उतर गया चोला… अमीरों का आदमी साबित हुआ केजरीवाल, समझा रहे हैं यशवंत सिंह

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Yashwant Singh  : कई लोग कहते मिले कि दिल्ली सुधर गई, केजरीवाल का फार्मूला पास हो गया, दिल्ली वाले बिना चूं चपड़ किए हंसते खेलते नया नियम मान लिए, प्रदूषण घट गया, ट्रैफिक स्मूथ हो गया… ब्ला ब्ला ब्ला…

भइये, दिल्ली वाले बहुते चलाक होते हैं. उनके पास टैम नहीं है कि जा के जिंदाबाद मुर्दाबाद करें और माथा फोड़ें… उतने में उ दस बीस हजार रुपया कमा लेंगे.. अउर, जो दिल्ली में रहता है वह बहुते जुगाड़बाज भी होता है, दिमाग का तेज होता है, काम निकालने में मास्टर होता है.. सो सबने अपना अपना जोड़तोड़ निकाल कर एडजस्ट कर लिया होगा… खासकर उ वाला गरीब क्लास जो एक्के छोटकी या बड़की कार रखा है और ओही पर जिंदगी न्योछावर किए हुए था.. उ बेचारा त मन मार के जइसे तइसे काम पर गइबे किया होगा.. जइसे कि हम दिल्ली में इहां उहां मेट्रो से कूद रहे हैं, बस से चल रहे हैं… और इ सब करते हुए अच्छा भी फील हो रहा है.. लेकिन सब हमरी तरह सड़क छाप थोड़े न हैं… अधिकतर लोग अपने क्लास कैरेक्टर को सीने से लगाए दबाए बैठे रहते हैं… ऐसे में उनके चूतड़ के नीचे से कार का निकल जाना बहुत टीस दे रहा होगा… पर मरता क्या न करता.. पग्गल लोगों से कौन बहस लड़ाए… कौन खुद पर फाइन लगवाए…

केजरी का आदेश न मानकर दो हजार रुपया फाइन देने की औकात इस इकलौती कार वाले क्लास में नहीं होती.. सो, सबने चुपचाप मान लिया… पर याद रखिए… केजरी ने जो काम किया है अंतत: वह पूंजीपतियों के हित में गया है… गरीब तो वइसे ही मर रहा है.. महंगाई से मर रहा है, कम तनख्वाह के कारण मर रहा है, स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए पैसा न होने के कारण मर रहा है… प्रदूषण की मार उसे क्या मारेगी.. असल में प्रदूषण और ट्रैफिक जाम की मार उस क्लास को ज्यादा तकलीफ दे रही है जो कई कई बड़ी कार रक्खे है और महीने में लाखों रुपये कमाता है… उसे अपने और अपने बच्चों की ज्यादा फिकिर हो रही थी… अपनी बड़ी गाड़ी को दिल्ली के जाम में फंसा पाकर वह गरीबों की भीड़ को कोस रहा था… सो वह जोर शोर से प्रदूषण को लेकर हाय हाय कर रहा था और केजरी के चिरकुट किस्म के फार्मूल के सामने आते ही इसके पक्ष में फटाक से खडा हो गया है…

यही वह एलीट, अमीर, पूंजीपति क्लास है जो चाहता रहा है कि दिल्ली में रिक्शा वाले बाइक वाले आटो वाले न चलें, गरीब भिखारी न दिखें, ज्यादा भीड़ दूसरे प्रदेश से न आए, रैली धरना प्रदर्शन दिल्ली में न हुआ करे.. यह क्लास तो चाहेगा ही कि गाड़ियों पर किसी तरह बैन लगे ताकि ट्रैफिक सुधरी और धूल धुआं कम हो.. सो, गरीबों की गांड़ पर केजरिया ने चाबुक मार दिया… गरीब बेचारा अपनी कार रख जैसे तैसे पदयात्रा बस यात्रा मेट्रो यात्रा कर रहा है… लेकिन वो जो नफासत वाले अमीर साहब लोग हैं, वो अपने भारी भरकम गैराज से सम के दिन सम नंबर वाली कार और विषम के दिन विषम नंबर वाली कार निकाल लेंगे…उन्हें निकालने की भी क्या जरूरत है.. उनका ड्राइवर साला किस काम के लिए बना है… वह कैलेंडर के हिसाब से गाड़ी नंबर देख कार निकालेगा और धो पोंछ रेडी कर साब के बैठने का इंतजार करेगा…

