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सुख-दुख

केजरी और इसका गैंग इतने छोटे दिल दिमाग वाला होगा, मुझे उम्मीद नहीं थी

Yashwant Singh : प्राइम टाइम के दौरान जब एनडीटीवी पर कायदे की बहस ना चल रही हो तो मैं फोकस टीवी देखने लगता हूँ। संजीव श्रीवास्तव बेहद सहज और दिल में उतरने वाली एंकरिंग करते हैं। ज्ञान, भाषा और समझ का स्तर ठीकठाक होने के कारण संजीव बड़े प्यार से बहुत नयी नयी बातें निकालते और निकलवाते रहते हैं। साथ ही चीख चिल्लाहट और चीप एंकरिंग की जगह ताजगी भरी स्टाइल का विकल्प भी बाकी एंकर्स को अनजाने में बताते समझाते रहते हैं। 

Yashwant Singh : प्राइम टाइम के दौरान जब एनडीटीवी पर कायदे की बहस ना चल रही हो तो मैं फोकस टीवी देखने लगता हूँ। संजीव श्रीवास्तव बेहद सहज और दिल में उतरने वाली एंकरिंग करते हैं। ज्ञान, भाषा और समझ का स्तर ठीकठाक होने के कारण संजीव बड़े प्यार से बहुत नयी नयी बातें निकालते और निकलवाते रहते हैं। साथ ही चीख चिल्लाहट और चीप एंकरिंग की जगह ताजगी भरी स्टाइल का विकल्प भी बाकी एंकर्स को अनजाने में बताते समझाते रहते हैं। 

बीबीसी में काम कर चुके होने के कारण संजीव ख़बरों के चयन में वैश्विक परिदृश्य को भी प्रमुखता देते हैं। अन्तरराष्ट्रीय ख़बरें फोकस न्यूज़ पर खूब दिखती हैं। पैनल डिस्कशन और इंटरनेशनल न्यूज़ की प्रस्तुति के मामले में यह चैनल कई बार ndtv से उम्दा नज़र आने लगता है। खैर। बात मैं आज के प्राइम टाइम की कर रहा हूँ। ndtv, आजतक समेत जब ज्यादातर हिंदी न्यूज़ चैनल प्राइम टाइम में भारत की हार पर आंसू बहा रहे हैं, फोकस न्यूज़ पर आम आदमी पार्टी के आंतरिक मसले पर बड़ी संजीदा बहस हुयी। 

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निर्मल पाठक और विनोद अग्निहोत्री जैसे तेजतर्रार पत्रकारों के साथ आप नेता सोमनाथ भारती भी पैनल में शरीक थे। पूरी बातचीत से यही समझ में आया कि केजरिया अहंकारी होने के बाद अब पगला गया है। योगेन्द्र और प्रशांत को किसी तरह निकालने पर अड़े रहने के लिए केजरिया लगातार अपने चम्पुओं से झूठ बुलवा रहा है, साजिश करा रहा है। संजय सिंह और कुमार विश्वास साबित करने में जुटे हैं कि कुक्कुर केजरी के ये सबसे बड़े पिल्ले हैं। 

ताज़ी सूचना ये है कि प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव प्रेस कांफ्रेंस करके केजरिया में खूंटा ठोंक रहे हैं। मनीष सिसोदिया, गोपाल रॉय, आशुतोष, खेतान आदि इत्यादि केजरी के चेले हैं और इनकी आत्मा गयी है तेल लेने। ये सत्ता पाकर या सत्ता से लाभ लेने की चाहत रखने के कारण केजरी की हाँ में हाँ मिलाने को अभिशप्त हो चुके हैं। केजरी और इसका गैंग इतने छोटे दिल दिमाग वाला होगा, मुझे उम्मीद नहीं थी।

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भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.


उपरोक्त स्टेटस पर आए कुछ कमेंट्स इस प्रकार हैं…

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Vinod Sirohi यशवंत जी, इसे मामले पर आपके 3 बार रुख बदले हैं… इस बार भी आप एकदम इकतरफा प्रतीत हो रहे हैं… शब्दावली पूर्व की भांति सिर्फ कोसने के अंदाज में है… तथ्यात्मक न होने से इस वक्त भी सत्यता का पता नहीं चल रहा है… तथ्यात्मक होती तो कोई धारणा बनाने में सहायक होती…
 
Yashwant Singh भाई Vinod Sirohi जी, पूरा माजरा आज के दिल्ली नवभारत टाइम्स में छपा है. पढ़ लीजिएगा. एक व्यक्ति अपने अहंकार और पागलपन के कारण सिर्फ खुद को सुप्रीम बास बनाए रखना चाहता है और बाकियों को निकाल बाहर करना चाहता है. हम लोग सोच रहे थे कि बेंगलोर से लौट कर केजरीवाल अपनी आलोचनाओं को देखते हुए और योगेंद्र प्रशांत के दबाव में आने को देखते हुए एक दूसरे को माफ करेंगे और पूरी टीम को लेकर चलेंगे. लेकिन यह आदमी तो इस कदर तानाशाही पर अड़ा और उतारू है कि अपने अलावा किसी को बरदाश्त करने के मूड में नहीं है. धारणाएं मेरी भी बिगड़ती बनती रही हैं केजरीवाल को लेकर. लेकिन अगर इसने योगेंद्र और प्रशांत को पार्टी से निकलवा दिया तो फाइनली मोहभंग हो जाएगा.

