Connect with us

Hi, what are you looking for?

छत्तीसगढ़

गैंग्स ऑफ़ वासेपुर जैसे हालात हैं कोरबा में, पुलिस के निशाने पर होते हैं सिर्फ पत्रकार!

छत्तीसगढ़ पत्रकारों का कब्रगाह, कोरबा में लगातार दर्ज किए गए फर्जी मामले

छत्तीसगढ़ एक छोटा सा राज्य है। नक्सल प्रभावित है। यहां की भूपेश सरकार ने पत्रकारों की आवाज को कुचलने का पूरा इंतजाम कर रखा है। फर्जी मुकदमे दर्ज करने का रिकॉर्ड बन चुका है। लिखने पढ़ने वाले पत्रकारों को डराया धमकाया जाता है। फर्जी मुकदमे दर्ज कर दबाव बनाया जा रहा है। कई मामले में गैर जमानतीय धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर दिए जाते हैं और फिर पुलिसकर्मी कहते हैं कि चिंता मत करिए, गिरफ्तार नहीं करेंगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कोरबा छत्तीसगढ़ का एक जिला है। कोरबा जिला प्रदेश का पावर कैपिटल है। एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदानें हैं। 20% कोयला कोल इंडिया को यहीं से मिलता है। खदानों में गैंग्स ऑफ़ वासेपुर जैसे हालात हैं। कोयला चोरी, डीजल चोरी और कबाड़ चोरी का गोरख धंधा यहां पर फलता फूलता रहा है। कांग्रेस सरकार में यह अपने चरम पर है।

डीजल चोरी का टर्नओवर ही एक दिन में 50 लाख का है। अन्य अवैध कारोबार को अगर शामिल करें तो यह करोड़ों में पहुंच जाता है। हाल ही में छत्तीसगढ़ का कोल लेवी स्कैम, शराब घोटाला और अन्य तरह के घोटाले ईडी ने उजागर किया। कई आईएएस अफसर जेल गए। सीएम की निज सचिव से लेकर कोरबा कलेक्टर तक सब जेल में हैं। घोटालों का केंद्र कोरबा रहा है। इसलिए खास तौर पर कोरबा जिले में पत्रकारों पर खूब फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए। कोरबा के पत्रकारों को बिल्कुल नहीं बख्शने का जैसे आदेश दिया गया हो।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कोरबा जिले की शहर के अंतर्गत मानिकपुर चौकी है। यह चौकी पत्रकारों के लिए मानो काल है। यहां वर्तमान में सब इंपेक्टर प्रेमचंद साहू पदस्थ हैं जो दबा के फर्जी मामले पत्रकारों पर दर्ज करते हैं। पत्रकार मौके पर मौजूद हो या ना हो, उन पर गैर जमानतीय धाराओं के तहत ही अपराध दर्ज कर देते हैं। कोरबा जिले की कमान एक विवादित आईपीएस उदय किरण के हाथ में थी। प्रेमचंद, उदय किरण के राइट हैंड थे।

इन्हीं सब शिकायतों के बाद छत्तीसगढ़ सरकार के करीबी उदय किरण को केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने दो दिन पहले निपटा दिया। उन्हें तो जिले से हटा दिया, लेकिन उनके खास सिपहसालारों को जिले में उत्पात मचाने के लिए छोड़ दिया है। अभी भी पत्रकारों के शोषक यहां तैनात हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पहला मुकदमा :

छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार और केबल वार खूब सुर्खियों में रहता है। दो बड़े शराब कारोबारी केबल का संचालन भी करते हैं। प्रतिद्वन्दी होने के कारण उनके बीच विवादों की स्थिति भी बनी रहती है। सरकार बदलने के साथ ही शक्तियों का भी ध्रुवीकरण होता रहता है। जब एक पक्ष हावी होता है, तो दूसरे की मुश्किल बढ़ जाती है। ऐसे ही एक मामले में कोरबा शहर के लोकल चैनल के संपादक 60 साल के वरिष्ठ पत्रकार कमलेश यादव पर गैर जमानतीय धाराओं के तहत अपहरण का मामला दर्ज कर लिया गया। अपहरण जैसी खतरनाक धारा लगा दी गयी, जबकि कमलेश मौके पर मौजूद ही नहीं थे। यह मामला मानिकपुर चौकी में दर्ज किया गया। आवाज उठाने वालों को भी उदय किरण और प्रेमचंद साहू ने डराया धमकाया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दूसरा मुकदमा :

दूसरा मुकदमा शहर के वरिष्ठ पत्रकार रफीक मेहमान पर दर्ज किया गया। यह भी मौके पर मौजूद नहीं थे और अपहरण ब्लैकमेलिंग और पता नहीं क्या-क्या गैर जमानतीय धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर लिया गया। पुलिस ने जमीन खाली करने का ठेका लिया था। रफीक इसका विरोध कर रहे थे, गरीबों को जमीन से बेदखल किया जा रहा था। इसमें एसपी और प्रेमचंद ने रफीक को ही रगड़ दिया। 4 महीने तक रफीक गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार रहे। इनके न्यूज़ पोर्टल ब्लैक आउट को भी बंद करवा दिया गया था। बड़ी मुश्किल से एड़ी चोटी का जोर लगाकर रफीक किसी तरह वापसी कर पाए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

तीसरा मुकदमा :

तीसरा मुकदमा भी मानिकपुर चौकी में ही सब इंस्पेक्टर प्रेमचंद साहू ने दर्ज किया। एक ऐसे आपराधिक व्यक्ति के इशारे पर मुकदमा दर्ज किया जिसके ऊपर नशे की गोलियां बेचने का आरोप है और जिसे पुलिस ने ही जेल भेजा था। इसी अपराधी की शिकायत पर पुलिस ने एक युवा पत्रकार विजय पर मारपीट की गंभीर धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर लिया। जबकि विजय की शिकायत पर काउंटर केस भी दर्ज करने से प्रेमचंद ने मना कर दिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

उपरोक्त मामले फर्जी मामलों की बानगी भर हैं। कोरबा जिले में ऐसे कई मामले पत्रकारों के विरुद्ध दर्ज हैं जिनका कोई आधार नहीं है। डीजल, कोयला कबाड़ के अवैध कार्यों का संचालन पुलिस के संरक्षण में होता है और जब इस संरक्षण की पोल खुलती है तब पुलिस पत्रकारों की आवाज दबाने की कोशिश करती है। उन पर मामले बनाए जाते हैं। अभी कुछ समय से कोरबा जिले में अराजकता का माहौल है। लेकिन अब उदय किरण का यहां से स्थानांतरण हो गया है, लेकिन प्रेमचंद साहू अभी अपनी हरकतों से बाज नहीं आए हैं। उन्होंने उदय किरण के स्थानांतरण के बाद भी एक पत्रकार पर मुकदमा दर्ज कर दिया।

कहने को तो छत्तीसगढ़ राज्य में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू है लेकिन यहां के पत्रकार सबसे अधिक असुरक्षित हैं। कुछ भी यदि लिख पढ़ दिया तो उन पर फर्जी मुकदमा होना तय है। कई पत्रकार इस झमेले में नहीं पड़ना चाहते और इसलिए एंटी खबरों से बचते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कोरबा से भड़ास संवाददाता की रिपोर्ट.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास तक खबर सूचनाएं जानकारियां मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group_one

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement