झांसी के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सपा नेताओं के सामने घुटने टेक देने का एक मामला सामने आया है। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने मऊरानीपुर के उप-निदेशक कृषि, विनोद कुमार राय की खुलेआम पिटाई और मामले में बरती गई प्रशासनिक लापरवाही के लिए उप्र के मुख्यमंत्री से, डीएम एलबी पाण्डेय और एसएसपी शिव सागर सिंह को निलंबित किये जाने की मांग की है। अपने कर्तव्यों का जानबूझ कर पालन नहीं करने और गंभीर आपराधिक मामले में ताकतवर अभियुक्तों की सीधी मदद करने के आरोप में दोनो उच्च अधिकारियों पर मुक़दमा चलाये जाने की भी मांग की है।
21 जून 2014 को विनोद कुमार के सरकारी आवास पर उनके ही विभाग के भानुप्रताप सिंह द्वारा गुंडों के साथ बन्दूक की बट से मारपीट कर मऊरानीपुर की सपा विधायक डॉ. रश्मि आर्य के घर ले जाया गया था। वहां विधायक के पति जयप्रकाश आर्य द्वारा एक ट्रांसफर रोकने के लिए विनोद राय पर दवाब बनाया गया और धमकी दी गई। विनोद राय ने इन्स्पेक्टर मऊरानीपुर से लेकर डीएम झाँसी को बार-बार फोन करके पूरी बात बताने के बाद भी कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुँचा। विनोद राय के पुलिस में तहरीर देने के बाद भी दस दिनों तक एफआईआर दर्ज नहीं की गयी। यहाँ तक कि उनके बार-बार कहने के बाद भी उनका मेडिकल नहीं कराया गया। अंत में उनको अपना मेडिकल मऊरानीपुर राजकीय अस्पताल में स्वयं जाकर कराना पड़ा था। एक बार अभियुक्त भानुप्रताप को थाने लाने के बाद पुलिस द्वारा उसे छोड़ दिया गया। मामला मीडिया में आने के बाद ही पुलिस ने 1 जुलाई को एफआईआर दर्ज की। अभी तक दो अभियुक्त गिरफ्तार किये जा चुके हैं लेकिन सपा विधायक के पति के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
इस संबंध में डॉ. ठाकुर ने उप्र के मुख्यंत्री को एक पत्र लिखा है। डॉ. ठाकुर ने लिखा है, जब इन्स्पेक्टर से लेकर डीएम तक को विनोद राय ने बार-बार पूरी बात बतायी तो इन सभी अधिकारियों द्वारा जानबूझ कर चुप्पी बनाए रखना और मामले में कोई भी कार्यवाही नहीं करना कर्तव्यपालन में घोर लापरवाही के अलावा उनकी आरोपियों से मिलीभगत को साबित करता है। अतः उन्होंने डीएम और एसएसपी सहित इस मामले में सभी जिम्मेदार अधिकारियों के तत्काल निलंबन और उनकी आपराधिक भूमिका के लिए उन्हें दण्डित किये जाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने मामले में तमाम रसूखदार राजनैतिक और प्रशासनिक लोगों की संलिप्तता के दृष्टिगत इस मुकदमे की विवेचना सीबीआई से कराये जाने की मांग भी की है।
सेवा में,
मुख्य मंत्री
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ।
विषय- डीएम और एसएसपी झाँसी को निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही किये जाने हेतु
महोदय,
मैं डॉ नूतन ठाकुर एक सामाजिक कार्यकर्ता हूँ और विशेष कर लोक जीवन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व तथा मानव अधिकार के क्षेत्र में काम करती हूँ. मैं आपके समक्ष एक ऐसा प्रकरण प्रस्तुत कर रही हूँ जिसमे जनपदीय प्रशासन के सर्वोच्च अधिकारियों ने क़ानून की सीधे-सीधे धज्जियां उड़ाई हैं, गुनाहगार का साथ दिया है, न्याय मांगने वाले के साथ स्पष्टतया अन्याय किया है, कानून में प्राविधानित अपने कर्तव्यों के विरुद्ध आचरण किया है, एक आपराधिक कृत्य को छिपाने के आपराधिक षडयंत्र में बढ़-चढ़ कर भागीदारी की है, सत्ताधारी और रसूखदार व्यक्ति का गलत ढंग से खुलेआम साथ दिया है, एक वरिष्ठ राजकीय अधिकारी के साथ हुए जघन्य आपराधिक कृत्य पर जानबूझ कर आँखें मूंदी हैं और बार-बार निवेदन करने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं करते हुए अपने कर्तव्यों का पूरी तरह विलोप किया है. मैं वे समस्त तथ्य आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रही हूँ जो मेरे द्वारा लगाए गए एक-एक आरोप को पूरी तरह प्रमाणित कर देगा.
