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इंडिया वायस के सीईओ और एडिटर इन चीफ अनिरुद्ध सिंह भी कोबरा पोस्ट के ‘जहर’ से न बच सके, देखें वीडियो

साल 2015 में शुरू हुआ इंडिया वॉयस मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पर केंद्रित एक क्षेत्रीय समाचार चैनल है। भाग्य ब्रॉडकास्ट प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले ये कंपनी चल रही है। कंपनी के तीन प्रमोटरों में से एक हैं सीईओ और एडिटर-इन-चीफ अनिरुद्ध सिंह, जो कि मीडिया में एक पुराना नाम हैं।

उन्होंने सहारा समाचार, इंडिया न्यूज़, अमर उजाला और दैनिक जागरण के साथ भी काम किया है। इंडिया वॉयस के लखनऊ कार्यालय में अनिरुद्ध सिंह से मुलाकात की वरिष्ठ पत्रकार पुष्प शर्मा ने। और इन्हें अपने एजेंडे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पुष्प की बातों पर अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि “आपको जो ये आपका अपना चैनल है इसको इस तरह से समझ करके इसको स्थान देना है आपको”।

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अगले ही पल अनिरुद्ध पुष्प के सामने इस बात का खुलासा करते हैं कि जिस विचारधारा पर आप काम कर रहे हैं उसी से मैं जुड़ा हुआ हूं। आगे पुष्प कहते हैं कि मैं उम्मीद करता हूं कि इस एजेंडे के साथ कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा। जवाब में अनिरुद्ध करते हैं कि “किसी भी तरीके का नहीं… वैसे दूसरे लोग आपके एजेंडे को कम follow कर पा रहे हैं, हमारा हम ज्यादा follow कर रहे हैं”

अनिरुद्ध से अपने अभियान में मदद की मांग करते हुए पत्रकार पुष्प शर्मा ने अपना दुर्भावनापूर्ण एजेंडा उनके सामने रख दिया। जिस पर अनिरुद्ध आश्वासन देते हुए कहते हैं कि वो जल्द ही इस एंजेंडे पर काम करना शुरू कर देंगे। “और आप लोगों का सहयोग मिल जाएगा आशीर्वाद मिल जाएगा तो जल्दी इसको कर लेंगे” आगे हिंदुत्व के प्रचार का आश्वासन देते हुए अनिरुद्ध आश्वासन देते हुए कहते हैं कि “सर मैं इस विचारधारा का बहुत स्ट्रॉग सपोर्टर हूं, मतलब मैं उन सब लोगों में से हूं मैं यहीं आपके सामने बैठा हूं मैं सार्वजनिक रूप से कह सकता हूं कि हिंदुस्तान में भगवान राम का मंदिर बनाना चाहिए, इसलिए बनना चाहिए क्योंकि यहां अगर नहीं बनेगा तो कहां बनेगा”

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हिंदुत्व पर अपनी निष्ठा स्पष्ट करने के बाद, अनिरुद्ध अपने ग्राहक यानी पत्रकार पुष्प से पूछते है “आप जो भी और चीजें clear करना चाहते हैं मुझे बता दीजिए कोई issue नहीं है” अनिरुद्ध की बढ़ती दिलचस्पी को देखकर अब पुष्प उनके सामने अपने एजेंडा का सबसे खतरनाक पहलू रखते हैं। पुष्प इनसे सांप्रदायिक पहलू की बात करते हुए कहते हैं कि हमारे एजेंडे के तीन मुख्य बिंदू हैं पहला और सबसे महत्वपूर्ण हिंदुत्व है, जिससे हम कभी समझौता नहीं करेंगे। एक सुखद माहौल बनाने के लिए, भगवद् गीता की शिक्षाओं का उपयोग करके हिंदुत्व को बढ़ावा देना होगा और श्रीमद् भगवद् गीता प्रचार समिति को प्रायोजक के रूप में पेश करना होगा। जैसे-जैसे चुनाव आएंगे, आप देखेंगे कि सभी राजनीतिक दल इस अल्पसंख्यक कार्ड को खेलेंगे। तब हम उन्हें अपने हिंदुत्व मीडिया अभियान के साथ मुकाबला करने में सक्षम होंगे और अगर जरूरत पड़ी तो हम सांप्रदायिक लाइनों पर मतदाताओं को ध्रुवीकरण भी करेंगे।

पुष्प की बात का जवाब अनिरुद्ध “ठीक है” कहकर देते हैं, इसके बाद “जी-जी” और फिर कहते हैं “Polarize कर देंगे” अपनी बात को मजबूती से रखते हुए पुष्प कहते हैं कि अगर हमारे प्रतिद्वंदी इसे सीधे खेलते हैं, तो हम भी सीधे खेलेंगे और अगर वे गंदे खेलते हैं, तो हम भी इसी तरह करेंगे। जवाब में अनिरुद्ध कहते हैं “समझ गया” हालांकि, ये सुनिश्चित करने के लिए कि अनिरुद्ध उनके मुद्दे पर पूरी तरह सहमत हैं पुष्प इनसे एक बार फिर पूछते हैं कि क्या आप इस अभियान में हमारे साथ हैं। जवाब में अनिरुद्ध कहते हैं कि “ठीक है, पूरा सपोर्ट मिलेगा”

