मित्रों, कुछ ऐसा ही रुख है बड़े अखबार घरानों का। इस कड़ी में राज्यसभा सदस्य श्रीमती शोभना भरतिया के स्वमित्व वाले दैनिक हिन्दुस्तान में 27 सितम्बर को सम्पादकीय विभाग के तीन साथियों की बलि ले ली गयी। इनमें नोएडा से प्रकाशित हो रहे दिल्ली संस्करण के चीफ सब नागार्जुन और लखनऊ के प्रवीण पाण्डेय व संदीप त्रिपाठी शामिल हैं।
नागार्जुन ने दिल्ली डीएलसी दफ्तर में नये वेतनमान का केस लगा रखा था। प्रबंधन ने उनपर केस वापस लेने का दबाव बनाया। इसी बीच डीएलसी से प्रबंधन को नोटिस मिली। बस फिर क्या था, चढ़ गया प्रबंधन का पारा। प्रधान सम्पादक शशि शेखर के बाहर से लौटने का तीन दिनों तक इंतजार हुआ और उनके आते ही एचआर राकेश गौतम ने यह कहते हुए नागार्जुन को टर्मिनेशन लेटर पकड़ा दिया कि उनका कान्ट्रैक्ट रद कर दिया गया है।
उधर लखनऊ में नये वेतनमान को लेकर कुछ साथियों ने आवाज उठायी थी तो आलोक उपाध्याय सहित आठ पर गेट रोक लगा दी गयी थी। उनमें सबसे पहले संजीव त्रिपाठी का बर्खास्तगी पत्र कूरियर के माध्यम से उनके घर पहुंचा और अब प्रवीण व संदीप को टर्मिनेशन लेटर थमा दिये गये।
दोस्तों, गोरखपुर के साथी सुरेंद्र प्रताप सिंह ने भी पहले से ही केस लगा रखा है।हालांकि बीमारी के कारण वह आफिस नहीं जा रहे हें। फिलहाल इतने विवादों के बीच सुप्रीम कोट॔ में दाखिल यूपी सरकार की उस एफिडेविट की हवा तो निकल ही गयी है, जिसमें श्रम विभाग ने जबद॔स्त मिलीभगत के बीच दैनिक हिन्दुस्तान को यह कहते हुए दायरे से बाहर रख छोड़ा था कि वहां मजीठिया वेज बोड॔ द्वारा निर्धारित सीमा से ज्यादा वेतन दिया जा रहा है। यह देखना दिलचस्प रहेगा कि हिन्दुस्तान प्रबंधन इस तरह कब तक हमारे साथियों की बलि लेता है। जो कुछ भी हो, चार अक्टूबर की तारीख पर सुप्रीम कोट॔ में श्रीमती भरतिया का अखबार भी चर्चा में अवश्य रहेगा।
बनारस के वरिष्ठ पत्रकार योगेश गुप्त पप्पू की रिपोर्ट।
Yogendra
September 28, 2016 at 4:13 pm
Bhaiya up ka labour commissioner bik gaya hai wo Kisi b paper ke khilaf koi report nahi bana raha.
Jo report bani hai wo paper walo ke side se hi bani hai kyon ki karodo pahuch gaye hai.
Koi mane ya na mane up ne labour commissioner bik gaya.
Dekhne wali Baat ye hogi ki uski report ke Baad supreme Court apna Kya rukh rakho hai.