शाहजहांपुर। हिंदी दिवस पर श्रमजीवी पत्रकार यूनियन की ओर से आयोजित विचार गोष्ठी और सम्मान समारोह में शहर की साहित्यिक प्रतिभाओं को सम्मानि किया गया। इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ. कुलदीप उज्जवल ने कहा कि भाषा का ज्ञान से कोई सरोकार नहीं है। हिंदी में न तो साहित्य की कमी है और न शब्द सामर्थ्य का अभाव। कमी है तो केवल नीयत की। हिंदी को अहिंदी भाषियों से नहीं, हिंदी भाषियों से ही खतरा नजर आ रहा है।
शहर के रायल पन्ना सभागार में आयोजित समारोह में उन्होने कहा कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसमें सहजता, सरलता और सुगमता का समावेश है। इसके बावजूद अपने ही हिंदी को उपेक्षित किए हैं। उन्होने कहा कि किसी भी भाषा का ज्ञान हासिल करना बुरा नहीं है, लेकिन अपनी मातृ भाषा का तिरस्कार भी उचित नहीं है। अपने विद्यार्थी जीवन की घटना का उल्लेख करते हुए उन्होने कहा कि एक प्रयोगात्मक परीक्षा में जब उन्हें साक्षात्कार का सामना करना पड़ा तो उन्होने परीक्षक से साफ-साफ कहा कि वह अपनी बात हिंदी में कहेंगे और हिंदी में ही उन्होने अपनी बात रखी। क्योंकि मातृ भाषा हिंदी है और अपनी भाषा अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। उन्होने लोगों से अपील की कि हिंदी को समृद्ध करने के लिए अपनी नीयत साफ रखें।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए यूनियन प्रदेश अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी ने हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए सोच की जरूरत है। जब तक हम अपनी भाषा के प्रति प्रेम नहीं करेंगे तब तक इसका अपेक्षित विकास संभव नहीं है। इस मौके पर प्रदेश पत्रकार मान्यता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने कहा कि हिंदी तभी जन-जन की भाषा बनेगी जब हम इसके प्रति समर्पण का भाव रखें। साथ ही इसके मर्म को समझकर अपनी कलम में इसका इस्तेमाल करें। समिति के ही मंत्री सिद्धार्थ कलहंस ने भी भाषा की सरलता पर भावनाओं की अभिव्यक्ति कर इसको आगे बढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयास पर बल दिया।
इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष नीतू सिंह, प्रेस क्लब के अध्यक्ष ओंकार मनीषी, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. आफताब अख्तर, सपा नेता उपेंद्र पाल, जरीफ मलिक आनंद ने भी हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने पर बल दिया। पूर्व में समारोह का शुभारंभ अतिथियों के साथ नगर पालिका अध्यक्ष तनवीर खां ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया। सभी ने चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। संचालन वरिष्ठ पत्रकार व कवि कुलदीप दीपक ने किया। यूनियन के जिलाध्यक्ष प्रेमशंकर गंगवार, महामंत्री अमित गुप्ता, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कमल सिंह, विनय पांडेय, शिवकुमार, अभिषेक गुप्ता उर्फ गुड्डे, संजय श्रीवास्तव, रामविलास सक्सेना, जगेंद्र सिंह, मुनीष आर्य, अभिनय गुप्ता, अवनीश मिश्रा आदि ने अतिथियों का बैज लगाकर व फूल मालाएं पहनाकर स्वागत किया।
समारोह में नगर मजिस्ट्रेट सीताराम गुप्ता, जेल अधीक्षक सोहनलाल गुप्ता, सीओ सिटी राजेश्वर सिंह, यूनियन के राष्ट्रीय पार्षद अशोक कुमार गुप्ता, प्रांतीय मंत्री कुलदीप पाहवा, जिला पंचायत सदस्य नीरज मिश्र, खुटार चेयरमैन के पति लक्ष्मण गुप्ता, रोजा चेयरमैन अजय गुप्ता, सहायक सूचना निदेशक केएल चैधरी, वरिष्ठ पत्रकार सुनील अग्निहोत्री, विवेक सेंगर, सरदार शर्मा, मो. इरफान, संजीव गुप्ता, अम्बुज मिश्रा, आरिफ सिद्दीकी, बीडी शर्मा, सुयश सिन्हा, दीप श्रीवास्तव, राकेश श्रीवास्तव, आले नवी, आशुतोष मिश्रा, राजीव मिश्रा, नीरज बाजपेई, विश्वमोहन बाजपेई, शिवप्रकाश वर्मा, नन्हें राठौर, शान मोहम्मद, रोहित यादव, अंकित जौहर, सौरभ गुप्ता, पत्रकार राजीव गुप्ता, रीतेश माथुर, सोनू राठौर, जितेंद्र कुमार, दयाशंकर शर्मा, शैलेंद्र बाजपेई, मनोज प्रबल, अर्जुन श्रीवास्तव, अमित त्यागी, राजबहादुर सिंह, शिशांत शुक्ला, पुनीत मनीषी, मनोज कुमार, इरफान ह्यूमन, अभिषेक सिंह, आदर्श मिश्र, अनुज कुमार, राजपाल, विनोद सिंह, धीरज सिंह, अरविंद कुमार, विनीत सैनी, विजय भारती, संजय मिश्रा, अरूण दीक्षित, अजीत कुमार, अभिनव मिश्रा, सत्यपाल गुप्ता, ब्रजेश सक्सेना, सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मुनेंद्र सिंह, उपाध्यक्ष जसविंदर सिंह बजाज, महासचिव संजय मिश्रा, वरिष्ठ अधिवक्ता जितेंद्र गुप्ता, शैलेंद्र सिंह, भावशील शुक्ला के अलावा बदायूं, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत व सीतापुर के पत्रकारों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ।
इन्हे मिला सम्मान
डॉ. कुलदीप उज्जवल ने वरिष्ठ कवि रामवीर सजल, कवयित्री उर्मिला श्रीवास्तव, ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान, हरिओम शुक्ल ओमी को हिंदी सेवा सम्मान और दिवंगत कवि दामोदर स्वरूप विद्रोही की याद में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रामकुमारी को शाल ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह प्रदान कर ‘स्मृति सम्मान’ से विभूषित किया। सम्मान से पूर्व सभी कवियों ने काव्य पाठ कर हिंदी को समृद्ध बनाए जाने पर बल दिया।
अतिथियों का किया सम्मान
श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के जिलाध्यक्ष प्रेम शंकर गंगवार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कमल सिंह, महामंत्री अमित गुप्ता, शिवकुमार, विनय पांडेय व रामविलास सक्सेना आदि ने समारोह में आए अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। साथ ही सभी का आभार व्यक्त किया।
Ashok Upadhyay
September 18, 2014 at 1:33 pm
लेख का शीर्षक से क्या सम्बन्ध है ?
