कन्हैया शुक्ला-
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में अल्पसंख्यक समुदाय की एक बेटी के साथ बहुत ही घिनौना अपराध किया गया जिसकी शिकायत वो और उसके परिजन लगातार पुलिस से करते रहे ..न्याय की गुहार लगाते रहे जिसमें पुलिस कर्मी के ऊपर भी आरोप लगा है पर उसकी एक नही सुनी गई और उस लड़की ने आत्महत्या का रास्ता ही चुन लिया क्योंकि इस सिस्टम में उसको ये रास्ता अधिक सकून और इज्जतदार दिखा ..
घिन्न आती है राजनीति और सिस्टम के उन लोगों पर जो सिर्फ अपने फ़ायदे के लिए जगह चुन के लोगों के दर्द को समझते हैं …बीजेपी शासित प्रदेश यूपी में भी इस तरह की एक घटना हुई थी जहां पर पूरे देश की मीडिया , पूरे देश का विपक्ष , फिल्म स्टार और सोशल वर्कर नज़र आ रहे थे ..पर यहां पर ऐसा क्यों नही है ..? यहां तो कांग्रेस की सरकार है और यूपी चुनाव में तो प्रियंका जी का ये नारा था जो सबने सराहा भी भले चुनाव में न जीते पर ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ ये लोगों के जुबान पर नज़र आता था ..और छत्तीसगढ़ के इस बेटी ने सिस्टम से लड़ाई करते–करते खुद को ही ख़तम कर लिया ..
क्या इसी लड़ाई का जिक्र प्रियंका जी कर रही थी ..? क्यों नही इस घटना पर राहुल गांधी और बड़े कांग्रेस के नेताओं ने अपनी ही सरकार के लोगों को बोला कि इस बेटी को न्याय मिलना चाहिए ..शायद यहां तो उनके परिवार में जाने की भी ज़रूरत नही पड़ती सिर्फ एक ट्वीट से ही शायद इस बेटी को समय पर न्याय मिल जाता ..और आज ये जिंदा होती ..
राजनीति गर्म वहीं होती है जहां चुनावी फ़ायदा दिखाई देता है .. क्या इसका भी नज़रिया या एजेंडा सेट किया जाता है कि हमें कहां की बेटियों कहां के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के लिए ही आवाज़ उठानी है और कहाँ की सरकार को घेरना है ..कहाँ की सरकार को लेकर चुप रहना है…
देखिए बीजेपी के नेता केदार कश्यप और पत्रकार मनीष कुमार, की ये पोस्ट ..