Vinit Utpal कल अपनी आज की बात से पलटेंगे तो नहीं..

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Yashwant Singh भाई विनीत उत्पल जी, सिर्फ पत्थर और चट्टान एकजगह अड़े-खड़े रहते हैं, वे नहीं बदलते, पर हम अपनी धारणाओं को नए हालात, नए अनुभवों, आने वाले नए फीडबैकों के आधार पर बदलने को मजबूर हो जाते हैं. असल में हम लोग कोई नेता नहीं जो पार्टी में रहने की मजबूरी के कारण आलाकमान की हां में हां मिलाते रहें. हमें कोई इनसे लाभ भी नहीं लेना की तारीफ करने को मजबूर रहें. जब तक ये लोग सत्ता से बाहर थे, जमकर, खुलकर और डंके की चोट पर लिखकर समर्थन किया व कराया. अब जब ये सत्ता में हैं तो इनका असली चरित्र बाहर आ रहा है तो गरियाना तो बनता है न बास. मैं नहीं कह रहा कि योगेंद्र और प्रशांत दूध के धुले हैं. पर उन्हें पार्टी से निकालना बहरियाना ही एकमात्र सजा है, यह नहीं मानता. राजनीति में अगर केजरीवाल ने खुद को साबित किया है तो इसका मतलब ये नहीं कि वे बाकी नेताओं कार्यकर्ताओं को अपने मनमाफिक निकालें या रखने को स्वतंत्र कर दिए जाएं.

Ajay Mishra सबसे बड़े तुचिए दिल्ली वाले हैं। पहले मोदी ने बनाया फिर केजरी ने
 
Praveen Praveen संजीव जी काफी अच्छे है इन्हे बचपन से ही BBC से सुनते आ रहा हूँ ।
 
Nishtha Saxena मैंने भी बहुत तारीफ़ सुनी है कि ndtv के बाद यही बेहतर चैनल है लेकिन अफ़सोस हमारे यहाँ यह चैनल नहीं आता
 
Rupesh Kumar यशवंत भाई..इसीलिए हमारा सूत्र वाक्य भी यही है..सरल, सटीक, सार्थक…
 
Avanindrsingh Aman कौन कहता है केजरी कांग्रेस, बीजेपी से अलग है। ईमानदारी का स्वांग रचने वाला इ केजरिया किसानो, छात्रो पर लाठी भजवाता है। दिल्ली वालो केजरीया की पार्टी में पढे लिखे लोगो की पुछ नही है उसकी पार्टी एक नचनिया और एक तख्तापलट के हाथ में दिख रही है
 
Arvind Sharma mai bhi prime time kuch khas nhi hota to focus par sanjeev ko hi dekhta hu. JINDAL GROUP KA CHANNEL LAGTA HAI..
 
Hiteshwar Hooda Focus ko dekh kar kayi bar DD ka sahaj roop yaad aa jata hai. Lekin Ye baton ko hadh se jada lamba ghasit dete hein.
 
Naveen Naveen रवीश को 9 बजे टक्कर मिलने लगी है. रवीश की खांटी शैली भोजपुरी और हिंदी मुहावरों को संजीव के अंग्रेजी मुहावरे टक्कर दे रहे हैं… 9 बजे के बाकी शूरमा सुधीर, रजत और संदीप तो अब गिनती में भी नहीं हैं.. बाकी टीवी वाले एंकर संजीव से सीखें… परिचर्चा क्या होती है और अंतरराष्ट्रीय समाचार क्या होता है… कुछ दिन पहले संजीव ने ब्लादिमीर पुतिन के दुश्मनों के रहस्मयी मौत पर एक रिपोर्ट दी थी और बहस कराया था… मेरा अब तक का देखा विदेशी विषय पर भारतीय हिंदी समाचार चैनल का सर्वश्रेष्ठ रिपोर्ट था…
 
Fahad Saeed मेरा पिता जी बचपन से संजीव जी को बी बी सी में सुनते आ रहे है. वे वाकई काफी अच्छे एंकर हैं..

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Pawan Kumar Pandey Sanjeev ji ki BBC me Ek Mulakat aati this..
 
Punit Shukla Kya Aap Yashwant Singh jindaliya gya hai ya Khangresian bhaile?

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0 Comments

  1. swati

    March 27, 2015 at 5:05 am

    pata nahi sanjeev srivastava ki anchoring kise pasand aa rahi he. unhe bhasha ka gyan zaroor ho sakta he par khabron ka gyan nahi he. he is so fake. Focus news main kehne ko to edito in chief hain par koi leadership qualities nahi hain.

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