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हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन रिलायंस से डील को लेकर अपना पक्ष क्यों नहीं रख रहा?

शोभना भरतिया के स्वामित्व वाले हिंदुस्तान टाइम्स के मिंट और दिल्ली एडिशन के रिलायंस के मुकेश अम्बानी को बेचे जाने से सम्बंधित डील को लेकर तरह तरह की चर्चाएं हैं. हर कोई ये जानना चाहता है कि क्या वाकई हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन और रिलायंस के बीच कोई डील हुयी है? हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन इस पर कुछ बोल नहीं रहा है और ना ही अपना पक्ष रख रहा है। ना ही इस खबर का खंडन किया जा रहा है। यानि कुछ न कुछ तो शोभना भरतिया और रिलायंस के बीच खिचड़ी पकी है।

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शोभना भरतिया के स्वामित्व वाले हिंदुस्तान टाइम्स के मिंट और दिल्ली एडिशन के रिलायंस के मुकेश अम्बानी को बेचे जाने से सम्बंधित डील को लेकर तरह तरह की चर्चाएं हैं. हर कोई ये जानना चाहता है कि क्या वाकई हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन और रिलायंस के बीच कोई डील हुयी है? हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन इस पर कुछ बोल नहीं रहा है और ना ही अपना पक्ष रख रहा है। ना ही इस खबर का खंडन किया जा रहा है। यानि कुछ न कुछ तो शोभना भरतिया और रिलायंस के बीच खिचड़ी पकी है।

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हिंदुस्तान के एक संपादक ने अपना पक्ष एक ह्वाट्स ग्रुप में रखा भी लेकिन सिर्फ इस मुद्दे पर कि पांच हजार करोड़ में नहीं बिका यह समूह। आप भी पढ़िए इनका पक्ष…

”हिंदुस्तान टाइम्स मीडिया ग्रुप (एचटी मीडिया और एचएमवीएल) दोनों करीब 65 हजार करोड़ की कंपनियां हैं। इसकी ब्रांड वैल्यु देश के किसी भी मीडिया हाउस के मुकाबले सबसे ज्यादा है। इंटरनेशनल मार्केट में भी एचटी ग्रुप की अच्छी पकड़ है हर साल का रेवेन्यू भी बेहतरीन है। शेयर वैल्यु भी अच्छी है। एचटी मीडिया में मार्केट कैपिटल 1972.54 करोड़ और सालाना रेवेन्यु 2497.73 करोड़ तथा शेयर 85.25 रुपये है। एचएमवीएल में मार्केट कैपिटल 2,007.32 करोड़, रेवेन्यु 926.48 करोड़ सालाना और शेयर 276.90 रुपये है। ऐसी कंपनी क्या 5 हजार करोड़ रुपये में बेची जा सकती है? झूठा प्रचार करने वालों पर तरस आती है।”

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धन्यवाद संपादकजी, आपने अपनी बात तो रखी। ये सही बात हो सकती है तो हिंदुस्तान टाइम्स या आप साफ़ साफ़ क्यों नहीं लिखते कि हिंदुस्तान टाइम्स नहीं बिका है और ये खबर पूरी तरह गलत है। या ये क्यों नहीं बताते कि हिंदुस्तान टाइम्स अगर बिका है तो कितने में बिका है। क्या क्या बेचा गया है। सिर्फ प्रिंट राइट्स बिके हैं या कैपिटल भी बिका है। साथ ही हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन अगर अपना ये भी पक्ष रख देता कि हिंदुस्तान टाइम्स बिका है या हिंदुस्तान हिंदी भी और कितने एडिशन बेचे गए हैं तो बात साफ हो जाती।

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अगर कुछ एडिशन बेचे गए हैं तो कहां कहां के एडिशन बेचे गये हैं। ये सारी सच्चाई तो हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन ही जानता है और देश के अपने करोड़ो पाठकों और हजारों कर्मियों तक ये सच्चाई हिंदुस्तान टाइम्स ही पहुंचा पायेगा। उम्मीद है हिंदुस्तान टाइम्स इस पर अपना पक्ष रखेगा ताकि भ्रम की स्थिति दूर हो।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्सपर्ट
मुंबई
9322411335
[email protected]

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