गिरिजेश वशिष्ठ-
ज्योतिरादित्य की समस्या ये है कि उन्हें अपने पूर्वजों के बारे में भी नहीं पता. माधवराव सिंधिया ये सच जानते थे इसलिए हमेशा माधौ महाराज का जिक्र करते थे उन्होंने कभी अपने पिता का नाम नहीं लिया. उन्हें पता था कि जीवाजी राव सिंधिया का नाम लेते ही गद्दार का ठप्पा साबित होना तय है.

ये पेन्टिंग है जीवाजी राव सिंधिया के बचपन की. जार्ज पंचम की गुलामी में गले तक डूबे जीवाजी राव सिंधिया यानी ज्योतिरादित्य के दादा ने अपना नाम तक जॉर्ज जीवाजी राव सिंधिया रख लिया था. दूसरी तस्वीर जार्ज पंचम की शान में बनाए गए एक छोटे महल की है. जार्ज पंचम के आगमन पर इनके पिता ने ने उनकी चमचई में इसका निर्माण किया था.

जीवाजीराव ने अपने नाम में जॉर्ज खुद ब खुद नहीं लगाया था बल्कि उनके पिता माधौ महराज ने ब्रिटिश महाराज,महारानी से विनती की थी कि उन्हें अपने पुत्र के नाम में जॉर्ज और पुत्री के नाम के साथ मैरी लिखने की इजाजत दी जाए। ब्रिटिश राजपरिवार ने अनुमति दी तब जीवाजीराव जॉर्ज जीवाजीराव कहलाए और उनकी बहन कमलाराजे मैरी कमलाराजे कहलाए। -डॉ राकेश पाठक
जीवाजी का गद्दारी से कोई वास्ता नहीं, गद्दारी का तमगा जयाजी राव पर था। -राकेश अचल
वो 1857 वाले थे. जार्ज तो ये ही गर्व से अपने नाम में लगाते थे. नाथूराम गांधी जी की हत्या में भी नाम आया. इनके पिता ने 1011 में जार्ज कैसल बनवाया था. अंग्रेजों के चाकर तो सभी रहे. गद्दारी का मतलब है मातृभूमि से दगा. नेहरू सिगरेट जलाकर गद्दार कहा जा सकता है तो ये कदमों में बिछकर क्यों नहीं? – गिरिजेश वशिष्ठ