दिल्ली : सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित एक सेमिनार में ‘एक संचार विश्वविद्यालय की स्थापना’ विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि समुचित वित्तीय मॉडल का अभाव कई मीडिया संगठनों के लिए चुनौती है। इससे पेड न्यूज का भी रास्ता खुल जाता है। डिजीटल माध्यम के पीछे क्या वित्तीय मॉडल है, यह अभी तक संघर्ष कर रहा है- इलेक्ट्रानिक मीडिया में असामान्य बात यह है कि इसकी वितरण लागत, इसकी विषय वस्तु (कंटेंट) की लागत से अधिक है।
सेमिनार में ‘सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव विमल जुल्का ने कहा कि दुनिया और देश के मीडिया और मनोरंजन उद्योग के बेहतरीन मॉडलों पर विचार-विमर्श के बाद ही देश में संचार विश्वविद्यालय की स्थापना पर कोई रुख उभर कर सामने आ पाएगा। इस संगोष्ठी के माध्यम से मीडिया के विभिन्न पक्षों के विचार संचार विश्वविद्यालय की स्थापना के बारे में जाने जा सकेंगे। मीडिया उद्योग की जटिलताएं बढ़ती जा रही हैं। हालांकि उद्योग में पेशेवरों की जरूरतें और मांग भी बढ़ती जा रही है। इस जटिल चुनौती को पूरी करने में नई पीढ़ी को किस तरह सक्षम बनाया जाए, इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
बीसीसीसी प्रमुख न्यायामूर्ति मुकुल मुदगल ने आईआईटी और आईआईएम की तर्ज पर एक ऐसे संस्थान की हिमायत की, जहां छात्रों का दाखिला स्कूल के बाद हो। वह इस तरह का संस्थान सरकारी क्षेत्र में होने के पक्ष में हैं।