यह प्रकरण मऊरानीपुर, जनपद झाँसी का है जिसके सम्बन्ध में अब मु०अ०स० 316/2014 धारा 147, 452, 332, 353, 323, 504, 506 बनाम भानु प्रताप सिंह, राजकुमार तथा भोलू पुत्रगण भानुप्रताप सिंह दर्ज हो चुका है और अपराधी गिरफ्तार हो कर वर्तमान में जेल में हैं. पर दिनांक 01/07/2014 को समय 08.30 पर थाना मऊरानीपुर में दर्ज हुए इस मुकदमे के पहले घटी तमाम बातें इतनी गंभीर और ह्रदयविदारक हैं कि आप जैसा संवेदनशील व्यक्ति और सख्त प्रशासक इन तथ्यों के संज्ञान में आने के बाद किसी भी प्रकार से शांत नहीं रह पायेगा.
मूल रूप से यह घटना मुक़दमा दर्ज होने से दस दिन पहले दिनांक 21/06/2014 को समय लगभग 7.30 रात्रि में हुई थी जब श्री विनोद कुमार राय, उप कृषि निदेशक/केन्द्राध्यक्ष, राजकीय भूमि संरक्षण केंद्र, मऊरानीपुर, झाँसी को उनके प्रशासनिक आदेश द्वारा कार्यमुक्त किये जाने से नाराज़ अधीनस्थ अधिकारी श्री भानुप्रताप सिंह ने अपने दो पुत्रों तथा 8-10 बंदूकधारी लोगों के साथ आ कर उनके सरकारी आवास पर घेर लिया. इन लोगों ने श्री राय को सरकारी आवास में उनकी पत्नी के सामने बुरी तरह अत्यंत भद्दी गालियाँ दीं और साथ ही लात-घूंसों से मारा-पीटा. उनमे कुछ लोगों ने उनके पैर पर बन्दुक की बट से भी प्रहार किया. इसके बाद इन लोगों ने श्री राय को जबरदस्ती उठा कर बाहर खड़ी एक सफ़ेद बुलेरो गाड़ी में डाल दिया. रास्ते भर श्री राय को मारते-पीटते रहे और बार-बार श्री भानु प्रताप का कार्यमुक्त आदेश वापस करने के लिए कहते रहे.
वे श्री राय को मऊरानीपुर विधायक डॉ. रश्मि आर्य के आवास पर ले गए जहां डॉ. रश्मि आर्य के पति श्री जयप्रकाश आर्य उर्फ़ पप्पू सेठ मिले. श्री आर्य ने भी श्री भानु प्रताप का साथ दिया और श्री राय को आदेशित किया कि वे श्री भानु प्रताप का कार्यमुक्ति आदेश निरस्त करें. श्री राय लगातार अपनी प्रशासनिक मजबूरियां बताते रहे पर श्री आर्य ने उनकी कोई बात नहीं सुनी और लगातार अलग-अलग तरह से आदेश निरस्त करने को कहते रहे और ऐसा नहीं होने पर गंभीर परिणाम होने की धमकी देते रहे. करीब 45 मिनट तक श्री राय को इस अत्यंत विषम स्थिति से गुजरना पड़ा जहां बंदूकों के साए में अपने घर से उठा कर बंधक बना कर विधायक के निवास पर लाये गए श्री राय को विधायक अथवा उनके परिजनों की तरफ से कोई सहायता मिलने की जगह उलटे उन्हें एक सरकारी काम को गलत ढंग से निरस्त करने के आदेश दिए जाते रहे और ऐसा नहीं करने पर गंभीर परिणाम झेलने की धमकियां दी जाती रहीं. इस प्रकार विधायक के पति श्री आर्य स्वयं भी इस पूरे आपराधिक कार्य में शामिल हुए जहां एक सरकारी अधिकारी को बंधक बनाया गया, उन्हें जबरदस्ती बंदूकों के साए में उनके सामने प्रस्तुत किया गया, उनके द्वारा एक सरकारी कार्य में हस्तक्षेप किया गया, गलत काम करने का आपराधिक दवाब बनाया गया और इस दौरान गंभीर दुष्परिणाम की धमकियां दी गयीं. लगभग 45 मिनट बाद श्री आर्य ने श्री राय को घर छोड़ देने को कहा जिसके बाद उसी गाडी से श्री राय को उनके घर के बाहर छोड़ दिया गया.
अब तक श्री राय के साथ जो भी हुआ था उनके साथ उससे कहीं अधिक बुरा अब होने वाला था. श्री राय जैसे ही घर पहुंचे उन्होंने लगभग तत्काल अपने मोबाइल नंबर 094547-55469 तथा अपने एक शासकीयकर्मी के मोबाइल नंबर 081750-13408 से सबसे पहले श्री विक्रमजीत सिंह सचान, इन्स्पेक्टर, मऊरानीपुर को उनके सरकारी मोबाइल नंबर 94544-03650 पर फोन कर विधायक के पति की भूमिका सहित पूरी बात बतायी. इन्स्पेक्टर ने इस मामले में लगभग कोई रूचि नहीं दिखाई और मात्र इतना कहा कि मैं देखता हूँ. श्री राय ने 9-10 बजे के बीच तीन-चार बार उनसे बात की पर इन्स्पेक्टर के लिए मानो यह कोई घटना ही नहीं थी.
वहां से कोई उम्मीद की किरण नहीं देख कर श्री राय ने उसके बाद श्री आर पी तिवारी, एसडीएम, मऊरानीपुर से उनके सरकारी नंबर 94544-16322 पर बात किया. एसडीएम भी इस घटना के प्रति लगभग अन्यमनस्क से रहे और कहा कि मैं भी बात करूँगा, पर आप सीओ साहब से बात कर लें. श्री राय ने सीओ मऊरानीपुर से उनके सरकारी नंबर 94544-01435 पर बात किया तो उनका भी रुखा सा जवाब आया कि वे दारोगा भेज रहे हैं. उसके बाद भी कोई नहीं आया तो श्री राय ने उनको 2-3 बार फोन किया पर कोई प्रतिक्रिया नहीं रही.
यह भयावह स्थिति देख कर श्री राय ने डीएम, झाँसी श्री एल बी पाण्डेय को उनके आवास के नंबर पर फोन किया. उन्होंने भी मामले में कोई ख़ास गंभीरता नहीं दिखाई और मात्र इतना कहा कि मैं सीओ से कह देता हूँ. जब कुछ नहीं हुआ तो श्री राय ने दुबारा डीएम को फोन किया जिस पर डीएम ने उनसे कहा कि आप थाने जाईये. जब श्री राय ने कहा कि मैं बंदूकों की बट से पीटा गया हूँ, मुझ पर लात-घूंसे चले हैं, मुझे लगातार बंधक बना कर प्रताड़ना दी गयी है और मेरी मानसिक और शारीरिक स्थिति ऐसी नहीं है कि मैं थाने जा सकूँ तो उन्होंने सीओ को कहने की बात दुहराई.
श्री राय ने इसके बाद एसएसपी झाँसी श्री शिव सागर सिंह को उनके सरकारी मोबाइल नंबर 94544-00282 पर फोन किया. उन्होंने पूछा कि आपने थाने को बताया तो श्री राय ने कहा कि मैंने सब को बताया है, अब तक कोई सहायता नहीं हुई है. एसएसपी ने इसके बाद कहा कि ठीक है, कार्यवाही होगी और फोन रख दिया. इसके बाद मऊरानीपुर थाने के कोई दारोगा श्री श्रीवास्तव आये, उन्होंने कहा कि आप लिखित तहरीर दीजिये. श्री राय ने कहा कि मैं मौजूदा स्थिति में लिखने योग्य नहीं हूँ, मैं घायल हूँ, मानसिक रूप से बहुत ही ख़राब दशा में हूँ, आप लिखने में मेरी मदद कर दीजिये. दरोगा ने फिर भी स्वयं तहरीर लिखने की बात दुहराई पर साथ ही यह भी निर्देश दिया कि तहरीर में विधायक के पति का नाम नहीं हो, नहीं तो मामले में कार्यवाही नहीं होगी. श्री राय ने उनसे कहा कि मेरा मेडिकल करवाईये तो दारोगा ने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है, कोतवाल से पूछ कर यदि जरुरत पड़ी तो मेडिकल कराया जाएगा.
