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आयोजन

निर्भीक होकर कलम चलाने वाले पत्रकारों की हत्या के खिलाफ यूपी बिहार में जगह-जगह प्रदर्शन

पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के खिलाफ यूपी और बिहार के जिले जिले में धरना प्रदर्शन आयोजित हो रहे हैं… कुछ जगहों से आई रिपोर्ट्स यहां प्रकाशित की जा रही है….

बलिया। बिहार राज्य के सिवान जनपद के पत्रकार राजदेव रंजन व झारखण्ड के चतरा जिले के पत्रकार इंद्रदेव यादव की हत्या के विरोध में राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सोमवार को उप्र श्रमजीवी पत्रकार यूनियन बलिया ने डीएम को सौंपा। कहा कि पत्रकार राजदेव रंजन की 12 मई को सरेआम हत्या कर दी गई। इस घटना के 24 घंटे के अंदर झारखण्ड राज्य के चतरा जिले में इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़े पत्रकार इन्द्रदेव यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। देश में पिछले वर्ष छह पत्रकारों की हत्या तथा पत्रकारों पर हमले की 120 से अधिक घटनाएं हो चुकी है। उप्र में पिछले चार माह में तीन पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि समाज में सजग प्रहरी के रूप में पत्रकार के उत्तरदायित्व निर्वहन में बाधा डालने का न सिर्फ प्रयास किया जा रहा है, बल्कि निर्भीक होकर कलम चलाने वाले पत्रकारों की हत्या की जा रही है।

पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के खिलाफ यूपी और बिहार के जिले जिले में धरना प्रदर्शन आयोजित हो रहे हैं… कुछ जगहों से आई रिपोर्ट्स यहां प्रकाशित की जा रही है….

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बलिया। बिहार राज्य के सिवान जनपद के पत्रकार राजदेव रंजन व झारखण्ड के चतरा जिले के पत्रकार इंद्रदेव यादव की हत्या के विरोध में राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सोमवार को उप्र श्रमजीवी पत्रकार यूनियन बलिया ने डीएम को सौंपा। कहा कि पत्रकार राजदेव रंजन की 12 मई को सरेआम हत्या कर दी गई। इस घटना के 24 घंटे के अंदर झारखण्ड राज्य के चतरा जिले में इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़े पत्रकार इन्द्रदेव यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। देश में पिछले वर्ष छह पत्रकारों की हत्या तथा पत्रकारों पर हमले की 120 से अधिक घटनाएं हो चुकी है। उप्र में पिछले चार माह में तीन पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि समाज में सजग प्रहरी के रूप में पत्रकार के उत्तरदायित्व निर्वहन में बाधा डालने का न सिर्फ प्रयास किया जा रहा है, बल्कि निर्भीक होकर कलम चलाने वाले पत्रकारों की हत्या की जा रही है।

पत्रकारों ने मांग किया कि सिवान के पत्रकार राजदेव रंजन एवं चतरा जिले के पत्रकार इन्द्रदेव यादव हत्याकाण्ड की सीबीआई जांच करायी जाय। उनके परिजनों को 50-50 लाख रुपये मुआवजा एवं आश्रित को सरकारी नौकरी देने के साथ ही उनके बच्चों की पढ़ाई का प्रबंध राज्य सरकार वहन करें। केन्द्र सरकार तत्काल पत्रकार सुरक्षा कानून बनायें। पत्रकारों के लिए दुर्घटना बीमा योजना बनाया जाय, ताकि पत्रकारों के आकस्मिक निधन/दुर्घटना होने पर उनके आश्रितों को राहत मिल सके। पत्रकारों को समाचार संकलन में बाधा डालने की घटना के मामले में केन्द्र सरकार नया प्रभावी कानून बनायें।

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ज्ञापन देने वालो में जिलाध्यक्ष अनूप कुमार हेमकर, अमर उजाला के ब्यूरो प्रमुख यशोदा नन्द, यूनिवार्ता के डॉ अखिलेश सिन्हा , हिंदुस्तान के ब्यूरो प्रमुख सुधीर ओझा,राष्ट्रीय सहारा के ब्यूरो प्रमुख हरिनारायण मिश्र, जनसन्देश टाइम्स के प्रमुख भोला प्रसाद, प्रदीप गुप्त, दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार सुधीर तिवारी व  शशिकांत ओझा, अजय राय, एन डी टी वी व ए एन आई के करूणा सिंधु सिंह, ए बी पी के अजय भारती, आजतक के अनिल अकेला ,वरिष्ठ पत्रकार के के पाठक,महामन्त्री राजेश ओझा , अरविन्द गुप्त,अखिलेश सैनी, असगर अली, प्रदीप शुक्ल, गिरीश तिवारी,सतीश मेहता , रामकृष्ण मिश्र, ओमप्रकाश शर्मा, अनिल सिंह, डॉ. आशुतोष शुक्ल,  रविन्द्र चौरसिया, वीरबहादुर सिंह, रोशन जायसवाल, रामजी यादव, अजीत पाठक, नवीन कुमार गुप्त, नवनीत मिश्र, आलोक रंजन, श्रवण पांडेय, आसिफ जैदी, पंकज राय,  मधुसूदन सिंह, धनंजय सिंह, करूणासिन्धु तिवारी, संजय तिवारी, मुकेश मिश्र, वीर बहादुर सिंह, श्रीकांत चतुर्वेदी आदि शामिल रहे।

