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Zee मालिक सुभाष चंद्रा के दामन पर लग सकता है दिवालिया होने का दाग

जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के चेयरमैन सुभाष चंद्रा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सेबी के बाद अब इंडियाबुल्स ने उन्हें झटका दिया है. इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस ने उनके खिलाफ एक पर्सनल दिवालिया याचिका को फिर से आगे बढ़ाने का फैसला किया है.

यह मामला विवेक इंफ्राकॉन नामक एक कंपनी से जुड़ा है. सुभाष चंद्रा ने इस कंपनी के लोन को लेकर लेंडर्स को गारंटी दी थी. इंडियाबुल्स के वकील सुमेश धवन ने 28 फरवरी इस मामले में नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में एक घंटे से अधिक समय तक बहस की. मामले की अगली सुनवाई 4 मार्च को होने की संभावना है. NCLT फिलहाल चंद्रा के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल राज कमल सरोगी की रिपोर्ट पर विचार कर रहा है.

इंडियाबुल्स हाउसिंग के अनुसार, चंद्रा ने दावा किया था विवाद में समझौता हो गया है, लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद ऐसा नहीं हो सका है. ऐसे में इंडियाबुल्स व्यक्तिगत दिवालिया याचिका को फिर से आगे बढ़ाने के लिए मजबूर है. यह याचिका इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड-2016 (IBC) के तहत दायर की गई है.

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इंडियाबुल्स ने 2022 में सुभाष चंद्रा के खिलाफ व्यक्तिगत दिवालिया की कार्यवाही शुरू करने के लिए एक याचिका दायर की थी, क्योंकि विवेक इंफ्राकॉन को दिया गया 170 करोड़ रूपये का लोन गैर-निष्पादित संपत्ति में बदल गया था. तब चंद्रा ने तर्क दिया था कि एनसीएलटी किसी व्यक्ति के दिवालिया होने पर फैसला नहीं दे सकता है.

हालांकि, 30 मई 2022 को ट्राइब्यूनल ने फैसला सुनाया कि उसके पास चंद्रा की इनसॉल्वेंसी पर आदेश देने की शक्तिया हैं और उसने इंडियाबुल्स के आवेदन पर विचार करने के लिए एक रिजॉन्यूशनल प्रोफेशनल नियुक्त किया. IBC के तहत व्यक्तिगत गारंटी से जुड़े प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था.

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सुप्रीम कोर्ट ने जून 2022 में व्यक्तिगत गारंटरों के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनलों को उनके आदेश पर कार्य नहीं करने के लिए कहा था. नवंबर 2023 में इसने इन प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखा, जिससे कंपनियों के लिए व्यक्तिगत गारंटरों के खिलाफ मामलों को पुनर्जीवित करने का रास्ता बन गया. इस तरह IBHF ने अपनी याचिका को पुनर्जीवित किया है.

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