दिल्ली में शांति से क्रांति हो जाया करती है… आपियों तिलचट्टों चोट्टो को लग रहा होगा कि सब बहुते बढिया से हो गया है लेकिन ध्यान रखना बेट्टुओं… अगर साल भर में पार्टी बनाकर सत्ता में हम जैसों के सपोर्ट से आ सकते हो तो चार साल बाद चुनाव में चड्ढी भी सटाक से खींच कर हम लोग उतार सकते हैं… ध्यान रखना केजरी बाबू, ये अमीर एलीट पूंजीपति सदा से कांग्रेस भाजपा का रहा है… वह तुम्हारा न होगा.. हां, तुम्हारे इस खेल के चक्कर में तुम अपनों को जरूर खो दोगे… वह भी चूतियापे के प्रदूषण नियंत्रण फार्मूले से… इतने बड़े देश की राजधानी है दिल्ली… वह अभी फैलेगी, बहुत ज्यादा फैलेगी… प्रदूषण रोकना हो तो विदेशी इंपोर्टेड बड़ी गाड़ियों पर पाबंदी लगाने की हिम्मत दिखाते तो तुमको जरूर सलाम करते लेकिन तुम ऐसा काहे करोगे… राजनीतिज्ञों की मंजिल अंतत: अमीरों के गोद में बैठना ही होता है, वह तुम्हें नसीब हो चुकी है, इसलिए तुम्हें अब आम आदमी से क्या मतलब… आम आदमी अब बस तुम्हारे पार्टी के नाम में ही पाया जाएगा.. तुम्हारे दिल दिमाग में कतई नहीं… 

खंजड़िया पगलेट बुजरो के…

भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.



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Comments on “उतर गया चोला… अमीरों का आदमी साबित हुआ केजरीवाल, समझा रहे हैं यशवंत सिंह

  • Vivek Singh says:

    ऐसे ही भाजपा वालों को भी लगता था… लोकसभा में जीतने के बाद। फिर दिल्ली ने ऐसा पटका कि सांस ही तब से उखड़ी है

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  • Kapildev Tripathi says:

    किस स्‍कूल में पढकर निकले हो भाई। लाजवाब भाषा है तु:म्‍हारे पास। शुक्र है हिन्‍दी में अपने तरह के तुम अकेले पत्रकार हो।

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  • Kapildev Tripathi says:

    किस स्‍कूल में पढकर निकले हो भाई। लाजवाब भाषा है तु:म्‍हारे पास। शुक्र है हिन्‍दी में अपने तरह के तुम अकेले पत्रकार हो।

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  • Surya Prakash says:

    आधे दिल्ली वाले दारु पी कर पड़े है घरों में और केजरीवाल साहब समझ रहे है उनका अॉड इवन वाला फार्मूला काम कर रहा है

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  • राहुल गुप्ता says:

    आज सुने थे सिसोदिया जी कह रहे थे, साइकिल से चल कर देखता हूँ, यहाँ की सड़के साइकिल से चलने लायक है या नहीं। मान गए, दिल्ली आपकी, सड़के आपकी, आपको नहीं पता? रह गयी बात, अगर इतना ही कुछ करना है, चांदनी चौक की गलियो पुरानी दिल्ली, सीलमपुर की गलियां में जो अतिक्रमण है, जहां रिक्शा से चलना तो दूर पैदल चलना मुश्किल होता है, उसको तो रोक लो। कितनी चिल्लम चों होती है।

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  • ashok anurag says:

    वाह और सिर्फ वाह, ये अलग बात है एक कार वाला आह आह कर रहा है, यशवंत मित्र मुझे लगता है कार शोरूम या कार निर्माता लॉबी भी इसमें अदृश्य रूप से शामिल हो,जो भी हो जीना तो सिर्फ अमीर चाहता है दिल्ली में और हमारे मुख्यमंत्री वही कर रहे हैं, क्यूंकि वो अब आम नहीं लीची हो गए हैं,

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