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मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हिंदी अनुवाद पढ़ें (पार्ट वन)

अखबार प्रतिष्ठानों में कार्यरत श्रमजीवी पत्रकारों और गैर पत्रकार कर्मियों को मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतनमान न दिए जाने और माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश न मानने पर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई 83 अवमानना याचिकाओं और तीन रिट पेटिशनों का निपटारा करते हुए 19 जून, 2017 को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है, उसे कुछ कर्मचारी साथी मालिकों के पक्ष में बताकर निराशा का माहौल पैदा करने में जुटे हुए हैं। हालांकि इस निर्णय में मालिकों के पक्ष में सिर्फ एक ही बात गई है, वो यह है कि कोर्ट ने इनके खिलाफ अवमानना को स्वीकार नहीं किया है और जिन अखबार मालिकों ने मजीठिया वेजबोर्ड अधूरा लागू किया है और जिनने नहीं लागू किया है उन्हें एक और मौका दिया गया है।

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10. मजीठिया वेजबोर्ड अवार्ड/अधिनिर्णय पर एक नजर इशारा करेगी कि वेजबोर्ड ने प्रतिष्ठानों/स्थापनाओं के पिछले तीन लेखा वर्षों, 2007-08, 2008-09, 2009-10 के औसत सकल राजस्व के आधार पर समाचारपत्र प्रतिष्ठानों/स्थापनाओं को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया था। औसत सकल राजस्व के आधार पर समाचारपत्र प्रतिष्ठानों की आठ श्रेणियां निकाली गई थीं और श्रमजीवी पत्रकारों और गैरपत्रकार कर्मचारियों को अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया था। सिफारिशें न केवल वेतन / मजदूरी के संशोधित वेतनमान और वेरिएवल पे परिवर्तनीय वेतन के संबंध में थीं, बल्कि साथ ही महंगाई भत्ता, घर किराया भत्ता, परिवहन भत्ता, पहाड़ी क्षेत्र भत्ता / कठिनाई भत्ता आदि की संशोधित दरों के संबंध में भी थीं। 

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…जारी…


मजीठिया पर जजमेंट मूल रूप से अंग्रेजी में आया था जिसे पढ़ने के लिए नीचे दिए शीर्षक पर क्लिक करें :

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मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट की पूरी पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए नीचे क्लिक करें :

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SC order on Majthia wage board : Download Order

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