राहत का सोमवार : odd-even फॉर्मूले ने तौबा करवा दी

Sarjana Sharama : इस बार सोमवार राहत का सोमवार होगा। ऑटो या टैक्सी खोजने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने के श्री अरंविंद केजरीवाल के odd-even फॉर्मूले ने तौबा करवा दी। इतनी भीषण गरमी में लोग तपती धूप में 20-20 मिनट ऑटो का इंतज़ार करते रहे। रेडियो टैक्सी के अपने नखरे हैं। अभी इस रूट पर कोई टैक्सी नहीं मिल सकती। दो घंटे से पहले नहीं आ सकते आदि आदि।

ऑड-इवन से दिल्ली की सड़कों पर क्या फायदा हुआ?

Arvind Shesh : इति “ऑड-इवन” स्वाहा…! इति ‘कार-सेवा’ स्वाहा…! पंद्रह तारीख के साथ ही ऑड-इवन खत्म… और साथ ही दिल्ली में बसों को सहज तरीके से चलने वाली अकेली बीआरटी को खत्म करने का काम शुरू। यानी पंद्रह दिनों की ऑड-इवन कार-सेवा खत्म होने के साथ ही कार वालों की सेवा शुरू…! अब अचानक दिल्ली से प्रदूषण छू-मंतर हो जाएगा… और अगर कहीं से प्रदूषण आएगा तो वह तंदूर चूल्हे से आएगा… और उससे आगे खाना बनाने के लिए जलाई गई आग से आएगा…!

केजरीवाल और उनके सम-विषम की असलियत बता रहे हैं जस्टिस काटजू

The Truth about the Odd Even Scheme

By Justice Katju

AAP had won a landslide victory in the Delhi elections in Februaary, 2015, because people were disgusted with the other parties, and wanted a radical change. Kejriwal had projected himself as an epitome of honesty, a modern Moses, a Superman (as Modi had done earlier) who will lead Delhi into a land of milk and honey. Later, his popularity started to rapidly decline as people started seeing the reality. There is really nothing in the man, he has no solutions to the real problems facing the people— massive poverty, unemployment, malnourishment, lack of healthcare and good education, farmers suicides, etc.

उतर गया चोला… अमीरों का आदमी साबित हुआ केजरीवाल, समझा रहे हैं यशवंत सिंह

Yashwant Singh  : कई लोग कहते मिले कि दिल्ली सुधर गई, केजरीवाल का फार्मूला पास हो गया, दिल्ली वाले बिना चूं चपड़ किए हंसते खेलते नया नियम मान लिए, प्रदूषण घट गया, ट्रैफिक स्मूथ हो गया… ब्ला ब्ला ब्ला…

जा जा रे केजरिया… तू तो एहसासे करा दिए हम गरीबों को कि हम सब ब्लडी गरीब टाइप लोग भेरी भेरी गरीब हैं

Yashwant Singh : कृपया कोई दिल्ला वाला आपाई विशेषज्ञ मेरी इस भड़ास का जवाब दे…

मेरी मारुति अल्टो कार छह सात साल पुरानी है… इसके अलावा मेरे पास कोई दूसरी कार या बाइक या साइकिल नहीं है… मेरी कार का आखिरी अंक 7 पड़ता है. परसों दो तारीख को सिनेमा जाने का प्लान है.. फिर घूमने का… तो क्या मैं परसों बच्चों को कार पर बिठाकर सिनेमा दिखाकर उसके बाद इंडिया गेट घुमाने ले जा सकता हूं… या कार को घर पर धो पोंछकर रखें और हम चार पांच जच्चा बच्चा युक्त सकल परिवार मम पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ठुंसियाने को मजबूर होवें?

odd-even : केजरीवाल जैसा मूर्ख मुख्यमंत्री इस देश में दूसरा नहीं देखा…

Nadim S. Akhter :  अरविन्द केजरीवाल जैसा मूर्ख मुख्यमंत्री इस देश में दूसरा ने नहीं देखा, जिसन वाहवाही बटोरने के चक्कर में बिना सोचे-समझे पूरी जनता को odd-even की खाई में धकेल दिया। पहले से ही मरणासन्न दिल्ली का पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम इतनी बड़ी आबादी के सफ़र को कैसे झेलेगी, इस पर एक पल भी नहीं सोचा। ऊपर से ये महामूर्ख मुख्यमंत्री स्कूल में बच्चों के बीच जाकर कह रहे हैं कि बेटे, अपने मम्मी-पाप को इस नियम का पालन करने की सीख देना, उनसे जिद करना। लेकिन ये नहीं बता रहे कि जब टाइम से ऑफिस न पहुचने पे पापा की सैलरी कटेगी और ऑटो लेकर जाने में उनकी जेब से दोगुने नोट ढीले होंगे, घर का बजट बिगड़ेगा, तो पापा घर कैसे चलाएंगे?