इसके बाद श्री राय ने दारोगा को लिखित प्रार्थनापत्र दिया जो उसे ले कर चले गए. जिस समय श्री राय ने यह तहरीर दी थी उस समय मौके पर उनके विभाग के श्री कालेश्वर गौतम, प्रशिक्षक, कृषि विभाग, श्री सुरेश दुबे, चौकीदार तथा श्री छोटे यादव, घरेलु नौकर के अलावा उनकी पत्नी सुश्री पुष्पा राय भी मौजूद थे. इसके बाद श्री राय लगातार थाने से लेकर विभिन्न स्तरों पर अपनी गुहार लगाते रहे, अलग-अलग अधिकारियों को अपनी बात बताते रहे और कार्यवाही की मांग करते रहे पर किसी भी स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं हुई. 27/06/2014 को श्री राय ने स्वयं ही मऊरानीपुर स्थित सरकारी अस्पताल में जा कर अपना मेडिकल कराया जिसमे दो गंभीर चोटें Contusion 5×3 इंच (ठीक बाएं अंक के नीचे) तथा 1×1 इंच (ठीक दाखिने ओंठ के ऊपर) पाए गए. मेडिकल में यह भी पाया गया कि ये चोटें 5-7 दिन पुरानी हैं.
दिनांक 27/06/2014 को श्री राय ने एसएसपी तथा डीएम के आवास पर जा कर उनसे मुलाक़ात करने का प्रयास किया और उनके नहीं होने पर अपने शिकायत की एक-एक प्रति वहां रिसीव कराई. वे डीआईजी, झाँसी के आवास भी गए जहां पहले तो उनका शिकायतीपत्र लेने से ही आनाकानी होती रही और कहा गया कि यहाँ कोई सीधे नहीं आता, जब एसएसपी के यहाँ कार्यवाही नहीं होती है, तब लोग यहाँ आते हैं. बहुत मिन्नत के बाद उनका पत्र लिया गया लेकिन प्राप्ति नहीं दी गयी.
इसके बाद भी 27-29 जून तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. दिनांक 30/06/2014 को इन्स्पेक्टर श्री राय के ऑफिस में आये और उनके मांगने पर श्री राय ने उन्हें एसएसपी को दिनांक 27/06/2014 को दिये प्रार्थनापत्र और मेडिकल की कॉपी दी जिस पर उन्होंने आश्वासन दिया कि शाम तक एफआईआर और अभियुक्तों की गिरफ़्तारी हो जायेगी. उसी रात जब श्री राय की पत्नी सुश्री पुष्पा राय अपने आवास के बाहर टहल रही थीं तो श्री भानु प्रताप ने उन्हें धमकाया कि आपकी कोई सेक्युरिटी नहीं है, अगर आपके पति ने मामला आगे बढ़ाया तो कोई और बात हो सकती है. श्री राय ने यह बात जानने के बाद इन्स्पेक्टर को तत्काल फोन मिलाया जिसके बाद कोबरा मोबाइल नाम से चलने वाला पुलिस बल आया और वे श्री भानु प्रताप को पकड़ कर थाने ले गए पर दिनांक 01/07/2014 की सुबह उन्हें थाने से छोड़ दिया गया.
जब श्री राय ने इन्स्पेक्टर को फोन कर पूछा कि श्री भानु प्रताप को क्यों छोड़ दिया गया तो उन्होंने कहा कि इनकी गिरफ़्तारी के लिए विभागीय अनुमति लेनी पड़ेगी. श्री राय ने कहा कि उनकी जानकारी में आपराधिक मामलों में विभागीय अनुमति की कोई जरुरत नहीं होती है तो इन्स्पेक्टर ने कहा कि बिना अपने उच्चाधिकारियों के आदेश के गिरफ़्तारी नहीं करूँगा. लगभग इन्ही दिनों यह खबर मीडिया में आई और इस खबर के फ़्लैश होने के बाद ही जा कर अंत में दिनांक 01/07/2014 को एफआईआर और बाकी कार्यवाही हुई.