भभुआ में कैमूर जिला पत्रकार संघ ने दिया धरना

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भभुआ | सीवान जिला के पत्रकार रामदेव रंजन की हत्या के विरोध में सोमवार को कैमूर जिला पत्रकार संघ ने समाहरणालय के मुख्य द्वार पर एक दिवसीय धरना दिया |साथ ही पत्रकारों का प्रतिनिधिमंडल डी एम के माध्यम से महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन भी दिया| इस मौके सामाजिक कर्यकर्ताओं एवं राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी पत्रकारों का बखूबी साथ निभाया| धरना को संबोधित करते हुए विधान पार्षद संतोष कुमार सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार को सत्ता का घमंड हो गया है| वे अब प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने लगे हैं| लेकिन उनका यह सपना पूरा होने वाला नहीं है| बिहार में सुशासन बाबू के नाम से विख्यात नीतीश बाबू  पहले अपने गिरेबान में झांके कि आपराधिक मामले में बिहार की क्या हालत हो गयी है| सब जगह शराबबंदी का ढोल पीट रहे हैं| जैसे बिहार पहला राज्य है जहाँ शराब बंद है जबकि कई राज्य पहले ही इस पर रोक लगा चुके हैं| श्री सिंह ने आगे कहा कि लालू प्रसाद के शासन काल को जंगलराज की संज्ञा देने वाले सुशासन बाबू अब लालू का तलवा चाट रहे हैं|जब से लालू से उन्होंने हाथ मिलाया है तब से बिहार की धरती खून से लाल हो रही है|अस्पताल में दावा नहीं है तो स्कूल में आज तक छात्रों को किताबें नहीं मिली है|जो उनको दिखाई नहीं दे रहा है| भाजपा के दिनेश गुप्त ने हत्या मामले पर सरकार के खिलाफ खूब भड़ास निकाली और मांग की कि मृत पत्रकार के परिजनों को 25 लाख रूपये और नौकरी बिहार सरकार दे नहीं तो विपक्ष सदन से सड़क तक विरोध करेगी| धरना की अध्यक्षता वरीय पत्रकार बागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी एवं सञ्चालन आनंद कुमार सिंह ने की| धरना को पत्रकार प्रसून कुमार मिश्र, अशोक कुमार सिंह, पंकज राय, मुकुल जायसवाल, विनोद चमड़िया, श्रीकांत पाण्डेय, डॉक्टर लक्ष्मण शरण सिंह के अलावा सामाजिक कार्यकर्त्ता प्रोफ़ेसर सुजीत कुमार सिंह, कृष्णा जायसवाल, अनिल कुशवाहा, वीरेंद्र कुशवाहा, काशी नाथ सिंह आदि ने संबोधित किया| इस अवसर पर पत्रकार दिलीप उपाध्याय, अत्री भरद्वाज, देव व्रत तिवारी, अजीत कुमार, संजय कुमार, अरशद रज़ा, इमरान अली, रंजन कुमार त्रिगुण, उपेन्द्र यादव, ओमप्रकाश पाण्डेय, राजेश लहरी आदि उपस्थित थे|

सहरसा के वरिष्ठ पत्रकारों ने निकाला विरोध मार्च

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सहरसा के वरिष्ठ पत्रकारों ने सड़कों पर निकाला विरोध मार्च…. सभी पत्रकारों को एकजुट कर कैंडल मार्च के साथ पत्रकार राजदेव रंजन को श्रद्धांजलि दी… वैसे तो सहरसा के पत्रकारों में कोई एकता एकजुटता नहीं है…. सहरसा के ताजा टीवी के पत्रकार मनोज ठाकुर के साथ भूमाफिया के द्वारा मारपीट की गई लेकिन कोई विरोध प्रदर्शन पत्रकार साथियों ने नहीं किया.. राजदेव रंजन को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए सहरसा के सभी कार्यालय के ब्यूरो प्रमुख कैमरे के सामने कूदते हुए नजर आए और वहीं प्रखंड स्तर से आए सभी पत्रकारों को पीछे छोड़ दिए.. लाचार होकर प्रखंड के सभी पत्रकार पीछे-पीछे मोर्चा संभाले हुए नजर आए.. -Tejashwi Thakur, [email protected]