kumar kalpit
September 18, 2014 at 6:29 pm
हैपी हिन्दी डे
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सभी हिंदी भक्तों, हिन्दी प्रेमियों, हिन्दी आधारित कवियों और हिन्दी को राष्ट्र भाषा घोषित करने वाले संविधान सभा के उन सदस्यों को भी हैपी हिन्दी डे…आखिर इतना तो हक़ उनका भी बनता है | हिन्दी के मास्साब इसबार छमा करेंगे .. उन्हें मोदी जी हाल ही में (शिछक दिवस पर बधाई दे चुके हैं )
मित्रों अब इन्तजार के घड़ियां खत्म हुई ,, आखिरकार हिन्दी दिवस आ ही गया| सालभर से उपेक्छित लोग आज पूजे गए.. जो बच गए हैं..उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है | उन्हें भी साल ओढ़ने का अवसर मिलेगा ,,,, हर शहर के सरकारी कार्यालयों,केंद्र सरकार के उपक्रमों मसलन बैंको बीमा कम्पनियो में हिन्दी सप्ताह, हिन्दी पखवाड़ा या हिन्दी माह मनाया जा रहा है |
बहारहाल बात मुद्दे की, किसी सरकारी स्कूल में निबंध प्रतियोगित्ता करवाई गई तो किसी में सुलेख लिखवाया गया… कही कवि सम्मलेन huye तो कही हिन्दी की महिमा का बखान हुआ | वैसी भी जब आपका बच्चा हिन्दी पर निबंध लखवाने की जिद करने लगे तो समझ जाइए की हिन्दी दिवस आने वाला है या सरकारी कार्यालयों में हिंदी दिवस/सप्ताह/पखवाड़ा का पोस्टर झाड़-पोंछकर निकाला जाने लगे तो संच जाइए की हिन्दी दिवस आने वाला है…
एक कहावत है ” घूर (जहां कूड़ा फेका जाता है) के दिन भी १२ साल में फिर जातें है ” तो ये बेचारी तो राष्ट्र भाषा है इसके दिन तो फिरने ही चाहिए …
नाहक लोग नाक-भव सिकोड़ते हैं.. यह एकमात्र दिवस तो है नहीं…जब हम हम हर साल ६९ दिवस (अगले साल एक बढ़ जाएगा हिमालय दिवस) मनाते है तो एक और सही,,,दिवसों पर फिर कभी| आज सिर्फ हिन्दी पर ही बात करेंगे ,,,
हाँ तो मैं कह रहा था कि,, सरकारी विभागों में ही नहीं निजी सन्सथानो में भी हर साल की तरह इस साल भी हिन्दी दिवस की तैयारियां युधस्तर पर हुई … इस बार भी
अधिकारियों के चमचों की चांदी रही| स्लोगन, भाषण या इसके बीच-बीच में पढ़ा जाने वाले शेर काफी कर्मचारियों ने फ्रेंच लीव (सरकारी कार्यालयों में डग्गेमारी टाइप वाले अवकाश को फ्रेंच लीव कहते हैं )| लाकर में रक्खे बैनरों को झाड़-पोंछकर निकाला गया| साहित्य कि हाँथ आजमा चुके कर्मचारियों को उन साहित्यकारों को मनाने का जिम्मा दिया गया है जो पिछली बार अपनी कटेगरी का उपहार न मिलने कि कारण हत्थे से उखड गए थे….. हिन्दी के अखबार (अंगरेजी मुझे आती नहीं) हिन्दी की महिमा का हिन्दी का गुड़गांन करने में कालम के कालम रंग दिए… |
मित्रों सवाल यह है की हम कब तक हिन्दी दिवस, हिन्दी सप्ताह और हिन्दी पखवाड़ा मनाते रहेंगे ???? आखिर कब तक ? एक बार फिर हैपी हिन्दी डे…. एक साल बाद फिर मिलेंगे… एक छोटे से ब्रेक के बाद….
इस विषय पर आपकी क्या राय है