखबार प्रतिष्ठानों में कार्यरत श्रमजीवी पत्रकारों और गैर पत्रकार कर्मियों को मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतनमान न दिए जाने और माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश न मानने पर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई 83 अवमानना याचिकाओं और तीन रिट पेटिशनों का निपटारा करते हुए 19 जून, 2017 को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है, उसे कुछ कर्मचारी साथी मालिकों के पक्ष में बताकर निराशा का माहौल पैदा करने में जुटे हुए हैं। हालांकि इस निर्णय में मालिकों के पक्ष में सिर्फ एक ही बात गई है, वो यह है कि कोर्ट ने इनके खिलाफ अवमानना को स्वीकार नहीं किया है और जिन अखबार मालिकों ने मजीठिया वेजबोर्ड अधूरा लागू किया है और जिनने नहीं लागू किया है उन्हें एक और मौका दिया गया है।

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2. अधिनियम की धारा 16 में यह प्रावधान है कि इसके प्रावधान किसी भी अन्य कानून में या इस अधिनियम के प्रारंभ से पूर्व या पश्चात किए गए किसी अधिनिर्णय, करार या सेवा के अनुबंध के निबंधनों में अंतरविष्ट उससे असंगत किसी बात के होते हुए भी, प्रभावी होंगे। धारा 16 की उपधारा (1) और उपधारा (2) के प्रावधानों को एक विशिष्ट ध्यान देने की आवश्यकता होगी और इसलिए इसका सार नीचे दिया जा रहा है:

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धारा 16 की उपधारा (1) के प्रावधान

इस अधिनियम के निहित समाचारपत्र कर्मचारी ऐसे किसी अधिनिर्णय, करार, या सेवा के अनुबंध के अधीन या अन्यथ, किसी विषय के संबंध में ऐसे फायदों का हकदार है, जो उसके लिए उनसे अधिक अनुकूल हैं जिनका वह हस अधिनियम के अधीन हकदार है, तो वह सामाचारपत्र कर्मचारी उस विषय के संबंध में उन अधिक अनुकूल फायदों को इस बात के होते हुए भी हकदार बना रहेगा कि वह अन्य विषयों के संबंध में फायदे इस अधिनियम के अधीन प्राप्त करता है।

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धारा 16 की उपधारा (2)

इस अधिनियम में निहित कुछ भी किसी अखबार कर्मचारी को किसी नियोक्ता के साथ किसी भी मामले में ऐसे अधिकार या विशेषाधिकार जो उसके लिए उनसे अधिक अनुकूल हैं जिनका वह इस अधिनियम के तहत हकदार है, देने के लिए समझौता करने से नहीं रोक सकता है।

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इसके आगे पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें…

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