मैंने इस सम्बन्ध में सीओ मऊरानीपुर से अपने मोबाइल नंबर 094155-34525 से उनके फोन नंबर 94544-01435 पर बात की तो उन्होंने बताया कि इस मामले में दो अभियुक्त भानुप्रताप सिंह और उनके बेटे अवध प्रताप की गिरफ़्तारी हो चुकी है. उन्होंने घटना की सत्यता को स्वीकार किया और यह भी स्वीकार किया कि श्री राय को विधायक आवास पर ले जाया गया था. इन बातों से स्पष्ट है कि श्री राय द्वारा बतायी गयी घटना पूरी तरह सही है और इसमें विधायक के पति की भी भूमिका है. पर सीओ ने विलम्ब से कार्यवाही होने के बारे में कहा कि श्री राय पहले एफआईआर करने को तैयार नहीं थे. जब श्री राय ने लिखित में 27/06/2014 को शिकायत दी तो उसके बाद ही एफआईआर दर्ज हुई, अतः एफआईआर में किसी प्रकार का विलम्ब नहीं किया गया.
श्री राय द्वारा एफआईआर नहीं कराये जाने की इच्छा के बारे में सीओ की बात बिलकुल सही नहीं है क्योंकि मुझे अच्छी तरह याद है कि श्री राय ने इस घटना के बारे में मेरे पति श्री अमिताभ ठाकुर, आईपीएस से भी दिनांक 22/06/2014 या उसके आसपास उनके मोबाइल नंबर 094155-34526 पर बात की थी जहां उन्होंने रोते हुए पूरी बात बतायी थी और अपने स्तर से कार्यवाही कराये जाने में मदद करने को कहा था. मेरे पति श्री ठाकुर ने मेरे सामने डीआईजी झाँसी से फोन पर बार की थी और उन्हें पूरी बात बताते हुए कार्यवाही कराये जाने का अनुरोध किया था जिस पर डीआईजी झाँसी ने उन्हें श्री राय को भेजने को कहा था. मेरे पति ने यह बात श्री राय को फोन कर बताया भी था और उन्हें डीआईजी से मिलने को कहा था. उपरोक्त बात से भी यह स्पष्टतया प्रमाणित होता है कि श्री राय इस मामले से काफी व्यथित और पीड़ित थे और शुरू से ही इस मामले में कार्यवाही चाहते थे. अतः यह कथन कि चूँकि वे शुरू में कोई कार्यवाही नहीं चाहते थे जिसके कारण विलम्ब हुआ, पूरी तरह गलत है.
उपरोक्त समस्त तथ्यों से निम्न बातें पूरी तरह साफ़ हो जाती हैं-
1. श्री विनोद राय के साथ एक अत्यंत गंभीर आपराधिक घटना घटी
2. यह आपराधिक घटना श्री राय द्वारा सम्पादित एक विधिक शासकीय कार्यवाही के कारण घटी जिसमे उन्हें अपने विधिक प्रशासनिक आदेशों को बदलने का अवैध दवाब डाला गया
3. श्री राय को निश्चित रूप से बंधक बना कर विधायक, मऊरानीपुर के आवास पर ले जाया गया
4. श्री राय विधायक के पति श्री जयप्रकाश आर्य के सामने भी उसी अवस्था में उपस्थित किये गए
5. श्री आर्य ने भी श्री राय पर शासकीय कार्यों के सम्बन्ध में गलत दवाब बनाया
6. श्री आर्य ने श्री राय को अपना आदेश वापस नहीं करने पर गंभीर परिणाम झेलने की धमकी दी
7. श्री राय करीब 45 मिनट श्री आर्य के घर पर बंधक रहे
8. श्री राय ने घटना के दिन ही इन्स्पेक्टर, सीओ, एसडीएम, एसएसपी और डीएम से कई-कई बार फोन से बात करके पूरी घटना बतायी और बार-बार कार्यवाही की गुहार की पर उनकी बात किसी स्तर पर नहीं सुनी गयी
9. इन्स्पेक्टर से लेकर डीएम तक किसी ने भी इस मामले को थोड़ी भी गंभीरता से नहीं लिया