इसके बाद पुष्प अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों राहुल गांधी, मायावती और अखिलेश यादव का जिक्र करते हुए उन्हें पप्पू, बूआ और बबुआ जैसे नामों से इनका दुष्प्रचार करने की बात कहते हैं। पुष्प कहते हैं कि अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों की चरित्र हत्या करना भी हमारे एजेंडे का एक हिस्सा होगा। पुष्प कहते हैं कि अगर इन सब में से आपको बबुआ यानी अखिलेश को लेकर कोई हमदर्दी है तो आप इसे इस परिपेक्ष से बाहर रखना चाहते हैं तो रख सकते हैं। एजेंडा पर सहमति जताते हुए अनिरुद्ध कहते हैं कि “हमारी जो भी है ना पप्पू से sympathy है, ना जो बूआ से sympathy है और ना हमारी बबुआ से sympathy है”

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पुष्प इन्हें बताते हैं कि हमारे जिंगल्स केवल पप्पू पर हमला करते हैं, क्योंकि आखिरकार लड़ाई केवल कांग्रेस और बीजेपी के बीच होगी, वो आगे बताते हैं कि हमने इस नेता को पप्पू के रूप में ब्रांडिंग करने में बहुत गाढ़ी कमाई का निवेश किया है। इसलिए, उनके चरित्र की हत्या नियमित आधार पर की जानी चाहिए, ताकि लोग उसे कभी गंभीरता से न लें। पुष्प इन्हें अपने अभियान के राजनीतिक पहलू पर विस्तार से बताते हैं जिसपर अनिरुद्ध “ठीक” है कहकर जवाब देते हैं।

आगे पुष्प कहते हैं कि मैं उम्मीद करता हूं कि आपको कांग्रेस, बसपा और सपा और इनके नेताओं के खिलाफ स्टोरी चलाने में कोई दिक्कत नहीं आएगा। अनिरुद्ध आगे कहते है कि “नहीं, हमें कोई दिक्कत नहीं है” अपने अभियान के पहले दो चरणों का जिक्र करते हुए पुष्प इन्हें 1.5 करोड़ रुपये का बजट बताते हैं, पत्रकार उन्हें बताते हैं कि अगर उनका चैनल अभियान को चलाने में अच्छी तरह सहयोग करेगा तो वो छह महीने के बाद बजट में कई गुना वृद्धि कर देंगे। पुष्प इनसे कहते हैं कि आपके उच्च अधिकारियों की तरफ से मेरे अभियान में कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए। अनिरुद्ध एक बार फिर पुष्प को आश्वस्त करते हैं कि “आप उस चीज के लिए निश्चिंत रहिए बाकी लोगों से अच्छी delivery ना मिले तो आप मुझसे कहिएगा”

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मुलाकात खत्म करने से पहले पुष्प एक बार फिर अपने एजेंडे के मुख्य बिंदुओं पर वापस आते हैं ताकि इसे दृढ़ता से चलाया जा सके। पुष्प बताते है कि हमें हिंदुत्व को बढ़ावा देकर एक सुखद माहौल बनाना है, और फिर चिह्नित राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को लगातार झुकाना है। जवाब में अनिरुद्ध कहते हैं कि “ठीक है” पुष्प फिर पूछते हैं कि मैं उम्मीद करता हूं कि आपको मेरा एजेंडा अच्छे से समझ आ गया होगा। जवाब में अनिरुद्ध कहते हैं कि “मैं समझ गया” पत्रकार फिर पूछते हैं कि बताओ मेरे एजेंडा का पहला बिंदु क्या है, एक आज्ञाकारी छात्र की तरह अनिरुद्ध एक-एक कर सारे बिंदु गिनवाना शुरु करते हैं। “हिंदुत्व.. और दूसरा जो है सरकार की छवि को.. जी पप्पू, बूआ और उनपर attack” पुष्प कहते है कि यही हम आपसे चाहते हैं। आपको हमारे राजनीतिक प्रतिद्वंदियों की चरित्र हत्या कर बार-बार उन्हें झुकाना है ताकि कोई भी उन्हें गंभीरता से ना ले। बदले में अनिरुद्ध कहते हैं कि “जी”

आखिरकार पुष्प इनसे एक बार फिर पूछते हैं कि क्या उन्हें इस एजेंडा के संबंध में किसी और चीज पर चर्चा करनी है। इसपर अनिरुद्ध का जवाब क्या था ये सुन लीजिए “बस मेरा तो मैं clear हूं और मैं बहुत excited हूं”

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देखें संबंधित वीडियो….

साभार- कोबरा पोस्ट

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2 Comments

2 Comments

  1. Kanshiram raikwar

    May 30, 2018 at 9:54 am

    भारत देश का प्रजातंत्र आगे रहे या न रहे परन्तु कोबरा पोस्ट के इस आँपरेशन ने इस चौथे स्तंभ को लक्ष्मणरेखा की सीमा का भान करा दिया है।

  2. Kritil Mahadev

    June 4, 2018 at 6:11 am

    Big media has always been susceptible to the lure of big money. We have seen fraudulent chit fund companies and dubious educational institutions emerge as top advertisers and going on to run their own newspapers, channels and magazines. There has been a massive failure on part of the regulators and the regulations are also fairly antiquated. A toothless institution like Press Council of India is not up to this job. The government of the day is mulling moves to regulate social media while turning a blind eye to these developments in the mainstream industry of information dissemination. It suits the agenda of the current government and the RSS which runs this government.

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