यूपी के जिला बस्ती में भी हुआ प्रदर्शन

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बस्‍ती। बिहार प्रान्‍त के सीवान जिले में हिन्दुस्तान अखबार के ब्यूरों प्रमुख राजदेव रंजन व झारखण्‍ड प्रान्‍त के टीवी पत्रकार इन्‍द्रदेव यादव की हत्‍या के विरोध में आक्रोशित पत्रकारो ने यू पी श्रमजीवी पत्रकार यूनियन बस्‍ती के नेतृत्‍व में पत्रकारों, सामाजिक, राजनीतिक व्‍यापारी संगठनों ने बीती शाम कैण्डिल मार्च निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद मंगलवार को जिलाधिकारी के माध्यम से बिहार / झारखंड सरकार एवं प्रधानमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा। बिहार सरकार के खिलाफ नारेबाजी के साथ पत्रकारो ने मृतक राजदेव रंजन के हत्यारों को फांसी की मांग और पीड़ित परिवार को 50-50 लाख रूपये सहायता देने परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिलाये जाने व पत्रकार सुरक्षा कानून बनाए जाने की मांग की। जिले के सैकड़ों पत्रकारों, सामाजिक, राजनैतिक व व्‍यापारियों ने राजकीय इंटर कालेज से जिला सूचना कार्यालय तक कैण्डिल मार्च निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया। सभी पत्रकारों ने हत्‍या की निन्‍दा की कहा कि अगर हत्‍याकांड के आरोपियों को शीघ्र गिरफ्‍तार कर फांसी व परिवार को आर्थिक सहायता नही दी गई तो संगठन आन्‍देालन के लिए बाध्‍य होगा। दोनों कार्यक्रमो के दौरान प्रकाश चन्‍द्र गुप्‍त, पंकज सोनी, पुनीत ओझा, पारस नाथ मौर्य, राजीव शुक्ला, अनुज प्रताप सिंह, रजनीश त्रिपाठी, अमृत लाल, दिलीप उपाध्याय, राजेश पाठक, बबुन्दर यादव,राघवेंद्र सिंह, संदीप गोयल, हरि प्रकाश चौहान, वशिष्‍ट पाण्‍डेय, तनवीर आलम, अजीतमणि, आलोक मिश्र, धमेन्‍द्र पाण्‍डेय, देवेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव, संतोष सिंह,राजेश सिंह, वसीम अहमद, सिम्मी भाटिया, इमरान अली, राहिल खान, राकेश गिरी, सत्‍येन्‍द्र सिंह भोलू, अशोक श्रीवास्‍तव, बृहस्‍पति पाण्‍डेय, कमलेश सिंह, विवेक गुप्ता, विवेक श्रीवास्तव, रहमान, मेहताब, अशोक श्रीवास्तव, संतोष श्रीवास्तव, राजेंद्र नाथ तिवारी व अन्‍य शामिल रहे।

भदोही में काली पट्टी बांध निकाला मौन जुलूस

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देश में लगातार हो रहे पत्रकारों की हत्या उत्पीड़न व फर्जी मुकदमे को लेकर आज उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में पत्रकार सड़क पर उतर गये। भदोही नगर के अजिमुल्लाह चौराहे पर जिले भर से पहुंचे पत्रकारों ने काली पट्टी लगाकर मौन जुलूस निकाला। मौन जुलूस अजिमुल्लाह चौराहे से होते हुए लिप्पन तिराहे पर पहुंचकर समाप्त हो गया। मौन जुलूस के बाद पूर्वांचल प्रेस क्लब के अध्यक्ष अमजद अहमद ने कहा कि देश व प्रदेश में पत्रकारों की हत्याएं हो रही है। उन्हे फर्जी मुकदमे में फंसाया जा रहा है। खबरें प्रकाशित करने के बाद पत्रकारों को तरह-तरह से प्रताड़ित व परेशान किया जाता है। ऐसे में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाला मीडिया खतरे में व भय की जिंदगी जी रहा है। उन्होने कहा कि आए दिन पत्रकारों पर हमले हो रहे है। पत्रकारों को मौत के घाट उतारा जा रहा है। लेकिन सरकारें संवेदनहीन बनी हुयी है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की आवाज को दबाने का यह कुचक्र रचा जा रहा है। उन्होने भदोही जनपद के पत्रकारों के उत्पीड़न का जिक्र करते हुए कहा कि कई पत्रकारों को फर्जी मुकदमे में फंसाया गया है। अब पूर्वांचल प्रेस क्लब खामोश नही बैठेगा। इसके लिए सड़क पर उतर कर जबरदस्त विरोध दर्ज किया जाएगा। जिले में अगर कहीं भी किसी पत्रकार को अगर फर्जी मुकदमे में फंसाया गया व उत्पीड़न की शिकायत मिली तो इसका मुँह तोड़ जवाब दिया जाएगा। मौन जुलूस में कर्मराज किसलय, जैनुल बेग, कैसर परवेज, पंकज उपाध्याय, नसीर कुरैशी, सर्वेश राय, सत्येन्द्र द्विवेदी, चन्द्रबालक राय उर्फ वंदे मातरम्, सलीम खाँ, शाहबाज खाँ, टिंकु सरदार, विमलेश दूबे, रविशंकर मिश्रा, अनिल पाण्डेय, आशीष सोनी, राजेश मिश्रा, दिलीप दूबे, सूर्यमणि शुक्ला, किशन मोदनवाल, राहुल सिंह, संजय सिंह, अनुज, शिवशंकर ठठेर, फरहान कुरैशी सहित काफी संख्या में पत्रकार मौजूद रहें। (नसीर कुरैशी प्रधान संपादक सत्यम् न्यूज़ भदोही)