10. इन्स्पेक्टर से लेकर डीएम तक किसी ने भी मौके पर जाना उचित नहीं समझा. घटना की जानकारी के कुछ घंटे बाद मात्र एक दारोगा श्री राय के घर आये
11. इन्स्पेक्टर से लेकर डीएम तक सभी को यह मालूम हो गया कि घटना में विधायक के पति का हाथ बताया जा रहा है पर सभी चुपचाप शांत बैठे रहे, जैसे उनसे इस घटना से कोई मतलब ही नहीं हो
12. इन्स्पेक्टर से लेकर डीएम तक सभी ने अपने कर्तव्यों के विलोप के माध्यम से सभी अभियुक्तों को स्पष्ट आपराधिक लाभ पहुँचाया
13. श्री राय की तत्काल मेडिकल भी नहीं कराई गयी, उलटे निवेदन करने पर दारोगा ने मेडिकल कराने से मना कर दिया और कहा कि यदि जरुरत हुई तो मेडिकल कराया जाएगा
14. अंत तक श्री राय की मेडिकल नहीं कराई गयी और श्री राय को अपना मेडिकल स्वयं कराना पड़ा
15. घटना के दिन कई लोगों के सामने दारोगा श्री श्रीवास्तव को एफआईआर देने के बाद भी श्री राय की एफआईआर दर्ज नहीं हुई
16. दारोगा ने साफ़ शब्दों में श्री राय को कहा था कि मामले में विधायक के पति का नाम नहीं आना चाहिए नहीं तो आगे कोई कार्यवाही नहीं होगी
17. दिनांक 27/06/2014 को एसएसपी और डीएम को पुनः प्रार्थनापत्र देने के बाद भी कई दिनों तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई
18. दिनांक 27/06/2014 के प्रार्थनापत्र में भी स्पष्ट रूप से लिखा है कि उन्होंने घटना के तत्काल बाद इन्स्पेक्टर से लेकर डीएम तक सभी अधिकारियों को पूरी बात बतायी और लिखित सूचना भी दिया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई और ना ही पुलिस ने श्री राय का मेडिकल कराया
19. दिनांक 30/06/2014 को जब श्री राय की पत्नी को पुनः धमकी दी गयी तो श्री भानु प्रताप थाना ले जाए गए पर दिनांक 01/07/2014 की सुबह उन्हें थाने से छोड़ दिया गया
20. दिनांक 30/06/2014 को इन्स्पेक्टर ने स्वयं श्री राय के ऑफिस में आ कर दुबारा तहरीर लिया लेकिन एफआईआर उस दिन नहीं हो कर अगले दिन हुई और एफआईआर में घटना की सूचना गलत ढंग से दिनांक 01/07/2014 समय 08.30 बजे प्रातः दिखाया गया
21. एफआईआर भी तब दर्ज हुई जब मामले ने तूल पकड़ा और बात मीडिया में जोरों से आई
22. एफआईआर में विधायक के पति की भूमिका का स्पष्ट उल्लेख होने के बाद भी आज तक उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई है
23. इस प्रकार यह स्पष्टतया राजनैतिक गुंडागर्दी का एक ज्वलंत उदाहरण तथा प्रशासनिक तंत्र द्वारा राजनैतिक सत्ता के साथ पूरी तरह घुटने टेकने का स्पष्ट नमूना है
जाहिर है ये सब बातें तभी संभव हैं जब प्रशासन पूरी तरह पक्षपातपूर्ण आचरण करने की ठान ले और किसी अपराध का हर प्रकार से साथ देने और उस आपराधिक घटना को दबाने/छिपाने में उसका खुल कर सहयोगी बन जाए. अन्यथा यह कैसे संभव था कि जब यह गंभीर घटना घटी उसके बाद इन्स्पेक्टर से डीएम तक सभी वरिष्ठ अधिकारियों को स्वयं श्री राय द्वारा बार-बार फोन कर सूचना दी गयी हो और स्थानीय दारोगा को लिखित तहरीर दी गयी हो पर इन्स्पेक्टर तक स्वयं मौके पर नहीं आये, पुलिस-प्रशासन कोई भी सक्रियता नहीं देखाए, सभी जानबूझ कर चुप्पी साधे बैठे हों, खुल कर आपराधिक कृत्य करने वालों का बचाव किया जा रहा हो और एक मंडल स्तरीय वरिष्ठ शासकीय अधिकारी इन बुरी तरह गाली-मार खाने, बंधक बनाए जाने, आतंकित किये जाने, बट से पीटे जाने के बाद अपना एफआईआर तक नहीं करा पा रहा हो, उसका मेडिकल तक नहीं हुआ हो. अगर श्री राय की बात गलत होती तो जाहिर है कि बाद में भी अभियुक्तों की गिरफ़्तारी नहीं होती. लेकिन यह सब घटना के दस दिन बाद तब हुआ जब मीडिया ने इस मामले को सामने रखा. साफ़ है कि यदि मीडिया ने यह प्रकरण सामने नहीं रखा होता तो प्रशासनिक अधिकारी इस पूरे मामले को ही दबा लेते और श्री राय मार खा कर भी अपनी बदकिस्मती और अपनी लाचारी पर मजबूर कहीं चुपचाप बैठे रो रहे होते, जैसा वे मेरे पति के सामने फोन पर रोये थे.
मुझे विश्वास है कि अब जब ये समस्त तथ्यात्मक स्थिति आपके सामने आ गयी है तो आप चुप नहीं रहेंगे और इस मामले के दोषी सभी लोग, चाहे वे झाँसी के डीएम, एसएसपी हों, कोई अन्य अधिकारी हों, अथवा विधायक मऊरानीपुर के पति हों, उन सभी के विरुद्ध अत्यंत कठोर कार्यवाही करेंगे. प्रकरण इतना गंभीर और संगीन है कि यदि आपके स्तर पर इस मामले में इन ताकतवर लोगों पर उनके कृत्यों-अकृत्यों के लिए अत्यंत कठोर कार्यवाही नहीं की गयी तो इसका बहुत ही गलत सन्देश जाएगा और इससे आपकी निष्पक्षता और प्रशासनिक निष्ठा पर सीधा दाग लगेगा.
उपरोक्त तथ्यों के दृष्टिगत मैं आपसे निम्न निवेदन कर रही हूँ-
1. चूँकि उपरोक्त तथ्य बहुत ही स्पष्ट और स्वतः प्रमाणित हैं, जिनके लिए समस्त साक्ष्य स्वयं ही मौजूद हैं अथवा आसानी से प्राप्त या ज्ञात किये जा सकते हैं, अतः इनके आधार पर डीएम झाँसी तथा एसएसपी झाँसी को निर्धारित कर्तव्य के घोर विलोप तथा अपराध को दबाने और अपराधियों को बचाने के दोषी तथा अन्य प्रकार से प्रशासनिक कृत्य-अकृत्य के दोषी होने के कारण उन्हें निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही करने तथा उन्हें सम्बंधित आपराधिक कृत्य के लिए नियमानुसार दण्डित कराये जाने की कृपा करें
2. इसी प्रकार इन्स्पेक्टर मऊरानीपुर, सीओ मऊरानीपुर तथा एसडीएम मऊरानीपुर सहित अन्य समस्त दोषी अधिकारियों के विरुद्ध नियमानुसार आपराधिक और प्रशासनिक कार्यवाही कराये जाने की कृपा करें
3. इस प्रकरण की विवेचना तत्काल सीबीआई को सौंपे जाने की कृपा करें क्योंकि इस मामले में सत्ताधारी दल के विधायक के पति के साथ डीएम, एसएसपी तथा अन्य तमाम वरिष्ठ अधिकारियों की आपराधिक सहभागिता और संलिप्तता बहुत साफ है
पत्र संख्या- NT/VR/Jhansi
दिनांक-12/07/2014
भवदीय,
(डॉ नूतन ठाकुर)
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
# 94155-34525, ईमेलः [email protected]
प्रतिलिपि निम्न को आवश्यक कार्यवाही हेतु-
1. मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश, लखनऊ
2. प्रमुख सचिव, गृह, उत्तर प्रदेश, लखनऊ
3. पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश, लखनऊ