Avanindr Singh Aman : असली झुट्ठे हैं जागरण और उजाला वाले… पीएम नरेंद्र मोदी ऐश बाग़ (लखनऊ) रामलीला मैदान में क्या चले गये मानों अख़बार वालों ने तो उसकी एतिहासिकता को लेकर एक से बढ़कर एक झूठ बोलना शुरू कर दिया| किसी ने ऐश बाग़ की लीला को 500 साल पुराना बताया किसी ने 600 साल पुराना बता दिया| इतना ही नही, रामनगर (वाराणसी) की लीला की शुरुआत के बारे में कह दिया कि इसे तुलसीदास जी ने प्रारंभ कराया| प्रदेश के नंबर 1 अख़बार का दावा ठोकने वाले दैनिक जागरण ने जो अफवाह शुरू की उसके बाद अमर उजाला भी उसी श्रेणी में आ खड़ा हुआ| जागरण तो शुरू से ही भाजपा और आरएसएस विचारधारा का अख़बार रहा है। ऐसे में यदि पीएम लखनऊ जाते हैं तो उसका झूठ बोलना लाजमी है| जनता को मूर्ख बनाकर माहौल बनाने का उसने ठेका जो ले रखा है|
जागरण ने पहले आकड़ों को इतना तोड़ दिया कि उसके तथ्यों पर भरोसा करना अब मुश्किल हो गया है| जागरण के अनुसार लीला 500 साल पुरानी तो फिर यह रामलीला को मंचनीय आकार किसने दिया? भाई जागरण वालों, स्वाभाविक है बिना तथ्य आपने नहीं छापा होगा तो नाम बता दो आज से लिखना शुरू कर दूँ कि मानस के रचयिता जागरण परिवार है, इसकी कॉपीराइट गुप्ता जी लोगों के पास है, तुलसीबाबा ने इसके यहाँ से चोरी कर ली| नाम बता दो जागरण वालों तो इतिहास में तुलसीबाबा की जगह तेरा नाम होगा?
तथ्यों को लेकर हमेशा विवादों में रहने वाला अमर उजाला अख़बार की बात ही निराली है| खबर को चटपटा बनाने के लिए यह तो दो कदम आगे है| इसने तो जागरण की भी ऐसी-तैसी कर दी| यह दावा कर दिया ऐश बाग़ की लीला 600 साल पुरानी है| अब सवाल खड़ा होता है की आपने तो 100 और पहले बता दिया। स्वाभाविक तौर पर आप जागरण के भी बाप निकले तो आप ही बता दीजिए मानस के रचयिता आपके यहाँ तो नहीं हैं|
कहीं ऐसा न हो की अब ‘मानस रचयिता खोज यात्रा’ शुरू करनी पड़े| ऐ जागरण और उजाला के मालिकानों, तुम्हें इस बात का गुरुर है कि सबसे ज्यादा पढ़े जाते हो तो कान खोल के सुन लो, इस अहंकार को तोड़ कुम्भकर्णी निद्रा से जागो और इतिहास लिखने से पहले खुद पढ़ लो कि मानस के रचयिता गोस्वामी जी को ही अभी 500 साल नहीं हुए तो फिर आपके यह दावे किस आधार पर हैं? कहीं आप लोगों ने इस बात का चढ़ावा तो नहीं ले लिया है कि हम सनातन धर्म के इतिहास को तोड़मडोड कर पेश करते रहेंगे जिससे जनता के दिमाग में गलत आंकड़े घुस जाएं और भविष्य में इन आकड़ों के आधार पर तब कोई तथ्य न मिलेगा तो सनातन धर्म को झूठा करार देंगे? यदि यह साजिश चल रही है तो बेहद खतरनाक है, इसे हर हाल में रोकना चाहिए और लीलाप्रेमियों, मानसविदों सहित जनता को भी एडिटर को पत्र लिखकर मांग करना चाहिए की ऐसी मिथ्यात्मक खबरें लिखेंगे तो आप दरकिनार कर दिए जायेंगे।
बनारस के युवा पत्रकार अवनींद्र सिंह अमन की एफबी वॉल से. उपरोक्त स्टेटस पर आया कई कमेंट्स में से एक प्रमुख इस प्रकार है…
Surendra Nath Singh आरएसएस चाहे तो रामलीला को 500-600 वर्ष पूर्व ही नहीं अपितु युगों युगों से चली आ रही बता दे। और अमर उजाला तथा दैनिक जागरण, भास्कर को बस इनकी तारीफ में खबरे देनी है। आरएसएस तो सनातन का ठेकेदार बन बैठा है। भारतीय सरकार की अपनी न्यूज़ चैनेल दूरदर्शन पर आरएसएस के मोहन भागवत जी के भाषण का सीधा प्रसारण करा कर आखिर क्या दर्शाता चाहती है, क्या मोहन भागवत राष्ट्र प्रमुख या धर्म प्रमुख है, जिनका भाषण राष्ट्रिय चैनेल पर प्रसारित हो। देश में विभाजन कारी शक्तियाँ अपना सर उठा रही है। कुछ अतिवादी आरएसएस जैसे संघठन अपने को सनातन धर्म का ठेकेदार मान बैठे है और बिकाऊ मीडिया का जनजा निकल चूका है। आज चाटुकारिता ही पत्रकारिता बन गयी है। मै यह नहीं कहता की सभी लोग बिके हुए है पर कुछ अपने स्वार्थ पूर्ति में तो कुछ अंधभक्ति में इतने लीन है की उन्हें वास्तविकता किसी और के चश्मे से देखना पड़ रहा है। अवनींद्र जी अभी तो आप एक ऐतिहासिक घटना के साथ छेड़खानी देख रहे है, आने वाले दिनों में बीजेपी और आरएसएस द्वारा अनेकानेक ऐतिहासिक तथ्य बदलते नजर आयेंगे। क्योकि इनके नजरिये से अब तक जो इतिहास है वह मान्य तभी है जब वह नागपुर से वैध का सर्टिफिकेट न धारण कर लें।
Avanindr Singh Aman सर Surendra Nath Singh, किसी भी कीमत में ऐतिहासिकता से छेड़खानी बर्दाश्त नहीं की जा सकती।