कब तक मारे जाते रहेंगे पत्रकार?

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-विजय सिंह-

झारखंड के चतरा में स्थानीय टी.वी.चैनल में कार्यरत इंद्रदेव यादव और बिहार के सिवान जिले में हिंदुस्तान हिंदी दैनिक के ब्यूरो प्रमुख राजदेव रंजन की हत्या से फिर वही सवाल मन में जाग उठा कि आखिर कब तक पत्रकार मारे जाते रहेंगे ? घटित घटनाओं ,प्राप्त सूचनाओं और खोजी रिपोर्ट के आधार पर जानकारी व पठनीय सामग्री पाठकों तक पहुँचाना हमारी पेशेगत जिम्मेदारी है.जाहिर है कि किसी रिपोर्ट पर कोई नाराज हो सकता है लेकिन हम राग – द्वेष से हटकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं.हमारी किसी से व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं होती.मैं उन पत्रकारों की बात कर रहा हूँ जो ईमानदारी से अपने कार्य करते हुए अपना व परिवार का भरण पोषण करते हैं.हर व्यक्ति एक पत्रकार से सच की उम्मीद करता है लेकिन विडम्बना है कि जिस देश के माथे पर सत्यमेव जयते लिखा हो,वहां सच बोलने -लिखने की सजा मिलती है. मजे की बात तो यह कि कई बार मीडिया हाउस ही भुक्तभोगी पत्रकार को अपना मानने से इंकार कर देता है. पत्रकारिता बढ़ी,संस्थान बढे ,पत्रकार संगठन भी बढे.पर एकजुटता कहीं नहीं दिखती.सब के अपने राग,अपनी ढपली.अधिकतर यही होता है कि पत्रकारों और मीडियकर्मियों को देश दुनिया की जानकारी तो होती है पर अपने ही साथियों के दुःख सुख की सूचना नहीं रहती.. मिलन तभी होता है जब कोई पत्रकार मारा-पीटा जाता है.

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चतरा या सिवान की घटना कोई नई या पहली नहीं है.अंतिम भी नहीं कही जा सकती. अपराधियों के हौसले इसलिए भी बुलंद होते हैं कि हम एकजुट नहीं हैं.ज्यादातर मामलों में दोषियों को सजा नहीं हुई. घटना के बाद कुछ दिन तक तो पत्रकार और संगठन टर्र टर्र करते हैं बाद में वही ढाक के तीन पात.  मामला चाहे  वर्षों पहले दक्षिण छोटानागपुर के प्रथम हिंदी दैनिक नया रास्ता के संपादक शंकर लाल खीरवाल की बर्बरतापूर्ण हत्या ,अमृत बाजार पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार इलियास की दिन दहाड़े गोली मार कर हत्या की हो या कुछ  वर्षों पहले जमशेदपुर के छायाकार श्रीनिवास की पुलिस पिटाई से आँखे ख़राब होने की हों,नतीजा सिफर ही रहा.

ये तो कुछ उदाहरण है बस, लिस्ट तो काफी लम्बी है. जरुरत है समय रहते चेतने की ,पेशे की मर्यादा को बरक़रार रखते हुए आपसी एकता की .किसान के लकड़ी के गठ्ठर की कहानी हमने कईयों को बताया होगा पर खुद ही अमल नहीं करते.याद रखना होगा कि एकता में ही ताकत है,यही मूल मंत्र है.इंद्रदेव यादव और राजदेव रंजन की हत्या की हम पुरजोर निंदा करते हैं और दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग करते हैं.

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विजय सिंह
प्रदेश उपाध्यक्ष
झारखंड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन

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