प्रशांत कुमार-
फ़िल्म समीक्षक जय प्रकाश चौकसे जी के कलम का मैं नियमित पाठक रहा हूँ। आज दैनिक भास्कर में उनका आखिरी कॉलम आया है। साथ ही भास्कर के संपादक सुधीर अग्रवाल ने भी उनके 26 वर्षों की सेवा के लिए अपनी कृतज्ञता प्रकट की है। आखिरी कॉलम और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी सुनकर मेरी श्रद्धा उनके प्रति और बढ़ गई है। कैंसर पीड़ित होते हुए भी उन्होंने निरंतर लिखा। एक पाठक के तौर पर मैं भी उनका आभारी रहूंगा।

दीपक शर्मा-
वरिष्ठ पत्रकार जयप्रकाश चौकसे, निसंदेह हिंदी जगत के सबसे श्रेष्ठ फ़िल्मी समीक्षक हैं….शायद इसीलिए फिल्म इंडिस्ट्री की बहुत सी अंदर की कहानियां हमने उनसे जानी। दिलीप कुमार क्यों दिलीप कुमार हैं और लता क्यों लता, चौकसे जी से बेहतर कौन पाया है ?
वे 26 बरसों से लगातार दैनिक भास्कर में लिख रहे हैं। और बरसों बरस से उनके कलम से हम सब मायानगरी के बारे में रोज़ कुछ कुछ नई जानकारी पाते चले गए। पर ये सिलसिला आज टूट गया।
आज उनका आखिरी बार लिखा हुआ कॉलम पढ़कर आँखें नम हों गयी। हमे सच में नहीं पता था कि वो काफी समय से कैंसर से जूझ रहे थे, लेकिन फिर भी रोज़ लिखते थे। कुछ दिन पहले उनकी स्मृति और स्वास्थ्य पर इस कदर असर पड़ा कि उन्हें अपना कॉलम विवशता वश बंद करना पड़ रहा है।
आज उनका आखिरी लेख छपा और धन्य है दैनिक भास्कर जिसने उनके इस अंतिम लेख को पहले पेज पर जगह दी।
कभी कभी दुनिया कितनी निर्मम हो जाती है ? लेकिन इस निर्मम समय में भी ऊर्जा के अंतिम क्षणों तक चौकसे साहब की कलम चलती रही। ईश्वर से प्रार्थना, उन्हें किसी भी तरह बेहतर करे।
अजय ब्रह्मत्मज-
हमारे अग्रज, वरिष्ठ और समकालीन जयप्रकाश चौकसे का आज अंतिम कॉलम दैनिक भास्कर के प्रथम पृष्ठ पर छपा है। साथ ही दैनिक भास्कर के संपादक सुधीर अग्रवाल का एक पत्र भी है।
जयप्रकाश चौकसे पिछले 26 सालों से यह दैनिक स्तंभ लिखते रहे हैं।
अपनी व्यस्तता, बीमारी और तमाम गतिविधियों के बीच उन्होंने इसे निरंतर जारी रखा। संभवत: यह एक रिकॉर्ड है। मुझे उनके सानिध्य, विमर्श और विचारों का सहयोग मिलता रहा है। मैंने एक बार उनसे लंबी बातचीत भी की थी। जो अभी एक ईबुक के रूप में नॉटनल से प्रकाशित हो चुकी हैं।
हिंदी के ऐतिहासिक स्तंभकार के लेखन और निरंतरता को सलाम। वह कैंसर से पीड़ित हैं और अभी शायद इतने अस्वस्थ हो गए होंगे कि उन्हें अपना प्रिय स्तंभ बंद करना पड़ा है। यह उनके प्रशंसकों और पाठकों के लिए दुख का समय है। उनके लेखों और विचारों की कमी बनी रहेगी।
One comment on “धन्य है दैनिक भास्कर जिसने जयप्रकाश चौकसे के इस अंतिम लेख को पहले पेज पर जगह दी!”
जयप्रकाश चौकसे जी जल्दी स्वस्थ हों और अपनी लेखनी के माध्यम से फिर से पाठकों के बीच उपस्थित हों ,यही कामना है।
शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनाएं।